स्वतंत्र प्रभात
अयोध्या । विक्रम संवतसर की पूर्व संध्या चैत्रकृष्ण अमावस्या 21मार्च को आयोजित होने वाली रामकोट परिक्षेत्र की परिक्रमा की तैयारी को लेकर श्रीरामवलल्भा कुंज पर हुई संतों की बैठक।बैठक की अध्यक्षता करते हुये मणिराम दास छावनी के महंत कमलनयन दास ने कहा परिक्रमा अपने आप में सामाजिक धार्मिक समन्वय का प्रतीक है।श्रीराम लला की जन्मभूमि क्षेत्र रामकोट की परिक्रमा साक्षात ब्रम्ह का साक्षात्कार है। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्टट द्वारा संचालित श्रीराम जन्ममहोत्सव समिति के मार्गदर्शन में आयोजित नौ दिवसीय श्रीराम महोत्सव से पूर्व यह परिक्रमा समाज को व्यापक संदेश देगी। तोताद्री मठ के पीठाधीश्वर रामानुजाचार्य अनंताचार्य ने कहा देवभूमि की परिक्रमा से प्रभु प्रसन्न होंगे। विक्रमसंवतसर का स्वागत होना चाहिये।यह हमारी भारतीय संस्कृति का मेरूदंड हैं।लक्ष्मण किलाधीश मैथलीरमण शरण महाराज ने परिक्रमा सहित चलने वाले सभी कार्यक्रम को भव्यता प्रदान करने पर बल दिया। हनुमत सदन के महंत मिथलेश नंदनी शरण ने कहा भारतीय नवसंवत्सर का स्वागत करने के लिये सम्पूर्ण प्रकृत आतुर है।इस देश मे रहने वाला हर व्यक्ति भारतीय है,उसे अपने नववर्ष का संम्मान करना चाहिए।अयोध्या जी की परिक्रमा पुरातन है।चौदह कोसी, पंचकोसी चौरासी कोसी,के साथ रामकोट की परिक्रमा करने वाला भक्त मोक्ष प्राप्त करता है। उदाशीन अखाड़ा रानोपाली के महंत डां भरत दास महाराज ने कहा संत समाज के साथ जब भक्त किसी अनुष्ठान को अपने हाथ में लेते हैं तो उसे भगवान स्वयं सफल करते हैं।रामकोट की परिक्रमा में तो हमारे सभी आराध्य समलित हैं।श्री सीतारामराम जी के साथ हनुमानजी और इस नगर के कोतवाल मतगजेंद्र स्वयं उपस्थित हैं। परिक्रमा में हम सभी समलित हों और इसे संपूर्ण देश का भक्त करे ऐसा प्रयास होना चाहिए। अधिकारी राजकुमार दास ने कहा श्रीराम के जीवन चरित्र को आत्मसात करने वाला भक्त का कल्याण सुनिश्चित है।मतगजेंद्र से प्रारंभ होने वाली रामकोट परिक्रमा समाज को धार्मिक सामाजिक रुप से जोड़ती है।
इस अवसर पर महंत राम दास,महंत गिरीश पति त्रिपाठी, महंत राममंगल दास,महंत कमलादास,महंत मनीष दास,महंत बांकेदास,महंत प्रियाप्रीतम शरण,महंत सुतिक्ष्ण दास,महंत सीताराम दास,महंत संतोष दास,महंत शशिकांत दास, मह़ंत जयराम दास डा अनिल मिश्रा, कौशिक प्रमाणिक ,दुर्गेश पांडेय, शरद शर्मा, धीरेश्वर वर्मा, अन्य उपस्थित रहे।