चुनाव से पहले फिर आएगा कोरोना

स्वतंत्र प्रभात -   

 भविष्य के बारे में केवल भविष्यवक्ता जानते हैं लेकिन मुझे आभास हो रहा है कि चुनावों से पहले देश में एक बार फिर कोरोना आएगा और सरकार के साथ -साथ माननीय गौतम अडाणी सर को बचा ले जाएगा। देश में कोरोना के मामले जिस गति से बढ़ रहे हैं उसे देखकर लगता है कि  सरकार कोरोना की आड़ में एक बार फिर खेल खेलेगी। स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक़ देश में पिछले 24  घंटे में कोरोना के 6050  नए मामले दर्ज किये गए।


मुमकिन है कि  मेरी आशंका एकदम निर्मूल भी हो किन्तु जिस ढंग से संसद में मिथ्या भाषण करने वाले केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मान्डविया सक्रिय हैं उसे देखकर लगता है कि  कुछ न कुछ खेल होने वाला है ।  कोरोना पिछले दो चक्रों में अपना विकराल रूप दिखा चुका है ।  कोरोना नियंत्रण को लेकर सरकार ने अपनी पीठ खुद थपथपाई थी ,लेकिन जनता के सामने इंतजामों की पोल खुल गयी थी। लोग बिना ऑक्सीजन और दवाओं के तड़फ-तड़फ कर मरे थे। वृहद टीकाकरण से कोरोना कोने में छिपकर बैठ गया, किन्तु मरा नहीं। कोरोना क्या कोई भी विषाणु कभी मरते नहीं देखा।


देश में जिस तरीके से पिछले दिनों राहुल गाँधी को मानहानि मामले में सजा सुनाई गयी,उनकी लोकसभा की सदयता छीनी गयी,जिस तरह से संसद में हंगामा हुआ ,उसे देखते हुए सरकार को नए शिगूफे की जरूरत है। सरकार अडाणी मामले में अपना मुंह खोलने के लिए राजी नहीं है और राहुल गांधी सवाल पूछना बंद नहीं कर रहे। ऐसे में अडानी को बचने के लिए कोरोना यदि औजार बन जाए तो किसी को हैरानी नहीं होना चाहिए। सरकार ने 19  राज्यों के साथ बैठक कर कोरोना की चाल रोकने के लिए बैठक की है। ये वे राज्य  हैं जहां भाजपा की सरकार है और हर तरीके से 2023  के अनेक विधानसभा चुनाव और 2024  का आम चुना जीतने के लिए कुछ भी करने को तैयार है।


अमृतकाल में सरकार को भी अपना वजूद बनाये रखने के लिए अमृत की बूंदों की जरूरत है ,क्योंकि उसकी कथित लोकप्रियता और उपलब्धियों की पोल रोज खुल रही है। सरकार को बचाने के लिए उपराष्ट्रपति जयदीप धनकड़ को भी नेताओं की तरह परोक्ष रूप से राहुल गांधी पर निशाना साधना पड़ रहा है। धनकड़  को नमक का कर्ज भी तो उतारना है आखिर। वे बिना बोले कैसे रह सकते हैं ? पद की मर्यादा भी उन्हें शायद ही बोलने से रोक पाए। जब वे राज्य पाल थे तब भी खुलकर बोलते थे। अपनी पार्टी कि लिए पार्टी बन जाते थे ,उन्होंने बंगाल की मुख्यमंत्री सुश्री ममता बनर्जी से जमकर टक्कर  ली थी।


आप कहेंगे कि  कोरोना की बात करते-करते मै धनकड़ पर कैसे आ गया ? लेकिन आना पड़ता है क्योंकि धनकड़ हमेशा अपनी भूमिका के साथ अतिक्रमण करते हैं जो अलोकतांत्रिक है। अपना काम इन सबकी और इंगित करना है। देश में इस समय कोरोना के 28303  मामले सक्रिय हैं। ये आंकड़ा बहुत ज्यादा नहीं है किन्तु जब कपडे का सांप या तिल का ताड़ बनाया जाना हो तो ये आंकड़े पर्याप्त हैं। सरकार कहती है कि  32  फीसदी मामले नए कोरोना विषाणु एक्स विवि 1.16  के हैं। याद रखिये अब कोरोना जानलेवा नहीं है ,लेकिन सरकार के लिए जनता की जान की चिंता करना एक बड़ा काम है।
सरकार को बचाने के लिए अब शरद यादव भी सामने आ गए है।

 वे कहते हैं कि  अडाणी मामले की जांच के लिए जेपीसी की मांग का कोई अर्थ नहीं क्योंकि इससे सच्चाई सामने नहीं आ पाएगी। जाहिर है कि  पंवार साहब को भी ईडी,सीबीआई का डर सताता होगा अन्यथा जिस मुद्दे पर पिछले दिनों संसद ठप्प रही ,विपक्ष एक हुआ उस मुद्दे पर पंवार अचानक अपना रुख क्यों बदलते ? पंवार साहब की अब की महत्वाकांक्षा नहीं रही ।  लेकिन वे आखरी वक्त में अपमानित  या लांछित नहीं होना चाहते इसलिए अपना सुर बदलने को विवश हैं ,लेकिन उन्हें शायद नहीं पता की बात अब बहुत आगे बढ़ चुकी है। उनके सम्हालने से सम्हलने वाली नहीं है। वे विपक्षी एकता में बाधक बनकर खुद हासिये पर डाले जा सकते हैं।


बहरहाल ये समय सावधान रहने का है ।  कोरोना से भी और नेताओं से भी। सब अपना रूप-रंग बदलकर जनता के सामने आने वाले हैं। इन दोनों का कोई इलाज भी नहीं है। सिवाय सावधानी के। सावधानी बरति। पहले की तरह मास्क लगाइये,सेनेटाइजर बापरिये तो मुमकिन है कि  राजनीति का संक्रमण आपको  कोरोना से भी बचा ले और गंदी अदावती राजनीति से भी। क्योंकि ये युग इतिहास में रद्दो-बदल का समय है ।  इस समय मुगलों की वॉट लगाईं जा रही है ,हालांकि मुगलों की वॉट पहले ही अंग्रेज लगा चुके थे। अंग्रेजों ने उन्हें आखरी में दो गज जमीन में कुएं यार में नहीं दी और रंगून भिजवा दिया था ।  ये युग अकबर महान  का नहीं ,मोदी महान का है। मोदी जी महान हैं। अब इसे स्वीकार कर लेने की जरूरत है। अब मंदिरों मस्जिदों से प्रार्थनाओं और अजानों में इसे शामिल कर लेना चाहिए।मोदी जी ही सब बीमारियों का इलाज हैं।  राहुल का इलाज वे कर चुके है। बाक़ी का भी वे कर देंगे। बेफिक्र रहें और घर-घर मोदी के लिए कृतसंकल्पित रहें। वे ही संकटमोचक हैं और खुद संकट भी हैं।

संकट को संकट से ही काटा जा सकता है। राहुल का बूता नहीं है मोदी जी को अपदस्थ करने का ।  ये काम केवल जनता कर सकती है ,क्योंकि जनता हर बीमारी से जूझने और कुर्बान होने का माद्दा रखती है। मेरी नजर में न अकबर महान हैं और न मोदी ज। मै जनता को महान समझता हूँ। यहाँ भी मेरे गलत होने की गुंजाइश हो सकती है।

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