बिन फ्लाईओवर कैसे चलेगी रेलगाड़ी

कानपुर से बिठूर को जोड़ने वाली रेलवेलाइन पर पुनः ट्रेन चलाने की तैयारी

कानपुर के पश्चिमोत्तर दिशा में स्थित बिठूर नगरी को 16 साल बाद रेलवे के माध्यम से कानपुर शहर व अन्य धार्मिक स्थलों व नगरों से जोड़ने की चर्चा चल रही है। 2005 में इज़्ज़तनगर मण्डल द्वारा घाटे का सौदा बताकर बन्द की गई कानपुर-बिठूर रेलवेलाइन को 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले शुरू कराने की तैयारी है। लेकिन इसी बीच एक और खबर यह है कि बिठूर तक ट्रेन चलने से अभी तक बंद पड़ी मंधना क्रासिंग(रामा विश्वविद्यालय के पास) दुबारा शुरू होगी यानी अभी तक मंधना में बन रहे फ्लाईओवर की वजह से लगे भीषण जाम के और अधिक भीषण होने की आशंका है।

मंधना बनी 'क्रासिंग नगरी'

मंधना वैसे भी क्रासिंग की नगरी बन चुकी है, जिसमें मंधना मेन क्रासिंग, रामा क्रासिंग व बिठूर रेल लाइन क्रासिंग शामिल हैं। उसमें थोड़ा बहुत जाम तो लगता ही था लेकिन पिछले कुछ समय से चल रहे फ्लाईओवर के काम की वजह मंधना में कानपुर शहर के भीषण जाम की तरह जाम लगता है। लेकिन अब बिठूर रेलवे लाइन के शुरू होने से मेन रोड पर भी जाम की स्थितियां उत्पन्न हो सकती हैं।

अब दाएं-बाएं नहीं सीधे क्रासिंग

अभी तक मंधना में जाम की वजह दोनों क्रासिंग के अलावा फ्लाईओवर के निर्माण में लाये जाने वाले भारी-भरकम सामान को लाने वाले भारी वाहन(जो आड़े-तिरछे खड़े होते हैं) के अलावा निर्माण के दौरान घेरी गयी व खोदी गयी सड़क( जिससे रोड सिर्फ 1 लेन बची है ) थी लेकिन अब बिठूर रेलवे क्रासिंग इस जाम में वृद्धि कर सकती है, इसकी पूरी संभावना है।

अभी तक मंधना में मौजूद 2 क्रासिंग(मंधना मेन व रामा क्रासिंग) मेन रोड से दाएं बाएं स्थित थीं, लेकिन बिठूर क्रासिंग मेन रोड पर स्थित है जिससे कानपुर से कन्नौज-फतेहगढ़ व और आगे कासगंज-मैनपुरी-दिल्ली जाने वाली बसें, टेम्पो व बड़ी मात्रा में यात्री साधन भी प्रभावित होंगे। इससे अभी तक फ्लाईओवर के निर्माण की वजह से जाम से परेशान लोग क्रासिंग के जाम की तैयारी भी कर लें।

अब सुबह शाम नहीं दिनभर चलानी पड़ सकती हैं ट्रेनें-

हो सकता है कि रेलवे यह तर्क देकर जाम वाले सवाल से अपना पीछा छूटा ले कि 2005 से पहले कानपुर-बिठूर ट्रैक पर 2 हीगाड़ियां चलती थीं, तो अब भी 2 से 3 गाड़ियां चलाकर बिठूर की कनेक्टिविटी कानपुर से कर दी जाएगी।इससे क्रासिंग अधिक बन्द नहीं रहेगी, लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि काशी, मथुरा व अयोध्या की तरह ही बिठूर भी एक बेहद महत्वशाली, पौराणिक नगरी है यानी पर्यटन के लिहाज से भी बिठूर काफी लोकप्रिय व महत्त्वपूर्ण पर्यटक स्थल है।

16 साल में जनसंख्या भी बढ़ी है,  ऐसे में बड़ी संख्या में देशी-विदेशी पर्यटकों के भी आने की यहां पूरी संभावना है। ऐसे में अधिक यात्री लोड के चलते रेलवे को इस ट्रैक पर अधिक ट्रेनें चलानी पड़ सकती हैं। तो ऐसे में रेलवे की बार-बार क्रासिंग बन्द करना मजबूरी हो जाएगी।


तब डीज़ल इंजन था अब इलेक्ट्रिक वाला दौर

 काशी-अयोध्या की तरह ही महत्ता है बिठूर की दरअसल काफी समय पहले कानपुर से बिठूर तक यात्री संख्या व सुविधा के आधार पर 2 डीज़ल इंजन वाली गाड़ियां चलती थीं (एक सुबह व एक शाम), लेकिन 2005 में उत्तर रेलवे के इज़्ज़तनगर मण्डल ने बिठूर-कानपुर रेलवे को घाटे का सौदा बताकर इसको बन्द करा दिया। तब से कानपुर की यह धार्मिक नगरी से रेलवे कनेक्टिविटी हट गई। लेकिन तमाम संगठनों की मांग के बाद 2015 में बिठूर के स्टेशन'ब्रह्मावर्त' का जीर्णोद्धार कराया गया व मंधना से ब्रह्मावर्त स्टेशन तक के ट्रैक को विद्युतीकरण कर दिया गया है।

