महोबा। ब्यूरो रिपोर्ट-अनूप सिंह
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की ओर से संचालित राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) से जिले के सर्वाधिक 13 बच्चों के कटे होंठो के ऑपरेशन किए गए हैं। दो बच्चों की हार्ट सर्जरी भी कराई गई। निजी अस्पतालों में इलाज के लिए डॉक्टरों ने लाखों रुपये का खर्च बताया, लेकिन आरबीएसके की टीम ने इन बच्चों की खोज की और कानपुर, लखनऊ, झांसी मेडिकल कालेज में उनकी निःशुल्क सर्जरी कराई है। विभाग के इस प्रयास से इन मासूमों की मुस्कान लौट आई हैं।
आरबीएसके के तहत जिले के हर ब्लॉक में दो-दो टीमें कार्यरत है। प्रत्येक टीमें आंगनबाड़ी व प्राथमिक स्कूलों में जाकर बच्चों में 44 प्रकार की बीमारियों का स्वास्थ्य परीक्षण करती है। बीमारी से ग्रसित पाए जाने पर बच्चों को रेफर कार्ड देकर इलाज के लिए भेजा जाता हैं। जहां बच्चे की जांच व इलाज निःशुल्क होता हैं। डीईआईसी मैनेजर वीरेंद्र प्रताप ने बताया कि जिले में यह कार्यक्रम वर्ष 2013 से चलाया जा रहा है। अप्रैल से अक्टूबर तक 91 हजार बच्चों की स्क्रीनिंग की जा चुकी है। 2607 बच्चों को इलाज मुहैया कराया गया है। जन्मदोष से पीड़ित 23 बच्चों के निःशुल्क ऑपरेशन किए गए हैं। जिनमें जन्मजात हृदय रोग से ग्रसित दो, कटे होंठ व तालू के 13, क्लब फूट के 6, रीढ़ की हड्डी में फोड़े के दो ऑपरेशन किए गए हैं।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. डीके गर्ग ने कहा कि राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम की टीम सरकारी स्कूलों व आंगनबाड़ी केंद्रों का भ्रमण कर वहां आने वाले बच्चों के स्वास्थ्य की जांच करती है। टीम 43 बीमारियों का उपचार निःशुल्क कराती है। इनमें जन्म के समय से दिल में छेद, होंठ या तलवा न होना, पैर टेढ़े होने के अलावा आंख, कान, नाक गले से जुड़ी बीमारियां शामिल हैं।
कार्यक्रम के नोडल अधिकारी/एसीएमओ डा. वीके चौहान ने बताया कि जनपद में आरबीएसके की आठ टीमें कार्य कर रही हैं। टीमों द्वारा आंगनबाड़ी में दो और स्कूलों में एक भ्रमण किया जाता है। इस साल 1042 स्कूलों और 1662 आंगनबाड़ी केंद्रों का भ्रमण किया जाएगा।
केस - 1
कटे होंठ से थे परेशान, ऑपरेशन के बाद आई मुस्कान
जैतपुर ब्लाक के बेलाताल अंतर्गत मसत्याना मोहल्ले के रहने वाले अमरचंद की पत्नी ने 10 माह पहले जिला अस्पताल में पुत्री सौम्या को जन्म दिया था। जन्म से ही होंठ कटा हुआ था। यह देखकर माता-पिता परेशान हो गए। निजी अस्पताल में इलाज में काफी पैसा लग रहा था। अमरचंद जयपुर में रहकर राजमिस्त्री का काम करते हैं। वह निजी अस्पताल में आपरेशन करवा पाने में सक्षम नहीं थे। आरबीएसके टीम के डा. आशुतोष सोनी ने उनके घर जाकर मुलाकात की। सौम्या को ऑपरेशन के लिए कानपुर भेजा। वहां सौम्या की निःशुल्क सर्जरी हुई। ऑपरेशन के बाद बेटी सौम्या की मुस्कान देखकर माता-पिता भी खुश हो गए।