सहारनपुर।
खनन के मामले में चैकाने वाले तथ्य सामने आये हैं जिसमें खनन के खेल में जहां हाजी इकबाल को आज तक पट्टा स्वीकृत नहीं कराया गया था वहां शासन-प्रशासन ने किसके इशारे पर खनन पट्टा स्वीकृत कर दिया है। यह खबर चर्चा का विषय बनी हुई है। विगत कई दिनों से ग्राम फ़ैजाबाद तहसील बेहट में पत्थर का पट्टा चर्चाओ में है।
यह खनन पट्टा उस जगह किया गया है जहाँ 2012 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित सीईसी की रिपोर्ट के बाद सभी खनन कार्य एवं स्क्रीनिंग प्लांट एवं स्टोन क्रेशर ध्वस्त कर दिये गये थे क्योंकि यह क्षेत्र एक और कलेसर राष्ट्रीय पार्क, दूसरी ओर खारा नहर, तीसरी ओर हथनी कुंड बराज़, चैथी ओर से राष्ट्रीय स्मारक बादशाही महल, के मध्य में स्थित है। ये सभी सैलानियों के घूमने के लिये मनमोहक जगह है। इस प्राकृतिक सौंदर्य की जगह के मध्य सभी नियमों के विरुद्ध खनन पट्टा स्वीकृत करना बड़ी जाँच का विषय है।
एनजीकोर्ट ओर एफआरआई देहरादून ने भी इस क्षेत्र को खनन के लिये उपयुक्त नहीं माना है. विवादित खनन क्षेत्र कलेसर राष्ट्रीय पार्क की सीमा से सटा है जहाँ सुप्रीम का आदेश है कि 1 किमी. तक कोई खनन कार्य नहीं होगा। इन सभी पाबन्दीयों के बावजूद किसके दबाव में यह खनन पट्टा स्वीकृत हुआ तथा किसकी शह पर पट्टा कराने वाला व्यक्ति तहसील के अधिकारियो को धमका रहे है। सूत्रोें से मिली खबर के अनुसार हाजी इकबाल के 2012 के समय पार्टनर रहे एक बड़ी कम्पनी का हाथ भी बताया जा रहा है। आखिर जिला प्रशासन इस ओर कब गंभीरता से संज्ञान लेगा यह गर्भ में छिपा है।