सूझबूझ का परिचय दे उत्तर रेलवे परेशानी की बात यह नहीं कि लंबे समय बाद बिठूर रेलवे लाइन की क्रॉसिंग शुरू होने जा रही है बल्कि यह है कि बिठूर रेलवे क्रॉसिंग से 100-150 मीटर की दूरी पर ही रामा विश्वविद्यालय की क्रॉसिंग भी है और इस समय कानपुर-अलीगढ़ फ्लाईओवर का काम भी जोरों से चल रहा है, ऐसे में कानपुर-कन्नौज जीटी रोड आधा बंद रहता है, इसके अलावा निर्माण-सामग्रियों को लाने वाले भारी वाहन आड़े-तिरछे खड़े हो जाते हैं; जिससे रोजाना जाम की स्थिति बनी रहती है। ऐसे में बिठूर रेलवे क्रॉसिंग शुरू होने से जाम के और अधिक भीषण होने की संभावना है।

जब रेलवे ट्रैक का विद्युतीकरण कर ही रहा था तो कम से कम 100 से 150 मीटर की दूरी पर ही स्थित रामा-क्रॉसिंग को देखते हुए ही बिठूर क्रासिंग पर रेलवे ट्रैक की पुलिया ही बना लेता। वैसे इस मामले पर सड़क के पुल की बात करना ठीक नहीं होगा, क्योंकि कानपुर-अलीगढ़ फ्लाईओवर की परियोजना का कार्य जल्दी में शुरू हुआ है और मंधना-बिठूर की रेलवे लाइन का विद्युतीकरण 4-5 साल पहले ही पूरा हो चुका है। तो ऐसे में सड़क मंत्रालय को क्या पता कि भविष्य मे ऐसी स्थितियां भी उत्पन्न हो सकती हैं।

हालांकि अभी भी कुछ बिगड़ा नहीं है। इस समस्या पर सरकार व रेलवे के सामने 2 रास्ते हैं-पहला तो ये कि जब तक मंधना में कानपुर-अलीगढ़ के फ्लाईओवर का काम चल रहा है, तब तक बिठूर तक गाड़ी न चलाई जाए। लेकिन आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर राज्य सरकार बिठूर तक ट्रेन संचालन करके इसे एक बड़ा चुनावी मुद्दा बनाने की तरफ देख रही है, ऐसे में सरकार ये रास्ता चुनकर रिस्क नहीं लेना चाहेगी।

दूसरा रास्ता यह कि रेलवे को कानपुर से फर्रूखाबाद-कासगंज तक जाने वाली ट्रेनों की समयसारिणी को कानपुर से बिठूर तक जाने वाली ट्रेनों की टाइमिंग के इर्दगिर्द न रखे; क्योंकि सबसे बड़ी बात तो यह है कि कानपुर-फर्रुखाबाद-कासगंज रेल रूट सिंगल लाइन वाला है। यदि इन दोनों रूट्स के टाइमिंग एक साथ होंगे तो मंधना की तीनों क्रासिंग देर तक बन्द रखना मजबूरी हो जाएगी। ट्रेनों की अलग-अलग टाइमिंग से तीनों क्रासिंग थोड़ी-थोड़ी देर के लिए ही बन्द होंगी और बीच-बीच मे लगने वाला जाम खुलता भी रहेगा।

नौबस्ता की तरह मंधना का भविष्य भी है उज्ज्वल-

हालांकि बहुत चिंताजनक हालात वाले मंधना का भविष्य भी कानपुर दक्षिण के जामनगर नौबस्ता की तरह ही उज्ज्वल ही है। क्योंकि कानपुर-अलीगढ़ फ्लाईओवर बन जाने से कानपुर-कासगंज के रेलवे रूट से सटी जीटी रोड पर यात्रा करने वाले लोगों को इस ट्रैक पर जगह-जगह स्थित क्रॉसिंग की वजह से लगने वाले जाम से दो-चार नहीं होना पड़ेगा और लोग सीधे फ्लाईओवर के माध्यम से निकल जाया करेंगे। इससे मंधना में भी बिठूर क्रासिंग पर फ्लाईओवर बन जाने से यहां लगने वाले जाम से भी राहत मिलेगी। यानी नौबस्ता की तरह यहां का भी भविष्य उज्ज्वल ही नज़र आता है , लेकिन तब तक यहां के राहगीरों व वाहन सवारियों को भी अपने धैर्य व साहस का परिचय देना होगा साथ ही रेलवे को भी विशेष कार्ययोजना तैयार करनी होगी।

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