लाहौर।
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने आरोप लगाया है कि दो बार उनकी हत्या की कोशिश करने वाले आईएसआई अधिकारी मेजर जनरल फैसल नसीर वरिष्ठ पत्रकार अरशद शरीफ की हत्या में शामिल थे। खान ने यह टिप्पणी लाहौर में अपने ‘बुलेट-बम-प्रूफ’ वाहन से एक रैली को संबोधित करते हुए की। रैली का वीडियो लिंक के जरिए अन्य शहरों में सीधा प्रसारण किया गया। पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी प्रमुख खान ने कहा, “(पाकिस्तानी गुप्तचर एजेंसी) इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) के मेजर-जनरल फैसल नसीर ने दो बार मेरी हत्या करने की कोशिश की। वह (टेलीविजन प्रस्तोता) अरशद शरीफ के कत्ल में भी शामिल हैं। उन्होंने मेरी पार्टी की सीनेटर आज़म स्वाति को भी निर्वस्त्र कर उन्हें यातना दी थी।”
खान ने कहा कि उनकी पार्टी पंजाब में चुनाव की मांग को लेकर अगले हफ्ते से 14 मई तक रैलियां आयोजित करेगी। उन्होंने कहा कि अगर उच्चतम न्यायालय की अवज्ञा की जाती है, तो संविधान ध्वस्त हो जाएगा। उन्होंने कहा इसका मतलब कानून के शासन का अंत और जंगल राज की शुरुआत होना है। हम ऐसा नहीं होने देंगे।” खान ने यह भी सवाल किया कि प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ब्रिटेन में क्या कर रहे हैं? शहबाज, ब्रिटेन के महाराजा चार्ल्स तृतीय के राज्याभिषेक में हिस्सा लेने के लिए लंदन गये थे। खान ने शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के एक सम्मेलन में शिरकत करने के वास्ते भारत जाने के लिए विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी की भी आलोचना की। खान ने सवाल किया कि भारत यात्रा से क्या फायदा हुआ। उन्होंने कहा, पाकिस्तान की दुनिया में बदनामी हुई है।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एससीओ की बैठक में अपने संबोधन में भुट्टो-जरदारी को आड़े हाथों लिया था और पाकिस्तान के विदेश मंत्री के उस बयान का विरोध किया गया था, जिसमें कहा गया था कि आतंकवाद का इस्तेमाल ‘‘कूटनीतिक फायदे के लिए हथियार’’ के तौर पर नहीं करना चाहिए। इस बयान को भारत के संदर्भ में देखा गया था। बाद में संवाददाता सम्मेलन में, जयशंकर ने कहा कि भुट्टो-जरदारी के इस बयान ने अनजाने में एक मानसिकता को उजागर किया है। जयशंकर ने उन पर आतंकवाद को बढ़ावा देने, इसे जायज ठहराने और आतंकवाद का प्रवक्ता होने का आरोप लगाया। खान ने जयशंकर की टिप्पणियों को लेकर उनकी आलोचना की और कहा कि पाकिस्तान के विदेश मंत्री को कूटनीतिक रूप से जोखिम भरी यात्रा पर जाने से पहले इसके नफा-नुकसान पर विचार करना चाहिए था।
सेना के आलोचक रहे अरशद शरीफ की पिछले साल अक्टूबर में केन्या में हत्या कर दी गई थी। वह सुरक्षा एजेंसियों से अपनी जान को खतरा होने का जिक्र करते हुए देश छोड़ कर भाग गए थे। केन्या में पुलिस ने खोजी पत्रकार पर गोली चलाई थी, जिससे उनकी मौत हुई थी। केन्या की पुलिस ने अपनी शुरुआती रिपोर्ट में कहा था कि गलत पहचान के चलते 49 वर्षीय व्यक्ति की गाड़ी पर गोली चलाई गई थी जिससे उनकी मौत हो गई। खान (71) ने इससे पहले, प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और गृह मंत्री राणा सनाउल्लाह के साथ-साथ जनरल नसीर पर पिछले साल नवंबर में पंजाब प्रांत के वजीराबाद में उनकी (खान की) हत्या की कोशिश करने का आरोप लगाया था। इस हमले में उनके पैर में तीन गोलियां लगी थीं।
पूर्व क्रिकेटर ने कहा, “ यह व्यक्ति(जनरल नसीर) पिछले 20 महीनों से मेरी पार्टी के लोगों पर जुल्म कर रहा है, लेकिन उसकी संस्था (सेना) में किसी को इसकी परवाह नहीं है। पाकिस्तान से प्यार करने वाला कोई भी व्यक्ति वह नहीं कर सकता जो यह कर रहा है।” खान ने मौजूदा सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर से परोक्ष रूप से यह सवाल किया कि वह आईएसआई के इस कर्मी पर कार्रवाई क्यों नहीं करते हैं? उन्होंने देश के लोगों से माफिया शासकों और उनके आकाओं (सैन्य प्रतिष्ठान में मौजूद तत्वों) के खिलाफ सड़कों पर उतरने की अपील की। उन्होंने कहा, “ हत्या की इन योजनाओं के बावजूद मैं इस देश की खातिर सड़क पर उतर कर विरोध कर रहा हूं। मेरा साथ देना आपका फर्ज है क्योंकि यह सियायत नहीं बल्कि जेहाद है-असली आज़ादी के लिए लड़ना कभी राजनीति नहीं होती है।”