स्वतंत्र प्रभात
नवरात्रि के तृतीय दिवस में श्रद्धालु आदि शक्ति मां के चंद्रघंटा स्वरूप का दर्शन पूजन करते हैं । मां का यह स्वरूप भक्तों का दुख दूर करती है। इन के हाथों में गदा, तलवार, धनुष , व त्रिशूल सुशोभित है। मां चंद्रघंटा ने असुरों का संहार किया था। माता के मस्तक पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र सुशोभित है इसीलिए इन्हें चंद्रघंटा कहा जाता है। *"ऊँ देवी चंद्रघंटायै नमः"* मंत्र का जप कर भक्तगण आज के दिन माता की आराधना करें ,तत्पश्चात मां को सिंदूर अक्षत,धूप, पुष्प, आदि श्रद्धा भाव से अर्पित करें। मां चंद्रघंटा को दूध से बनी मिठाई का भोग लगाएं तथा दुर्गा चालीसा का पाठ कर आरती करें।
*ध्यान मंत्र*
*वन्दे वांछित लाभाय चन्द्रार्धकृत शेखरम् । सिंहारूढा चंद्रघंटा यशस्वनीम्॥ मणिपुर स्थितां तृतीय दुर्गा त्रिनेत्राम् । खंग,गदा,त्रिशूल,चापशर,पदम कमण्डलु माला वराभीतकराम्॥ पटाम्बर परिधानां मृदुहास्या नानालंकार भूषिताम्। मंजीर हार केयूर,किंकिणि, रत्नकुण्डल मण्डिताम॥ प्रफुल्ल वंदना बिबाधारा कांत कपोलां तुगं कुचाम्। कमनीयां लावाण्यां क्षीणकटि नितम्बनीम्॥*
*स्तोत्र पाठ*
*आपदुध्दारिणी त्वंहि आद्या शक्तिः शुभपराम्। अणिमादि सिध्दिदात्री चंद्रघटा प्रणमाभ्यम्॥ चन्द्रमुखी इष्ट दात्री इष्टं मन्त्र स्वरूपणीम्। धनदात्री,आनन्ददात्री चन्द्रघंटे प्रणमाभ्यहम्॥ नानारूपधारिणी इच्छानयी ऐश्वर्यदायनीम् ।सौभाग्यारोग्यदायिनी चंद्रघंटप्रणमाभ्यहम्॥*