समाजवादी पार्टी प्रसपा में गठबंधन के आसार

लखनऊ समाजवादी पार्टी में लंबे अरसे से चली आ रही रार अब समाप्त होती दिख रही है विगत दिनों जसवंतनगर सीट से शिवपाल यादव की सदस्यता समाप्त करने वाली याचिका को समाजवादी पार्टी द्वारा वापस ले लिया गया था जिस पर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव का बयान आया था कि नेताजी और

लखनऊ समाजवादी पार्टी में लंबे अरसे से चली आ रही रार अब समाप्त होती दिख रही है विगत दिनों जसवंतनगर  सीट से शिवपाल यादव की सदस्यता समाप्त करने वाली याचिका को समाजवादी पार्टी द्वारा वापस ले लिया गया था जिस पर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव का बयान आया था कि नेताजी और जसवंत नगर की जनता नहीं चाहती कि यहां पर दोबारा चुनाव हो

लेकिन अगर सिक्के का दूसरा पहलू देखें तो दूसरे दिन समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने एक निजी चैनल को इंटरव्यू देते समय कहा कि याचिका में कुछ त्रुटियां थी  जिसके तहत याचिका वापस ली गई है चाचा को ले कर जब समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव से बात की गई

तो उन्होंने कहा सभी छोटे दलों का समाजवादी पार्टी स्वागत करती हैऔर उसके बाद अब शिवपाल यादव द्वारा समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव को लिखा गया पत्र जिसमें शिवपाल यादव अखिलेश यादव की बढ़ाई करते दिख रहे हैं इस बात का साफ संकेत है कि समाजवादी पार्टी में लंबे समय से चली आ रही रार शायद अब समाप्त होने को है इसका एक प्रमुख कारण यह भी है कि 2017 में समाजवादी पार्टी व बीएसपी ने गठबंधन के साथ चुनाव लड़ा था

जिसके बाद समाजवादी पार्टी को मुंह की खानी पड़ी थी अगर सूत्रों की मानें तो 2022 के लिए समाजवादी पार्टी अभी से एकजुट होती नजर आ रही है चाचा भतीजा विवाद शायद अब खत्म होने को है समाजवादी पार्टी का नीव का पत्थर कहे जाने वाले मुलायम सिंह यादव नेता जी पहले ही इशारा दे चुके हैं कि शिवपाल पार्टी के हैं परिवार के हैं शिवपाल बहरी नहीं है अब देखना यह होगा कि आने वाले चुनाव में समाजवादी पार्टी व प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया एक साथ चुनाव लड़ती है या गठबंधन के साथ चुनाव लड़ती है

फिलहाल शिवपाल के द्वारा अखिलेश यादव जी को लिखे गए इस पत्र ने यह साफ कर दिया है कि आने वाले समय में चाचा भतीजा विवाद खत्म होता दिख रहा है लेकिन अगर समाजवादी पार्टी के सूत्रों की मानें तो उनका कहना यह है कि अभी फिलहाल शिवपाल यादव की समाजवादी पार्टी में वापसी होती नहीं दिख रही है

सिक्के का दूसरा पहलू यह भी है कि समाजवादी पार्टी वाह प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया आगामी चुनाव एक साथ लड़ने की रणनीति बना रहे हैं यह तो चुनाव के नतीजे आने के बाद ही साफ हो कि इस गठबंधन से किसको  किसको कितना फायदा होता है और किसको कितना नुकसान !

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