बाल्मीकि ने की महाकाव्य रामायण की रचना-प्रो0कामिनी ।
बाल्मीकि ने की महाकाव्य रामायण की रचना-प्रो0कामिनी । ए •के • फारूखी (रिपोर्टर ) ज्ञानपुर,भदोही । काशी नरेश राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय ज्ञानपुर में शनिवार को महर्षि बाल्मीकि जयंती मनाई गई । प्रतिवर्ष अश्विन माह की पूर्णिमा को महर्षि बाल्मीकि जयंती मनाई जाती है । इस अवसर पर काशी नरेश राजकीय महाविद्यालय की प्रोफेसर डा0 कामनी
बाल्मीकि ने की महाकाव्य रामायण की रचना-प्रो0कामिनी ।
ए •के • फारूखी (रिपोर्टर )
ज्ञानपुर,भदोही ।
काशी नरेश राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय ज्ञानपुर में शनिवार को महर्षि बाल्मीकि जयंती मनाई गई । प्रतिवर्ष अश्विन माह की पूर्णिमा को महर्षि बाल्मीकि जयंती मनाई जाती है । इस अवसर पर काशी नरेश राजकीय महाविद्यालय की प्रोफेसर डा0 कामनी वर्मा ने कहा कि महाकाव्य रामायण के संस्कृत की रचना महर्षि वाल्मीकि ने ही की थी
बाल्मिक पहले डाकू थे, उनका नाम रत्नाकर था। लेकिन जीवन में ऐसा मोड़ आया। जब नारद मुनि की बात सुनकर उनका ह्रदय परिवर्तित हुआ और प्रभु के मार्ग पर चलते हुए महर्षि बाल्मीकि के नाम से विख्यात हुए।
महर्षि वाल्मीक नदी के तट पर कुछ पक्षियों के जोड़ों को प्रणव क्रीड़ा करते हुए देखा लेकिन तभी अचानक उसे शिकारी का तीर लग गया। इससे कुपित होकर बाल्मीकि के मुंह से निकला
मा निषाद प्रतिष्ठां त्वमगम:शाश्वती:समा:यत्रकौचमिथुनादेकमवधी काममोहितम्
अर्थात क्रीड़ा में लिप्त क्रोंच पक्षी की हत्या करने वाले शिकारी को कभी सुकून नहीं मिलेगा। हालांकि बाद में उन्हें अपने इस श्राप को लेकर दुख: हुआ। लेकिन नारद मुनि ने उन्हें सलाह दी कि आप इसी श्लोक से रामायण की रचना करें।
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