अलुवामऊ शिव मंदिर पर कथा भागवत के समापन के बाद हुआ भंडारे का आयोजन

बाबा शिवराम दास महाराज अस्मृत वार्षिक भंडारा भागवत कथा  के साथ हुआ समापन

स्वतंत्र प्रभात 

 
कोठी ,बाराबंकी:कोठी क्षेत्र के अलुवामऊ गांव स्थिति शिव मंदिर पर बाबा शिवराम दास जी महाराज के अस्मृत में वार्षिक भंडारा का आयोजन किया गया
 
 
शिवराम दास जी महाराज का वर्ष 2005 में स्वर्गवास चोला आड़ हो गया था जिनकी आत्मा शांति हेतु प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी शिव महापुराण कथा एवं भंडारे का आयोजन शिव पुजारी प्रेम राजाराम द्वारा किया गया।
 
 
इस दौरान कथा का वाचन कर रहे पंडित श्री उदय प्रकाश तिवारी सीतापुर ने शिव महापुराण की कथा सुनाते हुए बताया कि जिस विशाल खालीपन को हम शिव कहते हैं, वह सीमाहीन है, शाश्वत है। मगर चूंकि इंसानी बोध रूप और आकार तक सीमित होता है,
 
 
 
इसलिए हमारी संस्कृति में शिव के लिए बहुत तरह के रूपों की कल्पना की गई। गूढ़, समझ से परे ईश्वर, मंगलकारी शंभो, बहुत नादान भोले, वेदों, शास्त्रों और तंत्रों के महान गुरु और शिक्षक, दक्षिणमूर्ति, आसानी से माफ कर देने वाले आशुतोष, स्रष्टा के ही रक्त से रंगे भैरव, संपूर्ण रूप से
 
 
स्थिर अचलेश्वर, सबसे जादुई नर्तक नटराज, आदि। यानी जीवन के जितने पहलू हैं, उतने ही पहलू शिव के बताए गए हैं।आम तौर पर दुनिया के ज्यादातर हिस्सों में, जिस चीज को लोग दैवी या ईश्वरीय मानते हैं, उसे अच्छा ही दर्शाया जाता है।
 
 
लेकिन अगर आप शिव पुराण को ध्यान से पढ़ें, तो आप शिव की पहचान अच्छे या बुरे के रूप में नहीं कर सकते। वह सब कुछ हैं – वह सबसे बदसूरत हैं, वह सबसे खूबसूरत भी हैं। वह सबसे अच्छे और सबसे बुरे हैं, वह सबसे अनुशासित भी हैं, मगर पियक्कड़ भी।
 
 
उनकी पूजा देवता, दानव और दुनिया के हर तरह के प्राणी करते हैं। हमारी तथाकथित सभ्यता ने अपनी सुविधा के लिए इन हजम न होने वाली कहानियों को नष्ट भी किया, मगर शिव का सार दरअसल इसी में है।
 
 
 
इस मौके पर युवा ग्राम प्रधान महेंद्र सिंह वर्मा, भाकियू जिला अध्यक्ष रामबरन वर्मा, गंगा प्रसाद वर्मा, शिव शंकर वर्मा, परिक्रमा वर्मा, रामसमुझ रावत, संतोष शर्मा, बाबा अशर्फीलाल ऐसे में तमाम ग्रामवासी गण व क्षेत्र के हजारों की संख्या में भक्तगण भंडारे में मौजूद रहे मौजूद रहें।
 
 
 

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