
हाथ में दीया और मन में कामना लेकर छठ मैया की आराधना ।
हाथ में दीया और मन में कामना लेकर छठ मैया की आराधना । ए •के • फारूखी ( रिपोर्टर) ज्ञानपुर,भदोही । जनपद के गंगा घाटों, तालाबों व सरोवरों पर अगाध आस्था के महापर्व छठ पर शुक्रवार को हर तरफ मनौतियों का मेला दिखाई दिया। आस्था के रंग में सराबोर छठ की छटा देखने लायक ही
हाथ में दीया और मन में कामना लेकर छठ मैया की आराधना ।
ए •के • फारूखी ( रिपोर्टर)
ज्ञानपुर,भदोही ।
जनपद के गंगा घाटों, तालाबों व सरोवरों पर अगाध आस्था के महापर्व छठ पर शुक्रवार को हर तरफ मनौतियों का मेला दिखाई दिया। आस्था के रंग में सराबोर छठ की छटा देखने लायक ही बन रही थी।
विवाहिताएं, निराहार व्रतधारी महिलाएं शृंगार करके और परंपरागत तरीके से सिंदूर लगाकर जब पूजन करने घाटों, तालाबों पर पहुंचीं तो जैसे लगा कि हर तरह छठी मैया की भक्ति की गंगा बह रही है। हाथ में दीया और मन में कामना लेकर सूर्य देव की आराधना की गई।इसके बाद अस्ताचलगामी सूर्य देव को अर्घ्य दिया गया। हर तरफ छठ गीतों की धुन पर माहौल पूरी तरह से भक्तिमय दिखाई दिया।
आकाश में छाये बादलों के कारण सूर्यदेव दिनभर धुंध के पीछे लुकाछिपी का खेल खेलते रहे, लेकिन श्रद्धालुओं की श्रद्धा पर इसका कोई असर नहीं हुआ। आस्थावान और व्रतधारी घर से पूजा का टोकरा लेकर घाट की तरफ चल पड़े। इस दौरान भगवान सूर्य की मूर्ति के चारों ओर घेरा बना विधि-विधान से पूजन-अर्चन किया गया।
इसी प्रकार गोपीगंज के रामपुर गंगा घाट सहित सीतामढ़ी, सेमराधनाथ, गुलौरी गंगा घाट, जहांगीराबाद आदि गंगा घाटों पर छठ पूजन के लिए श्रद्धालु महिलाओं-पुरुषों की अपार भीड़ रही। गोपीगंज नगर के वरिष्ठ भाजपा नेता ज्ञानेश्वर अग्रवाल व नगर अध्यक्ष अरुण उर्फ रिंकू ने बताया कि शाम होते उनके यहां छठ घाट पर श्रद्धालुओं का जमावड़ा देखने लायक था।
यहां घाट पर सबसे पहले, सबसे आगे पहुंचने की होड़ दिखी। लोगों ने छठ घाट पर पहुंचकर मिट्टी से भगवान सूर्य की प्रतीकात्मक मूर्ति स्थापित की। महिलाओं ने अर्घ्य देने के उपरांत भगवान सूर्य की इस मूर्ति के चारों ओर घेरा बनाकर विधि-विधान से पूजा की।
नई-नवेली विवाहिताओं में भी दिखा विश्वास ।
नई नवेली विवाहिताओं ने छठी मैया का पहली बार व्रत किया। चटकीली, चमकती साडिय़ों, पैरों में आलता (लाल रंग), मांग में लंबा सिंदूर भरकर विवाहिताओं के मन में भक्ति का विश्वास इतना था कि चेहरे पर उसकी चमक साफ दिख रही थी, लगा ही नहीं कि घंटों से उन्होंने अन्न-जल ग्रहण नहीं किया है।
प्रथा के अनुसार जो महिलाएं पहली बार छठी मैया का व्रत रखती हैं, उनको अपनी सास या मां से यह व्रत लेना होता है। पहले पूरे परिवार की भलाई के लिए यह व्रत मांएं करती थीं, अब बेटी यह व्रत करती है। यह परंपरा लगातार आगे बढ़ती रहती है।
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