"धन कुबेरों से बन बैठा,
आज अदानी यार,
पैसा इतना कहां से आया,
पूछ रहा संसार,
चाल में रहने वाले ने,
ऐसी गणित भिड़ाई,
होंठ सिले हैं सबके देखो,
मौन है चौकीदार..
वही अजय प्रधान ने..
यमराज आए कवि जी के लेने प्राण, हाथ जोड़कर बोला प्रभुजी कीजिए एक काम की कविता सुनाकर..
डां●आलोक कुमार शुक्ला ने काव्य पाठ पढा
रास्ते बदलते नहीं, आदमी बदलते हैं नहीं..
फूलों का सौदा हुआ कंटको के महलों में..
ये चलन चला रहे हैं वही,
जो चलन बदलते हैं..
प्रदीप महाजन ने
भला बताओकैसे बनी भारत महान.
यहाँ तो दो- दो हिन्दुस्तान
इनके घरा है छपरा कोरिया..
उनके हैं भवन आलीशान..
ई तरसे रोटी खातिर..
उई रोज खाएं पकवान..
कवि सम्मेलन की अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ रचनाकार राष्ट्रवाद को समर्पित देश की कुर्सी पर यदि मटारूआ बैठा होता.हमारी हिंद ने भी आसमां छुआ होता हमारी उर्दू ने भी आसमां चुका होता. गरीब गांव से कोई जज हुआहोता. कवि सम्मेलन में राजकुमार सोनी, नागेंद्र सिंह सरस गोंडवी, वीरेंद्र सिंह, ओ.पी. वर्मा आदि सुप्रसिद्ध कवियों ने कविता पाठ किया..
किसान सभा के प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य रणधीर सिंह सुमन ने सभी कवियों का स्वागत किया तथा कार्यक्रम के स्वागतध्यक्ष वीरेंद्र बहादुर सिंह दद्दू ने सभी का आभार व्यक्त किया. कवि सम्मेलन में किसान सभा के प्रदेश सचिव रामकुमार भारती विनय कुमार सिंह जिला अध्यक्ष उत्तर प्रदेश किसान सभा, प्रवीण कुमार, राम नरेश वर्मा, नैमिष, चंद्रशेखर यादव शिवदर्शन वर्मा, बृजमोहन वर्मा, श्याम सिंह आदि उपस्थित रहे