सहायक श्रमायुक्त कार्यालय में पकड़ा गया सीएससी संचालक, कर्मचारी बनकर करता था धन-उगाही

मजदूर को कार्यालय से योजना का लाभ दिलाने के नाम पर  अवैध वसूली,नियुक्तिकरण में किसकी भूमिका संलिप्त

विभाग के अनाधिकृत व्यक्ति शैलेंद्र गौतम श्रम विभाग कार्यालय में बैठकर कंप्यूटर, लैपटॉप,फॉर्म सहित पकड़ा गया गरीब श्रमिकों से करता था अवैध उगाही मनमानी वसूली

रिपोर्ट चंदन दुबे क्राइम रिपोर्टर मीरजापुर

स्वंतत्र प्रभात

मीरजापुर। 

 

काफी लंबे समय से शिकायत मिलने पर बुधवार की शाम जंगी रोड स्थित विंध्याचल मंडल मे श्रमायुक्त कार्यालय मे डिप्टी लेबर कमिश्नर पंकज राणा ने एक अनाधिकृत व्यक्ति को जो कार्यालय में बैठ कंप्यूटर लैपटॉप पे काम करते वक्त रंगो हाथ पकड़ा गया।

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जहां एक गरीब मजदूर ओमप्रकाश नामक शख्स को करीब साल भर से सरकारी सुविधा के लाभ के लिए दौड़ाया जा रहा था और ₹1000 की अवैध मांग को लेकर सरकारी दिशा निर्देशों के तार-तार किया जा रहा था

बताते चले की सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार 


जनपद के जंगी रोड स्थित सयाहक श्रमआयुक्त कार्यालय में 31मई दिन बुधवार को श्रम विभाग के डिप्टी कमिश्नर कार्यालय में मौजूद थे। जहां उनसे एक पीड़ित पंजीकृत श्रमिक (मजदूर)ओमप्रकाश नाम के व्यक्ति ने अधिकारी को माई बाप संबोधित करते हुए शिकायत किया की  मैने मातृत्व शिशु एवं बालिका मदद योजना में ऑनलाइन आवेदन काफी लम्बे समय से किया है।

लेकिन पैसा की व्यवस्था पूरी ना कर पाने के कारण हमारा काम नही किया जारहा है। इस मामले पर तत्काल वहां नाजायज रूप से अपने आपको कर्मचारी अधिकारी बताने वाला मौजूद व्यक्ति शैलेंद्र जो सरकारी कार्यालय में बैठकर काम कर रहा था। जिसे रंगो हाथ धर लिया गया  और पूछताछ की गई

जहां उस आरोपी के द्वारा ₹1000 की मांग की गई थी। बता दें कि शैलेंद्र गौतम वहां अपने आपको अधिकारी बनकर गरीबों मजदूरों से फॉर्म फिलअप कराने के नाम पर पैसे मांगता था। जहां सूत्र बताते हैं की इसी व्यक्ति के द्वारा सरकारी कार्यालय में बैठकर मजदूरों से अवैध वसूली की जाती थी। बता दें कि अधिकारी के पहल के बाद पीड़ित व्यक्ति ओमप्रकाश से ₹500 जो लिए गए थे उसे वापस दिलाएगा और आश्वासन दिया गया कि जल्द ही योजना का लाभ मिलेगा।


विशेष सूत्र अवैध वसूली में कई अधिकारियों की संलिप्तता


पकड़ा गया आरोपी शैलेंद्र गौतम कई वर्षो से श्रम विभाग कार्यालय में आए दिन  यहां के अधिकारियों की मदद से काम किया करता था। शैलेंद्र के द्वारा गरीब गुमराह कर के मजदूरों  का फॉर्म फिलअप करा अवैध वसूली किया जाता रहा। बता दें कि इस प्रकरण के बाद डिप्टी श्रमआयुक्त पंकज राणा ने मजदूर के ₹500 वापस दिलाकर एफ आई आर के आदेश दिए हैं। जहां खबर लिखे जाने तक अब तक FIR का अपडेट नहीं मिला है।

अहम पॉइंट अवैध वसूली में कौन कौन जिम्मेदार जांच का विषय


मजदूर कर्मचारियों के लिए श्रम आयुक्त विभाग का गठन हुआ जिस विभाग में मजदूरों के लिए उनके सहयोग के लिए सरकारी सुविधाओं का योजनाओं का लाभ दिया जाता है उसी विभाग से वसूली का मामला सामने आया, गौरतलब बात अहम बात यह कि जहां विशेष सूत्रों से मिली जानकारी प्राप्त हुआ की 2017 से एक शख्स डीएलसी श्रम आयुक्त कार्यालय में प्रतिदिन आता जाता रहा।


अधिकारियों के नाक के नीचे वसूली का कांड करता रहा कई शिकायतें हुई पर कोई कार्यवाही नहीं हुई जहां मजबूरी में मरता क्या न करता के तौर पर मजबूर मजदूर लोगों के द्वारा फिलहाल लाभ लेने के लिए अपना काम करा लिया जाता रहा पर वही जहां सरकार में जिम्मेदार दायित्व पर बैठे लोग के आंखों में शर्म तक नहीं।गौरतलब अहम बात यह है की जहां जांच हो तो यह पोल खुल जायेगा और 1–1 भ्रष्ट अधिकारियों का नाम सामने आ जाएगा

जहां ध्यान देने वाली बात यह है कि पहले तो पकड़े गए आरोपी के मोबाइल नंबर से जांच हो की कौन-कौन अधिकारी इस लूट कांड में सम्मिलित है। दूसरा सीसीटीवी फुटेज निकाले जाएं 15से 20 दिन 1 महीने के इस दरमियां कितने व्यक्तियों को लाभ दिया गया है उन व्यक्तियों से पूछताछ किया जाए की उनसे कितने अवैध पैसे वसूले गए हैं। जहां निष्पक्ष जांच और धन उगाही का मामला अपने आप श्रम आयुक्त कार्यालय का सामने आ जाएगा।

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