गम्भीर चुनौती बनता जा रहा है कोविड-19

चीन के बुहान शहर से शरू हुई कोरोना संक्रमण की बीमारी आज वैश्विक महामारी का रूप ले चुकी है। पूरे विश्व में कोरोना वायरस से संक्रमित हुए लोगों की संख्या छै लाख के ऊपर पहुँच गई है। जबकि इस संक्रमण से मरने वालों का आंकड़ा 28 हजार के पार हो चुका है। भारत में भी

चीन के बुहान शहर से शरू हुई कोरोना संक्रमण की बीमारी आज वैश्विक महामारी का रूप ले चुकी है। पूरे विश्व में कोरोना वायरस से संक्रमित हुए लोगों की संख्या छै लाख के ऊपर पहुँच गई है। जबकि इस संक्रमण से मरने वालों का आंकड़ा 28 हजार के पार हो चुका है। भारत में भी यह बीमारी धीरे-धीरे अपने पांव पसार रही है। देश भर में 900 से भी अधिक लोग कोरोना के शिकार हो चुके हैं। जिनमें से डेढ़ दर्जन से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। दुनिया भर के तमाम चिकित्सक इस विषाणु का तोड़ निकालने के लिए रात-दिन एक किये हुए हैं। परन्तु दुर्भाग्य से अभी तक इसका कोई इलाज नहीं खोजा जा सका है। ऐसे में इस संक्रमण से बचाव ही इसका सबसे बड़ा इलाज है। अतः हर किसी को स्वयं तथा अपने परिजनों का चिकित्सकों के निर्देशानुसार बचाव करना चाहिए। इस महामारी को फैलने से रोकने का सबसे कारगर तरीका सामाजिक दूरी तथा स्वच्छता को ही बताया गया है। इसी के चलते भारत सहित दुनियां के लगभग सभी देशों ने अपने यहाँ लॉकडाउन अर्थात नागरिकों की आवाजाही पर पूरी तरह से प्रतिबन्ध लगा दिया है। इसके बावजूद कोरोना के बढ़ते संक्रमण पर विराम नहीं लग पा रहा है। जिसका प्रमुख कारण लोगों द्वारा लॉकडाउन का गम्भीरता से पालन न करना ही बताया जा रहा है।

जीव विज्ञान के विद्यार्थियों के लिये कोरोना वायरस कोई नया नाम नहीं है। इण्टरमीडएट स्तर पर पढ़ाई जाने वाली जन्तुविज्ञान की पुस्तक में इस वायरस का जिकर किया गया है। जिसके अनुसार जुकाम का रोग 75 प्रतिशत मामलों में रहीनोवायरस से तथा शेष में कोरोना वायरस द्वारा होता है। वही जुकाम जो कई बार बिना किसी दवा के तीसरे दिन ठीक हो जाता है। क्या यह वही कोरोना वायरस है जो किसी कारण से इतना अधिक शक्तिशाली हो गया है या फिर कोई नया वायरस है जो आकार प्रकार में कोरोना जैसा ही दिखता है। यह शोध का विषय हो सकता है। परन्तु फिलहाल यह विषाणु पूरी दुनिया के चिकित्सकों के लिए सबसे बड़ी चुनौती बन चुका है। प्राप्त जानकारी के अनुसार कोरोना नामक विषाणु कई प्रकार के विषाणुओं का एक समूह होता है। जो कि श्वांस तन्त्र में संक्रमण पैदा करता है। इसकी रोकथाम के लिए अभी तक कोई भी टीका या विषाणुरोधक नहीं बना है। उपचार के लिए रोगी अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली पर निर्भर रहता है। अभी तक मात्र रोग के लक्षणों के अनुसार ही चिकित्सा की जाती है।

ताकि शरीर में संक्रमण से लड़ने की शक्ति बनी रहे। चीन के बुहान शहर से पूरे विश्व में फैले कोरोना वायरस को 2019 नोवेल कोरोना वायरस नाम दिया गया है। जबकि विश्व स्वास्थ्य संगठन (ॅण्भ्ण्व्ण्) ने इस बीमारी का नाम कोविड-19 रखा है। कोविड अर्थात कोरोना वायरस डिसीज। लेटिन शब्द कोरोना का हिन्दी में अर्थ मुकुट होता है। शोधकर्ताओं के अनुसार सूक्ष्मदर्शी से देखने पर इस विषाणु के चारो ओर उभरे हुए काँटों जैसे ढांचे मुकुट की तरह दिखाई देते हैं। इसीलिए इसका नाम कोरोना रखा गया है। वस्तुतः विषाणु अतिसूक्ष्म अकोशिकीय जीव होते हैं। जो किसी जीवित कोशिका में पहुँचने के बाद ही अपनी वंशवृद्धि कर पाते हैं। इस तरह से कोई भी विषाणु बिना किसी सजीव माध्यम के पुनुरुत्पादन नहीं कर सकता है। जब यह किसी जीव की कोशिका के सम्पर्क में आता है तो उस जीव की कोशिका को भेद कर आच्छादित कर देता है और जीव बीमार हो जाता है। जीव की संक्रमित कोशिका अपने जैसी संक्रमित कोशिकाओं का पुनुरुत्पादन प्रारम्भ कर देती है। जिससे रोग निरन्तर बढ़ने लगता है।

