जीवन में माता पिता के बाद सबसे अधिक प्रभाव गुरु का-योग गुरु धर्म चंद

स्वतंत्र प्रभात
ब्यूरो प्रयागराज

गुरु पूर्णिमा के मौके पर फूलपुर के नरई ग्राम स्थित प्राथमिक विद्यालय में योगाचार्य धर्मचंद जी ने जीवन में गुरु के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि हमारे जीवन में माता-पिता के बाद सबसे अधिक यदि किसी का प्रभाव होता है तो वह गुरु का होता है। गुरु वह होता है जो हमारे जीवन के अंधकारों को मिटा कर उसमें ज्ञानरूपी प्रकाश फैला देता है।

 हमारे गुरु (शिक्षक) ही हमारे श्रेष्ठ मार्गदर्शक होते हैं। जीवन में जिससे भी हम ज्ञान प्राप्त करते हैं कुछ सीखते हैं वह एक प्रकार से हमारा गुरु होता है। कहा जाता है कि भगवान दत्तात्रेय के 24 गुरु थे। सीखने वाले के लिए ज्ञान की कमी नहीं है वह ज्ञान कहीं से भी प्राप्त कर सकता है। उन्होंने कहा कि कुत्ता जैसे निरीह प्राणी से भी स्वामी भक्ति सीखी जा सकती है।


  हमारी संस्कृति में गुरु को ब्रह्मा विष्णु महेश का स्वरूप माना गया है। गुरु की महिमा का वर्णन जितना भी किया जाए उतना ही कम है। सभी बच्चों को चाहिए कि वे अपने माता-पिता एवं गुरुजनों का सम्मान करें ,आदर करें। योगाचार्य धर्मचंद्र जी ने कहा कि माता-पिता एवं गुरू इस धरती के साकार देव हैं जिनका हमें अपने जीवन में सदैव सम्मान करना चाहिए।

विद्यालय की प्रधानाचार्या श्रीमती कुसुम भारतीय ने कहा कि योगाचार्य धर्मचंद जी द्वारा सिखाए गए योग प्राणायाम को यदि बच्चे नियमित रूप से अभ्यास करेंगे तो उनका मन पढ़ाई में लगेगा। आगे उन्होंने कहा कि गुरु का हमारे जीवन में बहुत महत्व है गुरु से हमें ज्ञान प्राप्त होता है ।इसलिए सभी बच्चों को चाहिए कि वे अपने माता-पिता एवं गुरुजनों का आदर ,सम्मान करें।
 मौके पर विद्यालय के अनिल कुमार यादव, शमा परवीन एवं शालिनी देवी आदि शिक्षक मौजूद रहे।

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