किसान भाईयों को उन्नत खेती के लिए नई तकनीकों को कृषि क्षेत्र में अपनाना होगा : डॉ रेणु

अटल भूजल योजना, करनाल द्वारा 10 गांवों के किसानों को इंडो इज़राईल सब्जी उत्कृष्टता केंद्र में अध्ययन भ्रमण कराया गया

करनाल 


  सिंचाई विभाग के अधीक्षक अभियन्ता व अटल भूजल योजना के नोडल अधिकारी संजय राहर के दिशा निर्देशानुसार व कार्यकारी अभियन्ता नवतेज सिंह के मार्गदर्शन में अटल भूजल योजना द्वारा 10 गांवों के किसानों व अटल जल सहेली को इंडो - इज़राईल सब्जी उत्कृष्ट केन्द्र घरौण्डा में अध्ययन भ्रमण करवाना गया | कृषि क्षेत्र में तकनीकी रूप से सक्षम होना और नई उन्नत किस्म और नई तकनीकों का इस्तेमाल करना किसानों के लिए काफी फायदेमंद साबित हो रहा है 

उपरोक्त शब्द डॉ रेणू कृषि विशेषज्ञ ने अटल भूजल योजना करनाल द्वारा 10 गांवों के किसानों को इंडो -इज़राईल सब्जी उत्कृष्टता केंद्र के अध्ययन  भ्रमण मे जानकारी देते हुए व्यक्त किये | इंडो- इज़राईल सब्जी उत्कृष्टता केंद्र से कृषि विशेषज्ञ डॉ रेणू ने किसानों को केंद्र जो कि लगभग 24 एकड़ में बना हुआ है का भ्रमण करवाया | केन्द्र की विशेषता यह भी है कि पूरे केन्द्र में सिंचाई के लिए सूक्ष्म सिंचाई विधियां को ही अपनाया गया हैं, जो कि अपने आप में काफी अनूठी है |

डॉ रेणु ने किसानों को जानकारी देते हुए केन्द्र द्वारा तैयार की जा रही नर्सरी में कैसे पौध तैयार की जाती है विस्तार पूर्वक जानकारी दी | मिट्टी के बिना कोकोपीट में कैसे पौधा तैयार करके किसान भाईयों को उपलब्ध करवा जाता हैं | उन्होंने बताया कि मल्चिंग का उपयोग करके हम कैसे खरपतवार से फसल को या सब्जी को बचा सकते है और ज्यादा से ज्यादा उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं |

 बेल वाली सब्जियों में ज्यादातर ड्रीप विधि से सिंचाई कितनी लाभदायक साबित होती हैं जिससे पानी की तो बचत है ही लेकिन दूसरे फायदे भी गिनाए जैसे खाद या स्प्रे करना हो तो हम सूक्ष्म सिंचाई विधियां से ही साथ बनी वैचरी के माध्यम से आसानी से दे सकते हैं | ड्रीप विधि तथा फव्वारा विधि से सिंचाई करने से पौधे की गुणवत्ता खुले पानी की तुलना में अधिक अच्छी होती है |

डॉ रेणु ने किसानों को संरक्षण खेती करने पर भी जोर दिया जिस पर लागत थोड़ी ज्यादा तो है लेकिन इसमें फायदा ज्यादा है किसान भाई पॉली हाऊस या नेट हाऊस लगा कर इसे अपना सकते हैं | केन्द्र में किस प्रकार से लो टनल तकनीक का उपयोग करके कई सब्जियां लगाई जाती हैं लो टनल तकनीक का फायदा क्या होता हैं विस्तार पूर्वक जानकारी दी | डॉ रेणू ने विशेषकर किसानों से अपील की कि वह कम से कम एक दो एकड़ में ऑर्गेनिक खेती को अवश्य अपनाएं जबकि हमारे स्वास्थ्य के लिए भी अनुकूल है और हमारी भूमि के स्वभाव को पुनः स्थापित करने के लिए और मिट्टी की उर्वरक शक्ति को बरकरार रखने के लिये अत्यंत जरूरी है | इसके लिए उन्होंने गोबर की खाद का ज्यादा इस्तेमाल करने पर बल दिया | केन्द्र में जैविक खाद केंचुआ की मदद से कैसे तैयार की जाती हैं उसके लिए एक आम किसान कैसे खाद तैयार कर सकता है से सम्बन्धित जानकारी दी |

इस अवसर पर अटल भूजल योजना के आई ई सी विशेषज्ञ राजीव कुमार शर्मा ने इंडो इज़राईल सब्जी उत्कृष्टता केंद्र की कृषि विशेषज्ञ डॉ रेणू का व केन्द्र के अन्य स्टाफ का भी आभार व्यक्त किया | उन्होने कहा कि कृषि क्षेत्र में किसान भाईयों को नई -नई तकनीकी ज्ञान उपलब्ध करवाना और उन्नत प्रौद्योगिकी की जानकारी देकर सक्षम किसान बनाना यही सरकार का उद्देश्य है तभी कृषि फायदे का सौदा साबित हो सकता है |

इस अवसर पर डी आई पी टीम से खण्ड समन्वयक शोभित अग्रवाल, मास्टर ट्रेनर पिंकी, पूजा, आरती, परमजीत, किसान रामरिक, ईश्वर, राजेश, सुमेर चन्द, ओमपाल, राजबीर, ओम पाल, जल सहेली सुषमा व कान्ताअटल जल सहेली रीतू, भी मौजूद रही |

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