गोपालगंज में श्रम कानून नाम की कोई चीज नहीं

स्वतंत्र प्रभात 
 
गोपालगंज जिले के विष्णु सुगर मिल हरखुआ गोपालगंज का मनमानापन इसलिए भी बढ गया क्योंकि जिले में गन्ना किसानों के लिए चल रही दो दूकाने सासामुसा चीनी मिल और हथुआ सुगर मिल बंद हो गये जिला मुख्यालय में एकमात्र विष्णु सुगर मिल हरखुआ गोपालगंज हीं गन्ने की पेराई करता है  जिले के पूर्वी हिस्से में भारत सुगर मिल सिधवलिया है
 अब विष्णु सुगर मिल का इतना मनमानापन है कि उसके अधिकारियों को श्रम कानूनों की कोई परवाह नहीं है  विष्णु सुगर मिल हरखुआ के महाप्रबंधक और सहायक महाप्रबंधक ए पी सिंह श्रम कानूनों की धज्जियां उड़ाते रहते हैं वर्षों से काम कर रहे मजदूरों के जीवन से खिलवाड़ करना अपनी आदत बना लिए हैं कब किसको मुंह से फतवा जारी कर हटा देंगे यह कहना मुश्किल है श्रम कानूनों में प्रावधान है कि वह चाहे सरकारी व्यवस्था हो या प्राइवेट,अगर किसी को हटाना है तो पहले उसे कारण पृच्छा किया जाता है और जबाब प्राप्त होने के बाद उसे हटाया या रखा जाता है पर विष्णु सुगर मिल हरखुआ गोपालगंज के प्रबंधन का अपना रिवाज है यहां कोई श्रम कानून नहीं होता क्योंकि कामगारों को न चिठी न पत्री,न बुलावा,बस उन्हें केवल गेट आउट कह कर हटा देते हैं ऐसी हरकतें प्रतिवर्ष कामगारों के साथ घटित होती है  श्रम कानून का पालन करवाने के लिए सरकारी अधिकारी के रुप में श्रम अधीक्षक की पदस्थापना है पर श्रम कानूनों की उड़ती धज्जियो के बारे में उन्हें क्यों नहीं मालूम, नहीं कहा जा सकता विष्णु सुगर मिल हरखुआ गोपालगंज के कामगार राजनारायण सिंह, सुग्रीव यादव, नागेन्द्र यादव, रामाशंकर यादव, विशाल चौबे, राजेन्द्र श्रीवास्तव सहित कई कामगारों को बिना चिठी पत्री मिल के अधिकारी द्वय ने हटा दिया और वे कामगार न्याय के लिए भटक रहे हैं
 
 
 
 
 

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