
हस्तशिल्पियों के लिए अब मात्र प्रकाश पर्व ही बना सहारा
स्वतंत्र प्रभात ब्यूरो उन्नाव। हस्तशिल्पी हांथों की कला से गजानन,ं माता लक्ष्मी आदि की मूर्तियाँ एवं दीपावली त्योहार को देखते हुए मिट्टी के दीपक आदि बनाकर अपने परिवार का जीविकोपार्जन की व्यवस्था करते हैं।बतातें चलें कि क्षेत्र के विभिन्न स्थानो पर नवरात्रि एवं दशहरा पर्व पर मेलों का आयोजन होता था। जहाँ हस्तशिल्पी (कुम्हार) मिट्टी
स्वतंत्र प्रभात ब्यूरो उन्नाव। हस्तशिल्पी हांथों की कला से गजानन,ं माता लक्ष्मी आदि की मूर्तियाँ एवं दीपावली त्योहार को देखते हुए मिट्टी के दीपक आदि बनाकर अपने परिवार का जीविकोपार्जन की व्यवस्था करते हैं।बतातें चलें कि क्षेत्र के विभिन्न स्थानो पर नवरात्रि एवं दशहरा पर्व पर मेलों का आयोजन होता था। जहाँ हस्तशिल्पी (कुम्हार) मिट्टी के विभिन्न आकृतियों के खिलौने बनाकर बेचते थे, इसी कमाई से वर्ष भर अपने परिवार का भरण-पोषण करते थे, परन्तु कोरोना महामारी के चलते इस बार कहीं पर भी मेलों का आयोजन नहीं हो पा रहा है,
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हस्तशिल्पियों के लिए अब मात्र प्रकाश पर्व ही बना सहारा
ऐसी स्थिति में अब दीपावली का पर्व ही इनका सहारा बचा है, इसलिये कस्बा फतेहपुर चैरासी सहित विभिन्न स्थानों पर उक्त पेशे से जीविकोपार्जन करने वालो ने दीपावली पर्व को लेकर तैयारियां शुरू कर दी हैं। कस्बा ऊगू के निवासी संतोष प्रजापति ने बताया कि हम लोगों के व्यवसाय लॉकडाउन से अभीतक बंद हैं, जिससे पारिवारिक खर्चा चलना बहुत मुश्किल है। अब सहारा दीपावली त्योहार का लगाकर रात-दिन अपनी रोजी-रोटी की व्यवस्था में मिट्टी के दीपक, बर्तन बनाने का काम शुरू है तथा मिट्टी की मूर्तियां भी बनाकर दीपावली के त्योहार की तैयारी कर रहे हैं क्योंकि हम लोगो के पास जीविकोपार्जन के लिए सिर्फ दीपावली त्यौहार ही है।
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