केंद्रीय टीम ने जानी टीबी मुक्त भारत अभियान की प्रगति

राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के तहत हुआ दौरा

स्वतंत्र प्रभात 
 
 
 
सीतापुर राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के तहत केंद्र स्तरीय टेक्निकल सपोर्ट यूनिट की एक टीम ने मंगलवार को जिले का दौरा किया। टीम ने जिला क्षय रोग केंद्र पर बैठक कर टीबी मुक्त भारत अभियान की जानकारी प्राप्त की।
 
 
टीम के सदस्यों ने नोटिफिकेशनए डीबीटीए ट्रीटमेंट सक्सेस रेट, निक्षय पोषण,  एलिजिबल कॉन्ट्रैक्ट चिल्ड्रंस (6 साल से छोटे बच्चे), पेशेंट विद नान एचआईवी,  यूडीएसटी (यूनिवर्सल ड्रग सब्सिडी टेस्ट) एमडीआर पेशेंट सहित टीबी के
 
 
नौ इंडिकेटर को ध्यान में रखकर एसीएमओ व डीटीओ डॉ. एसके शाही और राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के जिला कार्यक्रम समन्वयक आशीष दीक्षित से बात कर जानकारी एकत्र की।
 
 
इस दौरान डीटीओ ने बताया कि जिले में लक्ष्य के सापेक्ष 98 प्रतिशत से भी अधिक मरीजों को  चिन्हित किया जा चुका है, साथ ही 77 प्रतिशत से अधिक टीबी रोगियों को नियमित रूप से पोषण भत्ता दिया जा रहा है।
 
 
इसके अलावा टीम ने गोद लिए जाने वाले मरीजों की स्थिति की भी जानकारी प्राप्त की। निजी चिकित्सकों द्वारा टीबी मरीजों की जानकारी से संबंधित विवरण निक्षय पोर्टल पर कम दर्ज क्यों हो रहा है, इसकी पड़ताल के लिए टीम ने निजी चिकित्सकों के
 
 
क्लीनिक और नर्सिंग होम का दौरा कर उनसे जानकारी प्राप्त की। इसके अलावा टीम के सदस्यों ने कुछ पैथालॉजी केंद्रों और मेडिकल स्टोर के संचालकों से
 
 
भी मुलाकात कर इस बारे में बातचीत की। इसके बाद टीम के सदस्यों ने सीएमओ डॉ. मधु गैरोला व जिलाधिकारी अनुज सिंह से मुलाकात कर उन्हें वस्तुस्थिति से अवगत कराया। 
 
 
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यह रहे टीम के सदस्य
 
टीम में नेशनल टीएसयू के डॉ. नीरज रायजादा, डॉ. आकांक्षा पाल, बीएमजीएफ के डॉ. समीर कुंता, शशांक, स्टेट टीएसयू के भरत शेट्टी अौर डॉ. उदित मोहन, विश्व स्वास्थ्य संगठन की डॉ. नीतू व डॉ. अर्पणा शामिल रहीं।
 
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दो सप्ताह से खांसी आने पर करें रेफर 
 
डॉ. एसके शाही ने सभी आयुर्वेदिक, होम्योपैथिक और यूनानी क्षेत्र के निजी चिकित्सकों से अपील करते हुए कहा है कि यदि उनके क्लीनिक पर ऐसे लक्षण युक्त क्षय रोगी जिन्हें दो सप्ताह से लगातार खांसी आ रही हो, बुखार हो, पसीना लगातार आता हो, बलगम में खून आता हो और लगातार वजन घट रहा हो, उन्हें तत्काल जिला क्षय रोग नियंत्रण केंद्र पर जांच के लिए रेफर करें। इसके साथ ही ऐसे मरीजों के परिवार के सदस्यों व उसके संपर्क में रहने वाले लोगों की भी जांच की जाएगी। पुष्टि होने पर नि:शुल्क इलाज की व्यवस्था है।
 
 
 
 

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