माल क्षेत्र में प्रतिबंधित पेड़ो की कटान जोरों पर

उच्चाधिकारियों का निर्देश माल पुलिस के लिए कोई मायने नहीं रखता 


स्वतंत्र प्रभात

मलिहाबाद लखनऊ  मे कुछ दिन पहले एसपी ग्रामीण की फटकार के बावजूद अभी तक न तो धर्म कांटा संचालकों से अभी तक न तो नोटिस का जवाब मांगा गया है न कटान पर रोक लगाई गई आए दिन दर्जनों हरे प्रतिबंधित पेंड़ धरासाई किए जा रहे हैं। इससे यह प्रतीत होता है कि उच्चाधिकारियों का निर्देश माल पुलिस के लिए शायद कोई मायने नहीं रखता है तभी तो लकड़ी ठेकेदार थाने के सामने से गाड़ियों में हरे पेड़ो की अवैध लकड़ी भरकर ले जा रहे हैं।माल थाना क्षेत में हो रही धड़ल्ले से अवैध कटान पूरे जिले में चर्चा का विषय बनी हुई है हाल में एक दरोगा को कप्तान ने लाइन हाजिर भी कर दिया लेकिन फिर भी कटान माफिया खुलेआम आरा चला रहे हैं।माल इलाके में पुलिस व वन विभाग की मिलीभगत के चलते लकड़ी माफियाओं द्वारा बिना परमिट के हरे भरे प्रतिबंधित पेड़ों पर खुलेआम चलवाया जा रहा आरा। यह लकड़ी माफिया दिन में लकड़ी काटने के बाद शाम होते ही ट्रैक्टर ट्राली व डाला से लादकर धर्म कांटा पर डालते हैं। जिसके बाद रात में ही ट्रक में लादकर सुबह होने से पहले निकल जाते हैं। वही जो जलौनी बचती है उसको सुबह ट्रैक्टर ट्राली में लादकर थाना व वन विभाग की चौकी के सामने से लादकर निकलते हैं इतना ही नहीं चाहे ट्रैक्टर ट्राली हो या ट्रक हो सब चौकी व थाने के सामने से ही निकलते हैं। यह नया तरीका वन विभाग व पुलिस ने अपनाया है। वही सूत्रों से मिली जानकारी

के अनुसार रोड के किनारे संचालित धर्म कांटों पर लगी प्रतिबंधित लकड़ी राहगीर देखते हैं लेकिन वही जिले के उच्च अधिकारी को यह अवैध प्रतिबंधित लकड़ी नहीं दिखाई देती है आखिर क्यों, वही पुलिस व वन विभाग से इन धर्म कांटा पर या रोड पर लादकर निकल रहे अवैध तरीके की प्रतिबंध लकड़ी  के विषय में पूछने पर एक ही रटा रटाया जवाब होता है कि यह तो धर्म कांटा पर से आ रही है।सूत्रों के अनुसार मिली जानकारी इन धर्म कांटा पर से पुलिस व वन विभाग को महीने में मिलता है सुविधा शुल्क इतना ही नहीं हर ट्रक व ट्रैक्टर ट्राली पर भी उड़नदस्ता को भी प्रति गाड़ी के हिसाब से मिलता है सुविधा शुल्क। जिसके चलते शिकायत होने के बावजूद भी कार्यवाही ना करके हर संभव मदद करने की करते हैं कोशिश और शिकायतकर्ता का ही नंबर देकर बनाते हैं दबाव। वही सरकार करोड़ों रुपए खर्च कर हरे भरे वृक्षों को लगवाती है लेकिन वही जिन विभाग के अधिकारियों को इनकी देखरेख करने की जिम्मेदारी है। वही हरे-भरे प्रतिबंधित वृक्ष कटवा रहे हैं रक्षक ही भक्षक बन जाए तो कौन करेगा इन की रखवाली समय रहते अगर इन हरे-भरे प्रतिबंधित पेड़ों पर प्रतिबंध ना लगाया गया तो मलिहाबाद फल पट्टी क्षेत्र का नाम तो रहेगा लेकिन जमीन पर पेड़ नहीं रहेंगे 

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