ख़ौफ़नाक मंजर को देखकर ,देखने वालों की रूह कांप उठेगी

सभी जीवो पर समान दया करने वाला विश्व शांति का अग्रदूत भारत, अहिंसा का पुजारी मानवता के प्रतिमान स्थापित करने वाला भारत ,क्या? सचमुच आज का यही भारत है? हमारे हिंदू सनातन धर्म में गाय को मां से भी ऊंचा स्थान दिया गया है लेकिन आज हमारे देश में वही गाय व गोवंश जिस दुर्दशा

सभी जीवो पर समान दया करने वाला विश्व शांति का अग्रदूत भारत, अहिंसा का पुजारी मानवता के प्रतिमान स्थापित करने वाला भारत ,क्या? सचमुच आज का यही भारत है? हमारे हिंदू सनातन धर्म में गाय को मां से भी ऊंचा स्थान दिया गया है लेकिन आज हमारे देश में वही गाय व गोवंश जिस दुर्दशा की स्थिति में है उससे यह प्रतीत होता है कि जो हम कभी कलयुग सुना करते थे हम भारतीयों ने उस घोर कलयुग को सजीव मूर्तिमान कर दिया है यहां पर गायों व मवेशियों की इतनी दैनिक दुःखत ,गंभीर एवं चिंतनीय स्थिति है कि उसका शब्दों में बयां करना बेहद मुश्किल है।

गौशालाओं के नाम पर हजारों नहीं बल्कि लाखों रुपया सरकार की तरफ से आ रहा है, लेकिन यह किसका दुर्भाग्य कहें, कि गायों के उपयोग के लिए आई धनराशि का गौशालाओं के जिम्मेदार वह समाज की महान विभूतियां उस धनराशि को यूं ही हड़प रही है। आज कहां खो गई हम भारतीयों की मानवता और आज कहां खो गई हम भारतीयों की इंसानियत जो माँ रूपी गायों को इतनी बेरहम व  वेदर्दी से सरेआम बेमौत, मौत के घाट उतार रहे हैं ।आइए हम अपने भारत का घोर कलयुग का दुखद खौफनाक मंजर  दिखाते हैं।आपको बता दें उत्तर प्रदेश के जनपद हमीरपुर के विकासखंड राठ के ग्राम मवई की गौशाला में गौशाला के कार्यकर्ताओं द्वारा जीवित गायों की पैरों को रस्सी में बांधकर और ट्रैक्टर वाहन के द्वारा घसीटते हुए जंगलों में अर्ध मृत अवस्था में फेंका जा रहा है ।

वहां पर उन जीवित सिसकती हुई गायों को कुत्ते व अन्य जंगली जानवर खा रहे हैं जो गौशाला में गायों के लिए सरकार द्वारा आई धनराशि को बड़े गर्व व चाव से बंदरबांट करके ग्राम प्रधान और ब्लॉक के संबंधित अधिकारी हड़प रहे हैं गौशाला में गायों को भोजन के नाम पर हजारों लाखों रुपए आ रहा है लेकिन यहां पर बेजुबान मूक गाय भूखी प्यासी तड़प तड़पकर बिलबिलाते हुये,बीमारियो से बेमौत मर रही है ना तो गौशाला में खाने पीने की उचित व्यवस्था है बल्कि जरा सा बीमार या कमजोर होने पर उन गायों को जिंदा पैर बांधकर ट्रैक्टर द्वारा घसीटते हुए जंगलों में फेंक दिया जाता है। इस प्रकार की एक दो नहीं बल्कि अनेकों गाय जंगलों में पड़ी अचेत अवस्था में दुखद अपनी मौत के लिए प्रार्थना कर रही हैं और उनकी यह दुखद पीड़ा देखने सुनने वाला क्या कोई हमारे महान भारत में शेष है ?या फिर हम समस्त भारतीयों के अंदर की मानवता मर चुकी है

गायों की इस दुर्दशा को लेकर अनेक उच्च अधिकारियों को अवगत कराया गया लेकिन ऐसा लगता है कि गायों की गौशाला का कमीशन उन अधिकारियों को भी पहुंच रहा है तभी तो वह अधिकारी गौशाला के प्रबंधकों के खिलाफ कार्रवाई करने में लाचार व बेबस है प्रधान व संबंधित अधिकारियों की मिलीभगत से जो गोवंश मवेशियों के ऊपर घोर अत्याचार हो रहा है उससे हमारा समाज शर्मसार हो रहा है और इनके कुकृत्य कर्मों से समूचा मानवता कलंकित हो रही है ।आखिर वह दिन कब आएगा जब हमारे गोवंश को न्याय मिल सके और उन व्यक्तियों के सजा मिल सकेगी।

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