खनन माफिया! घाघरा नदी का चीर रहे सीना 

 

सरकार को बदनाम करने की साजिश!

स्वतंत्र प्रभात
अंबेडकरनगर।


खाकी और खादी के संरक्षण में अंबेडकरनगर जनपद क्षेत्र की घाघरा नदी में खनन माफिया बिना किसी खौफ के सरेआम खनन कर रातों रात लखपति बनते जा रहे हैं। साथ ही अधिकारी और सत्ताधारी छूट भैया नेता भी मालामाल हो रहे हैं, वहीं योगी सरकार बदनामी का पात्र बन गई है। इसका असर अगले वर्ष होने वाले चुनाव पर पड़ेगा।खनन माफिया नदियों से पॉप मशीन, जेसीबी, मशीनों से नदियों का सीना चीर कर बड़े-बड़े ट्रैक्टरों और ट्रकों से रेत का खनन बिना किसी डर के खनन का काम कर रहे हैं। बताया गया है कि इस संबंध में यदि कोई हलका पुलिस या जिला स्तर के प्रशासनिक अधिकारियों को रात दिन खनन होने की शिकायत करते हैं तो पुलिस व प्रशासनिक अधिकारी अधिकारी अनसुनी कर देते हैं।

यही नहीं खनन माफियाओं को शिकायतकर्ता का नाम बता देते हैं, जिससे खनन माफिया शिकायत करने वालों को रास्ते में या उनके घर जाकर दोबारा शिकायत करने पर देख लेने की  धमकियां देते हैं। तमाम शिकायतों के बावजूद कोई भी अधिकारी खनन स्थान का निरीक्षण करने को तैयार नहीं। दबी जुबान से खनन माफिया क्षेत्र के सत्ताधारी नेता और हर छोटे बड़े अधिकारी को पैसा पहुंचाने की बात भी सरेआम कह रहे हैं। खनन माफियाओ का कहना है कि जब हम नेता और अधिकारियों को पैसा देते हैं, तो हमारा कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता। नाम न छापने की शर्त पर ग्रामीणों द्वारा बताया गया कि खनन माफियाओं ने पुलिस, खनन विभाग के अधिकारी, क्षेत्रीय सत्ताधारी नेता और जिला स्तर के अनेक अधिकारियों के पैरों मे नोटों की गड्डी बांध दी हैं,

जिससे उन से उठा और खड़ा भी नहीं हुआ जा रहा है। कई ग्रामीणों ने अपना नाम ना छापने की पर बताया कि खनन के इस गोरखधंधे में खादी और खाकी वे संबंधित विभाग के अधिकारियों के साथ साथ चंद बहरुपिए तथाकथित मीडिया कर्मी भी शामिल है। जो नदियों का सीना चीर कर निकाला जा रहा रेत खनन से लहूलुहान होता देख रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि खनन रात्रि के समय भी बड़ी-बड़ी मशीनों से किया जा रहा है।

अधिकारियों के दम पर चल रहा खुलेआम अवैध खनन रुकने का नाम नहीं ले रहा, खनन माफिया रायल्टी और टैक्स की चोरी भी कर रहे हैं, जिससे प्रदेश सरकार को करोड़ों का चूना लग रहा है। लेकिन अंबेडकरनगर का प्रशासन खनन माफियाओं के सामने नतमस्तक है। आवाज उठाने वाले को मिलती धमकी अधिकारियों की खामोशी की वजह से गरीब तबके के ग्रामीणों व छोटे किसानों का बुरा हाल है।

अगर कोई आवाज उठाता है तो खनन माफिया  जान से मारने की धमकियां दे देते है, जिसकी वजह से किसानों में और गरीबों में भय व्याप्त है। जिलाधिकारी के लिए चुनौतियों से कम नहीं होगा खनन माफियाओं पर नकेल कसना, क्योंकि इस गोरखधंधे में पुलिस के साथ साथ सत्ता की खादी भी शामिल है।

About The Author: Swatantra Prabhat UP