बाराबंकी-सवतंत्र प्रभात -
बीते दिनों वन विभाग द्वारा आधा दर्जन से अधिक प्रतिबंधित प्रजाति के अधिक ऑक्सीजन देने वाले गूलर के वृक्षों का परमिट जारी किया गया था जिसमें देखा जाए तो क्षेत्रीय वन दरोगा की बड़ी ही अहम भूमिका मानी जाती है जिन्होंने प्रतिबंधित प्रजाति के पेड़ों की कटान करवाने के लिए हरे पेड़ों पर अपनी आंख्या लगाकर विभाग से पैरवी करते हुए परमिट जारी करवा दिया पूरा मामला बाराबंकी जनपद के हरख रेंज के कोठी थाना क्षेत्र के अंतर्गत ग्राम पंचायत गुलरिहा गांव का है।
जहां पर वन माफिया द्वारा वन विभाग को हैक करते हुए टीवी पर अधिक ऑक्सीजन देने वाले हरे-भरे आधा दर्जन से अधिक फलदार प्रतिबंधित प्रजाति के गूलर वृक्षों को काट डाला जो बगैर टी पी बनवाये दिन दहाड़े पिकप पर कटी लकड़ी लाद कर राजस्व पूर्ति में सेंध लगाने का काम वन माफिया सहित वन विभाग करता है।
वन विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत के चलते वन माफिया हरे भरे वृक्षों को वन दरोगा की रिपोर्ट पर परमिट जारी करने का खेल बदस्तूर जारी है जो 14 मई को गुलरिया गांव में वन माफिया द्वारा 7 हरे भरे गूलर के पेड़ों को धराशाई कर दिया उसके बाद बिना टीपी के लगातार लकड़ी को 18 किलोमीटर दूर नई सड़क पर वन विभाग के संरक्षण में चलने वाली प्रतिबंधित प्रजाति की लकड़ी खरीदने वाली अड्डी पर पहुंचा दिया गया स्थानीय लोगों द्वारा इसकी शिकायत पुलिस और वन विभाग से की गई।
लेकिन वन विभाग ने परमीत की बात कहते हुए अपना पल्ला झाड़ लिया उक्त मामले को लेकर जब छेत्री वन दरोगा एवं डिप्टी रेंजर से बात की गई तो उन्होंने परमिट जारी होने की बात बताया आखिर एक साथ प्रतिबंधित प्रजाति के इतने पेड़ों का परमिट कैसे जारी हो गया यह तो जांच का विषय है।