कांग्रेस में अब राहुल गांधी को चुनौती देने वाला कोई नहीं। 

कर्नाटक की जीत के बाद विपक्ष में भी कांग्रेस का रुतबा बढ़ा

 

 


स्वतंत्र प्रभात
ब्यूरो प्रयागराज 
दया शंकर त्रिपाठी की रिपोर्ट।

गत लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद जब राहुल गांधी ने कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया, तब कांग्रेस के नेताओं में राहुल को मनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। लेकिन राहुल गांधी अपनी बात पर अडिग रहे। इसी दौरान कपिल सिब्बल, पी चिदंबरम, गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा जैसे अनेक नेताओं ने कांग्रेस का नेतृत्व कर रहे गांधी परिवार की कार्यशैली पर ऐतराज भी जताया। तब एक बार फिर सोनिया गांधी को ही अंतरिम अध्यक्ष बना दिया गया। नेताओं को उम्मीद थी कि आज नहीं तो कल राहुल गांधी अध्यक्ष पद स्वीकार कर लेंगे। 

लेकिन गत वर्ष यह उम्मीद भी बेकार साबित हुई और मल्लिकार्जुन खडग़े को कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनना ही पड़ा। कांग्रेस गांधी परिवार से मुक्त हुई तो राहुल गांधी ने अपने दम पर भारत जोड़ों यात्रा निकाली। हालांकि इस यात्रा के दौरान ही कांग्रेस को गुजरात में बुरी हार का सामना करना पड़ा। लेकिन अब जब कर्नाटक में कांग्रेस की शानदार जीत हुई है, तब जीत का श्रेय राहुल गांधी को ही दिया जा रहा है। राजनीतिक समीक्षक भी मानते हैं कि राहुल की भारत जोड़ों यात्रा 21 दिन कर्नाटक में ही रही, इसलिए कांग्रेस को जीत हासिल हुई। राहुल ने कांग्रेस के किसी पद पर नहीं रहते हुए कर्नाटक में जीत दिलवाई है। इसलिए अब कांग्रेस में राहुल के नेतृत्व को चुनौती देने वाला कोई नहीं है। संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल से लेकर रणदीप सुरजेवाला तक राहुल को अपना नेता मानते हैं। राहुल ने यह प्रदर्शित किया है कि वे पद के बगैर भी कांग्रेस का नेतृत्व कर सकते हैं।
  
विपक्ष में भी दबदबा।


कांग्रेस की लगातार हो रही हार के कारण विपक्ष में भी कांग्रेस की स्थिति बेहद कमजोर हो गई थी। ममता बनर्जी, शरद पवार, अखिलेश यादव, अरविंद केजरीवाल आदि को भी राहुल गांधी से बड़ा माना जाने लगा। लेकिन कर्नाटक की जीत ने विपक्ष में कांग्रेस का दबदबा बढ़ा दिया है। मौजूदा समय में राजस्थान, छत्तीसगढ़, कर्नाटक और हिमाचल में कांग्रेस की सरकार है तो तीन राज्यों में कांग्रेस के समर्थन से सरकार चल रही है। ऐसी स्थिति किसी अन्य विपक्षी दल की नहीं है।

 कर्नाटक की जीत के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने तो राहुल गांधी को प्रधानमंत्री पद का दावेदार भी बता दिया। विपक्ष का कोई नेता माने या नहीं लेकिन विपक्ष में सबसे मजबूत स्थिति मौजूदा समय में कांग्रेस की है। कांग्रेस अपनी इस स्थिति को कब तक बरकरार रखती है इसका पता इसी वर्ष होने वाले राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना के विधानसभा चुनाव में पता चल जाएगा।
  
सोनिया सबसे ज्यादा खुश।


कर्नाटक की जीत के बाद जब देश भर में राहुल गांधी की चर्चा हो रही है, तब सबसे ज्यादा खुशी मां सोनिया गांधी को ही है। 2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद पूरे देश में कांग्रेस को जिस तरह हार का सामना करना पड़ा, उसमें भी सबसे ज्यादा निराशा सोनिया गांधी को हुई। क्योंकि कांग्रेस की हार का ठीकरा उनके पुत्र राहुल गांधी के सिर पर ही फोड़ा गया। खुद राहुल गांधी ने स्वीकार किया कि उनकी स्थिति को पप्पू जैसा बना दिया गया है।

 हिमाचल की जीत से पहले तो कांग्रेस की सिर्फ दो राज्यों में ही सरकार रह गई थी। एक साथ 23 कांग्रेस नेताओं ने राहुल गांधी और सोनिया गांधी का विरोध किया तो तब कांग्रेस को सबसे बुरे दौर से गुजरना पड़ा, लेकिन कर्नाटक की जीत से कांग्रेस उसे बुरे दौर से बाहर निकलेगी। सोनिया गांधी को भी इस बात की खुशी है कि अब कांग्रेस में उनके पुत्र को चुनौती देने वाला कोई नहीं है। 

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