बाबा सांडो की कोई करो व्यवस्था अन्यथा 2024 का चुनाव पड़ेगा भारी?

बाबा सांडो की कोई करो व्यवस्था अन्यथा 2024 का चुनाव पड़ेगा भारी?


बाराबंकी 10 मार्च मोदी के नाम एवं मुफ्त राशन, आवास, उज्जवला योजना एवं सुरक्षा के नाम पर 2022 में तो यूपी में बाबा की नैय्या तो पार हो गई, खासकर महिलाओं व युवाओं ने मोदी के जादुई चेहरे पर बम्फर वोटिग करके प्रदेश में भाजपा की पुनः सरकार बनाकर इतिहास रच दिया। ऐसा नहीं कि योगी जी  ने चुनाव में मेहनत नही की उन्होंने रिकार्ड तोड़ जनसभाएं करके प्रदेश में पुनः भाजपा सरकार बनवाने में कोई कोर कसर नहीं छोडी । प्रदेश में कानून-व्यवस्था  एवं महिलाओं की सुरक्षा के मुद्दे पर भाजपा को जमकर महिलाओं ने जमकर वोट दिया। इसके अतिरिक्त   बाबा के पास सरकार की उपलब्धियों में कुछ भी बखान करने के लिए नहीं था बेरोजगारी, मंहगाई, पर यूपी सरकार का कोई अकुंश नहीं रहा। योगी सरकार को जो लाभाथियों का लाभ इस चुनाव में मिला वह सभी योजनाएं केन्द्र सरकार की थी। जिसके कारण लोगो ने मोदी पर पुनः विश्वास करके भाजपा को वोट दिये।

पूरे चुनाव में आवारा पशु व सांड बना रहा मुद्दा  2022 के विधानसभा चुनाव में प्रथम चरण में ही शहर व ग्रामीण क्षेत्रों में भाजपा नेताओ को आवारा पशुओं खासकर सांडो के आंतक के सवालों पर जबाब देते नहीं बन रहा था। किसान यूपी में योगी सरकार से सबसे अधिक नाराजगी आवारा पशुओं को लेकर रही। किसान रात्रि-रात्रि अपनी फसल बचाने के लिए खेतो में सर्दी, गर्मी व बरसात में अपनी फसल की रखवाली के लिए डेरा डाले हुए हैं, फिर भी अपनी फसल बचाने में असफल रहे। क्योकि सांडो का झुड़ जब खेतो की ओर बढ़ता है, तो उसे रोक पाना दो-चार लोगो की बस की बात नहीं होती। यही नहीं बीते पाँच वर्षों में पता नही कितने लोग सांडो की जंग में घायल होकर अस्पताल पहुँच गये और कितने लोगो को तो जान ही गंवानी पड़ी।

उत्तर प्रदेश सरकार ने गौवंश के उत्थान व बचाव के लिए गौशालाओं पर करोड़ो रूपये खर्च तो किये साथ ही नगर पालिका व नगर पंचायतो द्वारा आवारा पशुओं को पकड़ने के नाम पर करोड़ो का व्यारा-न्यारा कर दिया गया । किन्तु आज भी जिधर निकलो उधर ही आवारा पशुओं का झुण्ड नजर आ रहा  है। शहरो के चौराहो पर प्रायाः एक दो नहीं बल्कि दर्जनो सांड / गाय सड़क पर ही डेरा डाले रहते। अक्सर वर्चस्य की जंग सांड़ो के बीच  छिड़ जाती जिसमें कई वाहन, दुकाने तबाह हो जाती और नागरिकों को भी चोटिल करते रहते।

गौशालाओं/ गौआश्राय पर सरकार का नही रहता अकुश:-सरकार ने भले ही गौवंश की रक्षा के लिए प्रदेश में तमाम गौशालाओं / गौआश्रयों का निर्माण कराकर उसपर करोडो का बजट भी जनपदो को दिये हो किंतु कई जनपदो में गौआश्रय के नाम पर विनिमित क्षेत्र में नाक्शा पास करने के लिए आवेदन करने पर दो हजार की गौवंश सेवा की रसीद सरकरी कटती उसी के बाद फाइल जमा होती प्रदेश के जनपदो के जिलाधिकारियों द्वारा समाजसेवी, व्यापरियों तथा तमाम सामजिक संगठनो से दान स्वरूप लाखों रूपये जिला प्रशासन प्राप्त करता। किन्तु आज भी गौशालाओं एवं गौआश्रय की स्थिति बद से बत्तर है, जिसका जिम्मेदार कौन है ॽ कभी-कभार औपचारिकता मात्र आवारा पशुओं को पकड़ कर इन गौ शालाओं में डाल दिया जाता जहां न तो समुचित चारा मिलता और न ही पानी जिसके कारण अक्सर सुनने व देखने को मिलता कि गाय, बछड़ा भूख से मर जाते। जिम्मेदार अधिकारी / कर्मचारी सिर्फ अपनी जेबे भरते रहते इन अधिकारियों व कर्मचारियों पर शासन का कोई अकुंश न होने से भष्टाचार दिन पर दिन बढ़ता गया।

