बीजेपी खिलाडी बृजभूषण शरण सिंह या केवल राजनीति सही  कौन.?

सच कि परख

यही पहलवान जब नंदिनी नगर में कुश्ती लड़ने आते थे तो ब्रजभूषण सिंह को पिता तुल्य अभिवावक बताते थे ,अब यौन शोषणकर्ता बता रहे पता नहीं पहले सच बोल रहे थे या अब बोल रहे कुछ तो चुनाव के समय प्रचार भी किए

स्वतंत्र प्रभात 

आनंद  वेदांती अयोध्या

 अयोध्या दिल्ली पुलिस ने कुश्ती महासंघ के प्रमुख ओलम्पिक पदक विजेता खिलाड़ियों के लगातार    विरोध धरने  से गंभीर  मुद्दा होते देख बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ कनॉट प्लेस मे 2 FIR दर्ज हो गई जिसमे एक पस्को एक्ट के तहत भी FIR दर्ज हुई है लेकिन इस मामले को सही से समझने  और इसके पीछे  कितनी बड़ी  साजिश हो सकती  है इस पर मे आज आपका ध्यान ले जाता हूँ  बृजभूषण शरण सिंह कि राजनीतक पकड़ और  उनकी हैसियत यूपी को हिला सकती है इसमें तनिक  भी  संदेह नहीं है 

लेकिन ये बात केवल एक व्यक्ति विशेष  तक नहीं है इसमें खेल के बहाने कितनी बड़ी राजनीती हो सकती है या हो रही है यह कहना  मुश्किल है  दो साल पहले ले चल  रहा हूँ कड़ी आपको पकड़ मे तब सही से आएगी नवंबर 2021 में भारतीय कुश्ती महासंघ ने कई नियमों में बदलाव किए थे। जिसमे तय हुआ था कि ओलंपिक के लिए कुश्ती इवेंट में खिलाड़ियों को चुनने से पहले ओलंपिक कोटा हासिल करने वाले खिलाड़ियों को भी ट्रायल्स में भाग लेने के लिए कहा जा सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि ओलंपिक से पहले कई अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट्स होते हैं।
इसमें जीतने वाले खिलाड़ी को ओलंपिक का कोटा मिल जाता है। जो देश जितने टूर्नामेंट्स जीतता है, उसके उतने ज्यादा खिलाड़ी ओलंपिक में जा सकते हैं। हालांकि, ये प्रतियोगिताएं ओलंपिक से काफी पहले होतीं हैं, इसलिए भारतीय कुश्ती महासंघ का कहना था कि ओलंपिक के लिए फाइनल नाम तय करने से पहले सभी खिलाड़ियों को ट्रायल से गुजरना पड़ेगा ताकि पहलवानों की तैयारियों का पता लगाया जा सके। फिट और पूरी तैयारी कर चुका पहलवान ही टीम में चुना जा सके और खेलने जाए।

फिर चाहे किसी दिग्गज ने खुद ओलंपिक कोटा क्यों न हासिल किया हो। शूटिंग हो या आर्चरी, इन खेलों में यही नियम है कि कोटा कोई भी खिलाड़ी हासिल करे, लेकिन शूटिंग फेडरेशन अपने हिसाब से खिलाड़ियों को भेजता है। कुश्ती में पहले ये होता था कि जो खिलाड़ी ओलंपिक कोटा हासिल कर लेता था, उसे ही टीम में जगह मिल जाती थी, लेकिन 2021 में नियमों को बदला गया। 

भारतीय कुश्ती संघ ने इन नियमों में बदलाव को लेकर वजह बताई थी कि ओलंपिक कोटा हासिल करने के बाद कुछ खिलाड़ी चोटिल हो जाते हैं या आउट ऑफ फॉर्म होते हैं। हालांकि, वह इन बातों का छिपाते हैं और ओलंपिक खेलने चले जाते हैं। इससे हमारे मेडल की संख्या में कमी आती है।

पहले  ज्यादा तर पहलवान एक विशेष छेत्र से थे  ज़ब से बृजभूषण शरण सिंह के सक्रियता बढ़ी है और नियमों मे  बदलाव से यूपी आदि जगहों कि त्रिज्या बढ़ रही है यह भी एक पुराने राज वालो को खटक रहा हो सकता है फिर भी  नवंबर 2021 के नियमों से किसी कि भी  योग्यता पर संदेह नहीं अब रह गया है फिर अध्यक्ष पर केवल  पद कि वजह से  इल्जाम लगा  या  राजनीतीक कद कि वजह से ये तो सही तब पता चलेगा  ज़ब सही तरह जाँच  हो वैसे भी ये भी  सही है कि पद के दुरूपयोग भी  हुए है लेकिन यहां मामला कुछ  और भी  हो सकता है कुछ समझ न आ रहा ,यही पहलवान जब नंदिनी नगर में कुश्ती लड़ने आते थे तो ब्रजभूषण सिंह को पिता तुल्य अभिवावक बताते थे ,अब यौन शोषणकर्ता बता रहे ।

        पता नहीं पहले सच बोल रहे थे या अब बोल रहे ।कुछ तो चुनाव के समय प्रचार भी किए थे ,अब कह रहे सालों से शोषण हो रहा.....अब ये भी है
 उसकी नजर 24 पर है.... पडोसी  मे दम नहीं है... यूपी सबसे बड़ी राजनीती का केंद्र है.....यही से लोकसभा तय हमेशा से ही  होती रही  है. वो सोचे होंगे...चाय वाले को लपेटना आसना  नहीं जो कमी थी  इनके दल मे ज्यादा तर इनके डर से सुधर गये.. या निकल गये या.. निकाल  दिये गये... फिर किसे लपेटे कि पूरी पार्टी देश विदेश तक बदनाम हो.....सवाल समझ मे आ रहे है न देव तुल्य जनता जनार्दन आपको कहा मोडा जा रहा है .?  जड़ पकड़ो पूरा पेड़ हिल जाय ?
मे आनंद  वेदांती  एक  प्रसंग और  यहां  लिखता  हूँ जो जगत विख्यात है कि पाप तो एक दिन खुद ही बाहर आता है लेकिन सड्यंत्र मे जो समय गुजरात है और जो नुकसान होता है कभी कभी  उसकी भरपाई  पुरे जीवन  करनी पड़ती है l जैसे महाभारत होने के बाद जिनका संहार हुआ जो नुकसान हुआ उसके  दोषी सभी नहीं थे l

 

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