लगन व कड़ी मेहनत हो तो सफलता आपसे दूर नही -ज्योति सिंह

चित्रकला मेरे जहन मन में बचपन से था- ज्योति सिंह


 स्वतंत्र प्रभात 
 


शत्रुघ्न मणि त्रिपाठी

गोरखपुर। कला(आर्ट) शब्द इतना व्यापक है की विभिन्न की परिभाषाएं केवल एक विशेष पक्ष को छूकर रह जाती है।कला का अर्थ अभी तक निश्चित नही हो पाया है, जबकि इसकी हजारों परिभाषाएं की गई गयी है।आज भी भारतीय परम्परा के अनुसार कला उन सारी क्रियाओ को कहते है जिनमें कौशल अपेक्षित हो।
कला एक प्रकार का कृतिम निर्माण है जिसमे शारीरिक और मानसिक कौशलों का प्रयोग होता है।

इसको सही साबित करते आज भी प्रदेश ,जिलों में कला,संगीत,खेल कूद,मनोरंजन में खुद को साबित करते दिखे आर्टिस्ट जिनमें हम बात कर रहे है "सीएम सिटी गोरखपुर" जिले में जन्मी पली बढ़ी "ज्योति सिंग" जिनका बचपन से ही नीले आसमान ,बारिश ,लहरों इन सबको देखना उनका शौक था।

 यही वजह है की उनकी पेंटिंग में प्रकृति का खूबसूरत छवि दिखाने की पूरी कोशिश करते हुए ज्योति सिंह आज अपना खुद का एक नाम पहचान बना चुकी हैं।
 ज्योति सिंह 2016 में बॉम्बे आर्ट में डिप्लोमा किया हुआ है।और 2017 में उनको कास्मोआर्ट गैलरी पुणे में इंडिया के टॉप आर्टिस्ट के साथ रजिस्टर्ड किया।व 2020 में ऑनलाइन चित्रकला प्रदर्शन में भाग भी लिया व वहाँ भी उनके चित्रवकला (पेंटिंग) में बढ़िया प्रदर्शन में उनको सम्मानित भी किया गया।

मीडिया से बात चीत करते हुए ज्योति सिंह ने अपने आर्ट व अपने कार्य क्षेत्र की जानकारियां साझा की।
 अर्पिता सिंह ने कहा की बहुत जल्द ही अपने नये आर्ट जिसका संदेश मानव स्वास्थ्य व हीत मे ही होगा वह आपके सामने होगी।
 

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