चुनाव में ऐसा कोई कस्बा, तहसील व गांव नही मिला जहां आवारा पशुओं के आतंक से लोग परेशान न हो जिले की विधानसभाओं में जब चुनाव कवरेज के लिए क्षेत्र में गया तो ग्रामीणो का यही कहना था कि बाबा सिर्फ आवारा पशुओं की समस्या का निदान कर दे ,तो भाजपा को हराने की हैसियत  विपक्षियों में नहीं होगी? इस बार तो मोदी के नाम पर बाबा को सत्ता में पुनः काबिज करेगे? किन्तु अगर सांड़, गाय, बछड़ो के आंतक से किसानों व नागरिको को निजात न मिली तो 2024 का लोकसभा चुनाव भाजपा के लिए भारी पडेगा।

योगी बाबा आवारा पशुओं की समस्या के निदान के लिए कुछ सुझाव-- जितना पैसा यूपी सरकार गौशालाओं व गौआश्रय पर खर्च करती है, उसी तर्ज पर गौ सेवा आयोग के माध्यम से गौ-मूत्र व गोबर पाँच से दस रूपये प्रतिकिलो / प्रतिलीटर सरकार खरीदने की व्यवस्था कर दे, तो जो लोग अपनी गाय, बछड़ा खुला छोड़ देते वह नही छोडेगे, क्योकि उन्हें अपने पशुओं से कमाई का जरियां मिल जायेगा। सरकार गोबर से खाद्य बनाकर बाजार में उन्ही किसानो से बेच सकती है. तथा गौ-मूत्र के सबसे बड़े उत्पादक बाबा रामदेव को बेच सकती है। यही नही काजी हाउस की पुरानी व्यवस्था पुनः लागू कर दी जाये जिससे सरकार की आय भी बढ़ेगी साथ ही तमाम युवाओं को रोजगार मिलने के साथ लोगो को आवारा पशुओं से निजात भी मिल जायेगी। यही नहीं शासन को सख्ती के साथ जिलाधिकारी व तहसीलो के उपजिलाधिकारियों पर जिम्मेदारी तय की जाएं कि अगर क्षेत्र में कही भी आवारा पशु मिले तो अधिकारियों के विरूद्ध कठोर कार्यवाही के साथ जुर्माना भी लगाया जायेगा। यह सर्वविदित है कि प्रदेश में जितनी भी गौशालाएं व गौआश्रय स्थपित हैं, उनकी सारी व्यवस्था बर्बाद ही नही बल्कि तार-तार है, यह किसी से छुपा नही है। फिर भी शासन का प्रशासन के अधिकारियों पर कोई अकुंश न होने के कारण सिर्फ सरकारी फाइलो व कागजों पर आवारा पशु पकड़े जाते  और उन्हें गौशालाओं में रखा जाता हैं। प्रदेश की अधिकांश नगर पालिका/नगर पंचायतो में आवारा पशुओं को पकड़ने के लिए संसाधानों का भारी अभाव होना भी समस्याओं को जन्म देता है। अगर यूपी में पुनः सत्ता पर काबिज योगी बाबा ईमानदारी व निष्पक्षता से बीते पाँच वर्षों में गौशालाओं व गौआश्रय तथा नगर पालिका / नगर पंचायतो की जाँच कराएं तो करोड़ो का भसटाचार उजागर हो जायेगा। क्योंकि जब जनपदों में गौशालाओं है, तो आवारा पशु सड़क व खेतों में कैसे पहुंच रहे हैं। कागजों पर तो आवारा पशुओं के लिए बहुत कुछ किया गया। परन्तु प्रशासन के आंकड़ों का सच सड़कों व खेतों में दिखने को मिलता है। अगर इन आवारा पशुओं की कोई व्यवस्था समय रहते न की गई, तो 2024 का लोकसभा चुनाव भाजपा को  बहुत भारी पड़ेगा।

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