कृष्णा भट्ट की 1920 हॉरर्स ऑफ द हार्ट : डर में लगा बदले का तड़का

 


विक्रम भट्ट प्रोडक्शन में शुरुआत से लेकर अबतक लगातार कई बड़ी बड़ी हॉरर फिल्में बनते आईं हैं और हर फिल्म ने इस इंडस्ट्री में अच्छी खासी सुर्खियां भी बटोरी हैं । हर फिल्मों की भांति हॉरर फिल्मों का भी अपना एक दर्शक वर्ग है जिसे भट्ट प्रोडक्शन की हॉरर फिल्मों का इंतज़ार रहता है । और इसी कड़ी में अबकी बार विक्रम भट्ट प्रोडक्शन के बैनर तले बनी फिल्म 1920 हॉरर्स ऑफ द हार्ट ने रीलीजिंग के साथ ही अच्छा खासा बज क्रिएट किया हुआ है । फ़िल्म को बड़े शहरों में अच्छी खासी ओपनिंग लगी है और युवाओं के अंदर इस फ़िल्म को लेकर अच्छा खासा क्रेज बनता दिख रहा है ।

 सिंगल स्क्रीन थियेटर में भी दर्शक इस फ़िल्म को देखने के लिए आने लगे हैं । वैसे भी यह तो सर्वविदित है कि हॉरर फिल्मों पर विक्रम भट्ट की पकड़ काफी मजबूत मानी जाती रही है । उन्होंने इसके पहले 'राज' जैसी सुपरहिट हॉरर फिल्म दिया था जिसने उस दौर में सफ़लता के झंडे गाड़ दिए थे । इस राज के बाद 'राज: द मिस्ट्री कंटीन्यू', 'राज 3डी', 'राज रीबूट', '1920', 'शापित', 'हॉन्टेड 3डी', 'घोस्ट', 'क्रीचर 3डी' जैसी फिल्में देकर विक्रम भट्ट ने हॉरर फिल्मों के सिलसिले को बनाए रखा । शायद यही कारण रहा है कि इस फ़िल्म 1920 हॉरर्स ऑफ द हार्ट से निर्देशन के क्षेत्र में उतरी उनकी बेटी कृष्णा भट्ट ने भी अपने डुब्यूटेंट के लिए हॉरर फिल्म को ही चुना । कृष्णा ने बतौर निर्देशक इस फ़िल्म को बेहतरीन बनाने की अच्छी कोशिश किया है ।

फ़िल्म में कहानी की बात की जाए तो फ़िल्म शुरुआत से ही अविका गौर व दानिश पंडोर के प्रेम प्रसंग से शुरू होती है , जहां की मेघना का किरदार प्ले कर रही अविका गौर का 21वां जन्मदिन है । वो अपने इस जन्मदिन पर उपहार के रूप में अपने पिता से अपने बॉयफ्रेंड अर्जुन ( दानिश पंडोर )को मांगने का विचार कर चुकी होती हैं । लेकिन तभी कुछ ऐसा होता है जिसके बाद मेघना की ज़िंदगी मे सबकुछ बिखर जाता है । इसके बाद कहानी में रहस्य , रोमांच , और वो सबकुछ है जिसको आप एक हॉरर फिल्म में देखना पसंद करेंगे । फ़िल्म में मेघना ही अपने पिता की रूह के सहारे अपनी ही माँ के खिलाफ षड्यंत्र रचती है । ऐसी ही घटनाएं इस फ़िल्म को रोचक बनाती हैं । कुल मिलाकर फ़िल्म की कहानी आपको बिल्कुल ही फ्रेश दिखाई पड़ती है , और इसको देखने के बाद उत्सुकता बनी रहती है।

अभिनय की बात करें तो बालिका वधु के फ्रेम से बाहर निकलकर 70mm स्क्रीन पर उतरी अविका गौर ने अपनी पहली फ़िल्म में सधी हुई शुरुआत किया है । अविका ने हर एक्सप्रेशन को अपने हिंसाब से अपने अंदाज़ में ढालने की कोशिश किया है , शायद उन्हें निर्देशक ने ऐसा करने की छूट दे रखी होगी । फ़िल्म में बाकी के किरदार को प्ले कर रहे दानिश कुछ खास असर नहीं दिखा पाते । वहीं राहुल देव और बरखा बिष्ट ने बेहतरीन अभिनय करते हुए फ़िल्म को एक नया आयाम दिया है । केतकी कुलकर्णी ने भी एक बेहतरीन याद रखने लायक कैरेक्टर प्ले किया है ।

फ़िल्म के गीत संगीत की बात करें तो भट्ट प्रोडक्शन की फिल्मों के गीत संगीत ही फिल्मों की असली जान होते हैं । इस फ़िल्म में भी आपको एक बेहतरीन कर्णप्रिय लोरी सुनने को मिलेगी । लेकिन उसके बाद के गीत कुछ खास प्रभाव छोड़ते नज़र नहीं आते । शायद पुनीत दीक्षित से यहाँ पर थोड़ी सी चूक हो गई लगती है । बाकी बैकग्राउंड स्कोर ने हर सीन को रोचक बनाया है और उसके साथ के साउंड इफेक्ट ने हर शॉट के रहस्य रोमांच को दुगना कर दिया है ।
कुल मिलाकर देखा जाए तो फ़िल्म बेहतरीन बनी है और युवाओं में इस फ़िल्म को लेकर खास क्रेज दिखाई देने वाला है । भट्ट प्रोडक्शन की यह फ़िल्म 1920 हॉरर्स ऑफ द हार्ट देखने लायक है ।

About The Author: Swatantra Prabhat Desk