पढ़ाई के नाम पर खानापूर्ति,अध्यापकों को पढ़ाने की नहीं फ़ुरसत

पढ़ाई के नाम पर खानापूर्ति,अध्यापकों को पढ़ाने की नहीं फ़ुरसत


स्वतंत्र प्रभात-

माधौगढ़ (जालौन)

सरकार सरकारी विद्यालयों को बंद कर दे तो ज्यादा अच्छा होगा, क्योंकि जिस तरह से वह बच्चों को भविष्य संवारने की बात करती है। उससे तो उनका भविष्य बिगड़ रहा है। एक कमरे में 1 से लेकर 5 तक के बच्चे सिर्फ स्कूल के समय बैठकर अपना समय बर्बाद करते हैं।

पढ़ाने वाले अध्यापक के सहारे उनका जीवन नहीं सँवारा जा सकता है सुबह दैनिक भास्कर की टीम ने 9:48 पर नगर के प्राथमिक विद्यालय लक्ष्मणपुरा का हाल देखा तो बहुत बुरी स्थिति थी। पंजीकृत कुल 125 बच्चों में से महज 24 बच्चे एक कमरे में बैठे हुए थे। ब्लैक बोर्ड पर 10 तारीख लिखी हुई थी

और कुछ सवाल लिखे हुए थे सहायक अध्यापक उमेश चंद्र ऑफिस के कार्यालय में बैठकर कागजी खानापूर्ति कर रहे थे। जबकि बच्चे बाहर मटरगश्ती कर रहे थे। कैमरा देखा तो क्लास रूम में जाकर बैठ गए। बच्चों से  पढ़ाई की बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि आज कोई पढ़ाई नहीं हुई है टंकी से पानी बह रहा था

जिससे यह लग रहा था कि पानी की कीमत ही नहीं है। चार महीने पहले मेंटिनेंस के पैसे से समर और नल की फिटिंग हुई थी लेकिन सब टूटकर गए। रसोईया नीलम बच्चों के लिए मिड डे मील बना रही थी। जिसमें तहरी बनने के बारे में बताया लेकिन किचन में देखा तो कुछ आलू और कुछ प्याज पड़े हुए थे।

हालांकि किचन की सफाई बहुत अच्छी थी। हेड मास्टर संजय दिवाकर से बात हुई तो उन्होंने बताया कि वह छुट्टी पर हैं। स्कूल की चारों तरफ ग्रामीणों ने अतिक्रमण कर रखा था।

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