जब विराट को इंडिया टीम में लेने की वजह से सेलेक्टर को हटा दिया गया था!

18 अगस्त 2008 को 19 वर्ष की उम्र में विराट कोहली ने श्रीलंका के खिलाफ ODI डेब्यू किया था।

राजनीति की वजह से विराट को ODI के बाद टेस्ट डेब्यू करने के लिए 4 साल इंतजार करना पड़ा। विराट ने 20 जून 2012 को वेस्टइंडीज के खिलाफ किंग्सटन में टेस्ट डेब्यू किया था।

विराट कोहली को साल 2008 में टीम इंडिया में चुनने के कारण दिलीप वेंगसरकर को मुख्य चयनकर्ता पद से हटा दिया गया था। दिलीप वेंगसरकर ने यह चौंकाने वाला खुलासा किया है। 18 अगस्त 2008 को 19 वर्ष की उम्र में विराट कोहली ने श्रीलंका के खिलाफ ODI डेब्यू किया था। उस वक्त दिलीप वेंगसरकर मुख्य चयनकर्ता थे। दिलीप वेंगसरकर ने रहस्य खोलते हुए बताया है कि उन्हें विराट कोहली के चयन की कीमत अपना पद खोकर गंवानी पड़ी।

 

उन्होंने कहा कि तब तत्कालीन BCCI अध्यक्ष एस. बद्रीनाथ की अनदेखी करने के लिए उनसे खुश नहीं थे। वेंगसरकर जानते थे कि बद्रीनाथ दक्षिण से थे, जो श्रीनिवासन की IPL टीम CSK लिए खेल रहे थे। ऐसे में जब वेंगसरकर ने कोहली को वरीयता दी, तो वह मुख्य चयनकर्ता से बेहद नाराज हो गए। BCCI अध्यक्ष श्रीनिवासन ने वेंगसरकर से सवाल किए कि उन्होंने बद्रीनाथ को क्यों नहीं चुना? 

 

इस पर तत्कालीन मुख्य चयनकर्ता ने जवाब दिया कि वह इंडिया ए के मैच देखने ऑस्ट्रेलिया गए थे और उन्होंने पाया कि यंग विराट असाधारण था। वेंगसरकर ने बताया कि जवाब में श्रीनिवासन ने कहा कि बद्रीनाथ ने घरेलू क्रिकेट में तमिलनाडु के लिए 800 रन बनाए थे। इस पर वेंगसरकर ने उनसे कहा कि बद्री को मौका मिलेगा। श्रीनिवासन बोले कि कब मौका मिलेगा।

 

वह 29 साल का है। इस पर वेंगसरकर ने जवाब दिया कि समय आने पर मौका मिलेगा। इसके बाद हुआ यह कि वेंगसरकर का पद चला गया और एन. श्रीनिवासन ने साउथ से आने वाले के. श्रीकांत को चीफ सेलेक्टर बना दिया। इस तरह दिलीप वेंगसरकर के चीफ सेलेक्टर करियर का अंत हो गया।

वेंगसरकर के चयन समिति से हटने का नतीजा हुआ कि विराट को ODI के बाद टेस्ट डेब्यू करने के लिए 4 साल इंतजार करना पड़ा। विराट ने 20 जून 2012 को वेस्टइंडीज के खिलाफ किंग्सटन में टेस्ट डेब्यू किया था।

दिलीप वेंगसरकर ने आगे कहा कि चयन समिति के द्वारा विराट कोहली के साथ बाद में भी कई तरह की नाइंसाफी हुई। कप्तानी के मामले में विराट कोहली सचिन तेंदुलकर से कहीं बेहतर थे। इसके बावजूद विराट को कप्तानी से हटाने के लिए राजनीति की गई।

 

उन्हें T-20I की कप्तानी छोड़ने के लिए मजबूर किया गया और बाद में ODI की कप्तानी से बर्खास्त कर दिया गया। वेंगसरकर ने कहा कि इंडियन टीम के इतिहास में विराट कोहली से बेहतर टेस्ट कैप्टन दूसरा कोई नहीं आया। जिस एग्रेसिव तरीके से आज इंग्लैंड खेल रहा है, विराट ने उसी आक्रामकता के साथ इंडियन टेस्ट टीम को लीड किया था।

 

वह अगले 5 वर्षों तक आसानी से कप्तानी कर सकते थे। पर टीम का वातावरण ऐसा बना दिया गया कि विराट को कप्तानी छोड़नी पड़ी। अंत में दिलीप वेंगसरकर ने उम्मीद जताई कि इस सब के बावजूद विराट बल्लेबाजी से निरंतर बेहतर प्रदर्शन करके दिखाएंगे। 100 इंटरनेशनल शतक के पार जरूर जाएंगे।

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