जमीन की हेराफेरी की जांच में आरोप सिद्ध होने के बावजूद दोषी लेखपाल के विरुद्ध नहीं लिखवाई जा रही एफआईआर

शिकायतकर्ता ने तहसील प्रशासन पर लगाए दोषी लेखपाल कैलाश वर्मा को बचाने के आरोप

स्वतंत्र प्रभात 
 
लखीमपुर खीरी । जमीनों का कामकाज करने वालों पर प्रशासन की नजर भले ही तेज हो गई हो और सरकार व प्रशासन बड़े-बड़े दावे किए जा रहे हो कि भूमाफिया प्रशासन की नजरों से नहीं बच पाएंगे लेकिन जब राजस्व कर्मी से लेकर ऊपर तक के लोग भूमाफिया की ताल पर थिरक रहे हो तो माफिया कैसे नहीं बचेंगे जब कार्यवाही करने वाले हाथ भूमाफिया के सर पर व जेब पर होंगे तो कौन करेगा कार्यवाही हालांकि शिकायतकर्ता विशाल भारद्वाज द्वारा गत वर्ष मुख्यमंत्री पोर्टल व जिलाधिकारी को दिए गए शिकायती प्रार्थना पत्रों की कराई गई जांच में लेखपाल कैलाश वर्मा द्वारा एडीएम के आदेश के विरुद्ध हेरा फेरी करके पट्टा निरस्त आदेश वाली भूमि को संक्रमणीय भूमिधरी घोषित करके भारी फर्जीवाड़ा किए जाने का पर्दाफाश हुआ तो उक्त लेखपाल कैलाश वर्मा ने पट्टे निरस्त किए जाने आदेश वाली पत्रावली में खुर्द बूर्द करके जमीन रामरतन पुत्र अयोध्या के नाम संक्रमणीय भूमि धरी दर्ज कर दी जिसकी शिकायत हुई थी।
 
शिकायतों की जांच में आरोपों की पुष्टि भी हुई इसके बावजूद संगीन अपराध के आरोपी लेखपाल कैलाश वर्मा के विरुद्ध मुकदमा पंजीकृत नहीं कराया जा रहा है एसडीएम सदर श्रद्धा सिंह व तहसीलदार सदर सुशील कुमार द्वारा जानबूझकर मामले में लेखपाल कैलाश वर्मा को हर संभव बचाने का प्रयास करने की नियत से जांच चल रही है कहकर लंबा किया जा रहा है अहम सवाल यह है जब प्रथम दृष्टया आरोप की पुष्टि हुई है कि हेराफेरी की गई लेखपाल के द्वारा तो फिर लेखपाल के विरुद्ध मुकदमा पंजीकृत कराने में विलंब क्यों यदि कोई आम आदमी होता तो पूरा का पूरा तहसील प्रशासन जुट जाता और एफआईआर दर्ज कराकर जेल भिजवा दिया जाता पर लेखपाल कैलाश वर्मा के मामले में ढुलमुल रवैया अपना रही है।
 
शायद इसलिए वह विभागीय कर्मी है या फिर इसमें पूर्व के एसडीएम साहब द्वारा पारित आदेश के चलते उनकी कार्यप्रणाली पर लगेंगे सवालिया निशान इसलिए मामले में लेटलतीफी  का खेल खेला जा रहा है शिकायतकर्ता द्वारा जांच आख्या की प्रतियां संलग्न करते हुए मामले की लिखित शिकायत करने की बात कही है।

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