परमात्मा की लाठी दिखती नहीं, ना आवाज़ करती , लेकिन दर्द बहुत होता

  साधु कुछ पल भट्ठी से हाथ सेंकने के बाद चला ही जाना चाहता थाकि नेक दिल हलवाई से रहा न गया


एक साधु वर्षा के जल में प्रेम और मस्ती से भरा चला जा रहा था। तभी इस साधु ने एक मिठाई की दुकान को देखा जहां एक कढ़ाई में दूध उबल रहा था तो मौसम के हिसाब से दूसरी कढ़ाई में गरमा गरम जलेबियां तैयार हो रहीं थीं 

 साधु कुछ क्षणों के लिए वहाँ रुक गया। शायद उसे भूख का एहसास हो रहा था या मौसम का असर था.साधु हलवाई की भट्ठी को बड़े गौर से देखने लगा , साधु कुछ खाना चाहता था लेकिन साधु की जेब ही नहीं थी तो पैसे भला कहां से होते

 साधु कुछ पल भट्ठी से हाथ सेंकने के बाद चला ही जाना चाहता थाकि नेक दिल हलवाई से रहा गया और उसने साधु को एक प्याला गरम दूध और कुछ जलेबियां दे दीं।

 साधु ने गरम जलेबियां गरम दूध के साथ खाई और फिर हाथों को ऊपर की ओर उठाकर हलवाई के लिये प्रार्थना कीफिर आगे चल दिया।साधु बाबा का पेट भर चुका था।  दुनिया के दु:खों से बेपरवाह वह फिर इक नये जोश से बारिश के गंदले पानी के छींटे उड़ाता हुआ मस्ती में चल दिया।

 वह इस बात से बेखबर था कि एक युवा नवविवाहित जोड़ा भी वर्षा के जल से बचता - बचाता उसके पीछे चला रहा है अपनी मस्ती में चूर साधु ने एक बार फिर बारिश के गंदले पानी में जोर से लात मारी।बारिश का पानी उड़ता हुआ सीधा पीछे आने वाली युवती के कपड़ों को भिगो गया। उस औरत के कीमती कपड़े कीचड़ से लथपथ हो गये।

 उसके युवा पति से यह बात बर्दाश्त नहीं हुई। इसलिए वह आस्तीन चढ़ाकर आगे बढ़ा और साधु की कमीज का कालर पकड़कर कहने लगा कि अंधा है तुझको दिखाई नहीं देता क्या तेरी हरकत की वजह से मेरी पत्नी के कपड़े गीले हो गये हैं और कीचड़ से भर गये  हैं।

 साधु हक्का-बक्का सा खड़ा था। इस युवा को साधु का चुप रहना नागवार गुजर रहा था.महिला ने आगे बढ़कर युवा के हाथों से साधु को छुड़ाना भी चाहा. लेकिन युवा की आंखों से निकलती नफरत की चिंगारी देख वह भी फिर पीछे खिसकने पर मजबूर हो गई।

 राह चलते राहगीर भी उदासीनता से यह सब दृश्य देख रहे थे लेकिन युवा के गुस्से को देखकर किसी में इतनी हिम्मत नहीं हुई कि उसे रोक पाते और आख़िर जवानी के नशे में चूर इस युवक ने एक जोरदार थप्पड़ साधु के चेहरे पर जड़ दिया ।बूढ़ा मलंग थप्पड़ की ताब ना झेल पाया और लड़खड़ाता हुआ कीचड़ में जा गिरा।

 युवक ने जब साधु को नीचे कीचड़ में गिरता देखा तो मुस्कुराते हुए वहां से चल दिया। बूढे साधु ने आकाश की ओर देखा और उसके होठों से निकला वाह मेरे भगवान कभी गरम दूध - जलेबियां और कभी गरम थप्पड़।

 लेकिन जो तू चाहे मुझे भी वही पसंद है. यह कहता हुआ वह एक बार फिर अपने रास्ते पर चल दिया.दूसरी ओर वह युवा जोड़ा अपनी मस्ती में झूमता हुआ अपनी मंजिल की ओर चला गया

 थोड़ी ही दूर चलने के बाद वे अपने मकान के सामने पहुंचकर रुक गये ? वह युवा अपनी जेब से चाबी निकाल कर अपनी पत्नी से हंसी मजाक करते हुये ऊपर घर की सीढ़ियां चढ़ने लगा

 बारिश के कारण सीढ़ियों पर फिसलन हो गई थी। अचानक युवा का पैर फिसला और वह सीढ़ियों से नीचे गिरने लगा। महिला बहुत जोर से शोर मचाकर लोगों का ध्यान अपने पति की ओर आकर्षित करने लगी, जिसकी वजह से काफी लोग तुरंत सहायता के लिये युवा की ओर लपके।

 लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।  युवक का सिर फट गया था और कुछ ही देर में ज्यादा खून बह जाने के कारण इस नौजवान युवक की मौत हो गई तभी कुछ लोगों ने दूर से आते साधु बाबा को देखा तो आपस में कानाफूसी होने लगी कि निश्चित रूप से इस साधु बाबा ने थप्पड़ खाकर युवा को शाप दिया है. अन्यथा ऐसे नौजवान युवक का केवल सीढ़ियों से गिरकर मर जाना बड़े अचम्भे की बात लगती है. कुछ मनचले युवकों ने यह बात सुनकर साधु बाबा को घेर लिया , एक युवा कहने लगा कि आप कैसे भगवान के भक्त हैं, जो केवल एक थप्पड़ के कारण युवा को शाप दे बैठे.

 भगवान के भक्त में रोष गुस्सा हरगिज़ नहीं होता ।आप तो जरा सी असुविधा पर भी धैर्य कर सके।साधु बाबा कहने लगा भगवान की क़सम मैंने इस युवा को शाप नहीं दिया।

 लोगों ने कहा कि अगर आपने शाप नहीं दिया तो ऐसा नौजवान युवा सीढ़ियों से गिरकर कैसे मर गया

 तब साधु बाबा ने दर्शकों से एक अनोखा सवाल किया कि आप में से कोई इस सब घटना का चश्मदीद गवाह है  एक युवक ने आगे बढ़कर कहा हाँ मैं इस सब घटना का चश्मदीद गवाह हूँ ।साधु ने अगला सवाल किया मेरे क़दमों से जो कीचड़ उछला था क्या उसने इस युवा के कपड़े को दागी किया था ? युवा बोला.नहीं  लेकिन महिला के कपड़े जरूर खराब हुए थे

 मलंग ने युवक की बाँहों को थामते हुए पूछा. फिर युवक ने मुझे क्यों मारा ? युवा कहने लगा.क्योंकि वह युवा इस महिला का प्रेमी था और वह यह बर्दाश्त नहीं कर सका कि कोई उसके प्रेमी के कपड़ों को गंदा करेइसलिए उस युवक ने आपको मारा

 युवा की बात सुनकर साधु बाबा ने एक जोरदार ठहाका लगाया और यह कहता हुआ वहाँ से विदा हो गया कि भगवान की क़सम मैंने शाप नहीं दिया लेकिन कोई है जो मुझसे प्रेम करता है

 अगर उस महिला का यार सहन नहीं कर सका तो मेरे यार को कैसे बर्दाश्त होगा कि कोई मुझे मारे और वह इतना शक्तिशाली है कि दुनिया का बड़े से बड़ा राजा भी उसकी लाठी से डरता है 

 उस परमात्मा की लाठी दिखती नहीं और आवाज भी नहीं करती लेकिन जब पडती है तो दर्द बहुत होता है 

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