अम्बेडकर नगर! बिचौलिए चला रहे है पीसीएफ सेंटर, डीएस पर लगे गंभीर आरोप

रिकॉर्ड के अनुसार 1 नवंबर 2022 से अभी तक कुल 1 लाख 31 हज़ार कुंटल ख़रीद हुई है

हमारी पड़ताल में आधे से ज्यादा पीसीएफ सेंटरों पर अवैधानिक व नियमों को ताक पर   रखकर किसानों से  खरीद ना करके व्यापारी व बिचौलियों से ख़रीद की जा रही है।

 

स्वतंत्र प्रभात/अम्बेडकर नगर

अम्बेडकर नगर में पीसीएफ सेंटरों पर दलाल व बिचौलिए हावी है। हमारी पड़ताल में आधे से ज्यादा पीसीएफ सेंटरों पर अवैधानिक व नियमों को ताक पर   रखकर किसानों से  खरीद ना करके व्यापारी व बिचौलियों से ख़रीद की जा रही है।
किसान अपनी फ़सल में पूरे साल अपनी मेहनत के साथ -साथ अपना खून पसीना इस उम्मीद में लगाता है कि समय आने पर वो अपनी फसल का सही दाम पाएगा। जिससे वो अपने परिवार और अपने बच्चों के भविष्य की बेहतरी के लिए कुछ अच्छा  कर सके।


सरकार भी इसी मंशा को पूरा करने के लिए तरह -तरह की योजनाएं बनाती है लेकिन योजनाएं तब सिर्फ़ कागज तक सीमित रह जाती है जब आधिकारी सरकार की नीतियों और किसान के हित के बजाय अपनी जेब भरने के लिए काम करें।
विश्वस्त सूत्रों द्वारा जानकारी मिली है कि 200 बोरा सेंटरों पर भेजा जा रहा है जबकि खरीद 300 कुंटल की हो रही है।ये कैसे संभव है? और उन बोरों की इंट्री शाम के समय की जा रही है धान की ज्यादा ख़रीद सिर्फ़ कागजों पर हो रही है अभी तक रिकॉर्ड के अनुसार 1 नवंबर 2022 से अभी तक कुल 1 लाख 31 हज़ार कुंटल ख़रीद हुई है जबकि इतना धान किसी भी स्टोर या पीसीएफ सेंटरों पर फिजिकल रूप में मौजूद नहीं है।

 

कुछ पीसीएफ सेंटरों के सचिवों से इस मामले में बात किया तो उन्होंने नाम न छापने की शर्त पर बताया की जिला प्रबंधक पीसीएफ सुशील कुमार द्धारा उन पर बिचौलियों व व्यापारियों से ख़रीद करने का दबाव बनाया जा रहा है। अब अधिकारीयों से कौन पंगा लें। हमे अपना परिवार भी देखना है। सूत्रों द्वारा जानकारी मिली है की डीएस द्वारा मोटा पैसा लखनऊ के उच्च अधिकारीयों को पहुंचाया जा रहा है इसलिए इनके ऊपर उच्च अधिकारी कोई कार्यवाही करने से बच रहे है।

 


इस मामले पर जब जिला प्रबंधक सुशील कुमार से बात करने की कोशिश की गई तो उनका नंबर स्विच ऑफ बताया।
कई किसानों और सेंटर संचालकों से बात करने पर पूरे जिले के पीसीएफ सेंटरों की हालत काफ़ी ख़राब दिख रही है इस पर उच्च अधिकारियों को जांच कर शख्त क़दम उठाने की आवश्यकता है बाकी किसान तो है ही राम भरोसे।

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