अब यदि किसी विषाणु को रोकने की कोई भी औषधि उपलब्ध न हो तो उस विषाणु को एक से दूसरे जीव तक न पहुँचने देना ही इसको रोकने का सबसे सफल एवं सरल उपाय है। चूंकि विषाणु की वंश वृद्धि सजीव माध्यम से होती है तो क्या मनुष्यों के साथ-साथ पशु-पक्षियों में भी यह संक्रमण फैल रहा है? फिलहाल पशु-पक्षियों में अब तक ऐसे किसी भी संक्रमण को नहीं देखा गया है। या हो सकता है कि अभी तक पशु-पक्षियों की रोग-प्रतिरोधक क्षमता के प्रभाव से उनमें इस संक्रमण का वृहद् प्रभाव न पड़ा हो। हालाकि एक रिपोर्ट के मुताबिक चीन में इस वायरस के संक्रमण की शुरुआत जानवरों से ही हुई थी। चीन के हुआनन सीफूड होलसेल मार्किट में जो लोग मांस खरीदने आते थे या फिर जो लोग जीवित या नववध जानवरों को बेचते थे

वे लोग कोरोना वायरस से संक्रमित थे। वहीँ से इस विषाणु के संक्रमण की शुरुआत मानी जा रही है। यह वायरस आकार में मनुष्य के बाल की तुलना में 900 गुना सूक्ष्म बताया गया है। जो फिलहाल पूरे विश्व में तहलका मचाते हुए देखत में छोटे लगें घाव करें गम्भीर की कहावत को चरितार्थ कर रहा है।
कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए इसके लक्षणों को पहचानना बेहद आवश्यक है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार यह संक्रमण होने पर 88 प्रतिशत मामलों में तेज बुखार, 68 प्रतिशत में खांसी और कफ, 38 प्रतिशत में थकान, 18 प्रतिशत में साँस की दिक्कत, 14 प्रतिशत में शरीर और सर में दर्द, 11 प्रतिशत में ठण्ड लगना तथा 4 प्रतिशत मामलों में डायरिया के लक्षण दिखाई देते हैं। ज्यादा गम्भीर मामलों में निमोनियां, सांस लेने में परेशानी तथा किडनी फेल होना शामिल है। अस्थमा, मधुमेह तथा हृदय रोग से ग्रसित व्यक्तियों के अलावा उम्रदराज लोगों के लिए यह संक्रमण अधिक घातक हो सकता है।

इस संक्रमण से ग्रसित मरीजों की मृत्यु के जो मामले सामने आ रहे हैं उनमें ज्यादातर ऐसे ही लोग शामिल हैं। अतः इन लोगों को इस संक्रमण से बचने का हर सम्भव प्रयास करना चाहि। सरकार द्वारा घोषित 21 दिनों का लॉकडाउन इस महामारी को मात देने का सबसे कारगर उपाय है। परन्तु हर किसी की स्थिति एक जैसी नहीं होती है। रोज खाने-कमाने वालों के लिए इतने दिनों तक घर में रहना भुखमरी को निमन्त्रण देने जैसा है। दिल्ली, गाजियाबाद और अहमदाबाद जैसे शहरों में मजदूरी करके जीवनयापन करने वाले लोग संक्रमण का जोखिम उठाते हुए पैदल ही पलायन कर रहे हैं। अनेक लोगों के साथ उनके वृद्ध माता-पिता और मासूम बच्चे भी हैं। बस अड्डों पर जमा हजारों की भीड़ कोरोना संक्रमण का खुला स्वागत कर रही है। यद्यपि सभी सरकारें इस दिशा में प्रभावी कदम उठाने का दावा कर रही हैं। परन्तु लोगों का पलायन अभी तक रुका नहीं है। कोरोना की महामारी जब आयेगी

तब आयेगी परन्तु भूख-प्यास की तड़प उन्हें आज ही मारने पर अमादा है। ऐसे में हर कोई अपने-अपने ढंग से समस्या का समाधान ढूढ़ रहा है। केन्द्र और राज्य सरकारों ने गरीबों को पर्याप्त आर्थिक मदद प्रदान करने की घोषणा की है। परन्तु भ्रष्टचार जिस देश की धमनियों में रक्त बनकर दौड़ रहा हो उस देश के प्रत्येक गरीब को भला उचित और पर्याप्त सहायता कैसे मिलेगी? यह प्रश्न सदैव की तरह आज भी विद्यमान है। लम्बी बन्दी के दृष्टिगत जमाखोरों ने जरुरी वस्तुओं का बड़े पैमाने पर भण्डारण प्रारम्भ कर दिया है। जिससे आटा, दाल, सब्जी, तेल, चीनी आदि के दाम अचानक असमान छूने लगे हैं। जो भविष्य के और भी अधिक गम्भीर संकट का सन्देश दे रहा है। अतः देशवासियों को कोविड-19 के संक्रमण से बचाने के साथ-साथ भुखमरी, भ्रष्टाचार और महंगाई से बचाना भी सरकार के लिए गम्भीर चुनौती है।

डॉ.दीपकुमार शुक्ल (स्वतन्त्र टिप्पणीकार)

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