नवमी के साथ दशमी मिलने से आज मनाई जाएगी विजय दशमी ।

नवमी व दशमी तिथि के संगम से बना विजय दशमी पर्व । मनोज वर्मा (रिपोर्टर ) सुरियावां, भदोही । शारदीय नवरात्र में इस बार दुर्गाष्टमी, नवमी और दशहरा को लेकर लोग दुविधा की स्थिति है। आपको बता दें कि पंचांग के आधार पर तिथियां अंग्रेजी कैलेंडर की तारीखों की तरह 24 घंटे की नहीं होती

नवमी व दशमी तिथि के संगम से बना विजय दशमी पर्व ।

मनोज वर्मा (रिपोर्टर )

सुरियावां, भदोही ।

शारदीय नवरात्र में इस बार दुर्गाष्टमी, नवमी और दशहरा को लेकर लोग दुविधा की स्थिति है। आपको बता दें कि पंचांग के आधार पर तिथियां अंग्रेजी कैलेंडर की तारीखों की तरह 24 घंटे की नहीं होती हैं। ये तिथियां 24 घंटे से कम और ज्यादा हो सकती है।

कई बार ये तिथियां एक ही तारीख को आ जाती हैं। इससे दो व्रत या त्याेहार एक ही दिन आ जाते हैं। इस बार नवरात्र की अष्टमी, नवमी और दशमी तिथि को लेकर परेशान होने की आवश्यकता नहीं है। अष्टमी-नवमी पर कुलदेवी की पूजा करने की परंपरा रही है।

शास्त्र के अनुसार शारदीय नवरात्र में इस बार नवमी तिथि दशमी के साथ मिलने से रविवार 25 अक्टूबर काे विजयादशमी का पर्व मनाया जाएगा। सुबह सूर्याेदय से दोपहर 2 बजे तक नवमी प्रधान है। इसके बाद दशमी तिथि का आगमन हो जाएगा जो पूरी रात रहेगा।

इसी तरह शुक्रवार को सप्तमी तिथि रही और अष्टमी तिथि का आगमन शुक्रवार शाम को शुरू हुआ, जाे अगले दिन पूरे दिन मानी जाएगी, क्याेंकि शनिवार काे सूर्याेदय अष्टमी में हाे रहा है, इसलिए इस दिन अष्टमी मानी जाएगी। पंडित हर्षवर्धन के अनुसार विजयादशमी पर्व नवमी और दशमी तिथि के संगम से बना है।

नवमी तिथि रिक्ता और दशमी तिथि पूरणा मानी जाती है। इस नवमी को महानवमी भी कहा जाता है। जब नवमी तिथि-दशमी तिथि मिलेंगी तो संपूर्ण या परिपूर्ण योग बनता है, जिससे अमन, शांति, सुख, समृद्धि का वातावरण बनेगा। प्रकृति और प्राणी मात्र का कल्याण निरंतर वृद्धिकारक है।

यह पर्व विजयादशमी के नाम से माना जाएगा और विजयादशमी का शाब्दिक अर्थ विजयश्री की प्राप्ति, जिसमें अमंगलता दूर होकर मंगलकामनाएं फलीभूत होंगी।

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