
महीना नही देने पर चीखना वालो को पीट रही है जटहां की बहादुर पुलिस,भूखे मर रहे है फुटपाथ के दुकानदार
स्वतंत्र प्रभात कही योगी सरकार को बदनाम करने के लिये तो नही पुलिस वाले लिख रहे स्क्रिप्ट ब्यूरो रिपोर्ट – प्रमोद रौनियार कुशीनगर, उप्र। एक तरफ कहीं कोई गरीब भूखा ना सोए इस मिशन को पूरा करने में उत्तर प्रदेश की सरकार हो या चाहे केंद्र की सरकार निरंतर सतत प्रयत्नशील है । लेकिन उत्तर
स्वतंत्र प्रभात
कही योगी सरकार को बदनाम करने के लिये तो नही पुलिस वाले लिख रहे स्क्रिप्ट
ब्यूरो रिपोर्ट – प्रमोद रौनियार
कुशीनगर, उप्र।
एक तरफ कहीं कोई गरीब भूखा ना सोए इस मिशन को पूरा करने में उत्तर प्रदेश की सरकार हो या चाहे केंद्र की सरकार निरंतर सतत प्रयत्नशील है । लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार के खाकी वर्दी का खौफ यह है कि गरीब कहीं कमाए लेकिन पुलिस को पैसा दे अगर लाचार मजबूर गरीब पुलिस को पैसा नहीं देते हैं तो असहाय निर्दोष गरीबों पर लाठियां बरसा रही है।

जी हां उपरोक्त बातें कोई किस्सा कहानी नहीं है बल्कि जटहां बाजार पुलिस की कारनामों की जीता जागता चल रही कहानी है। वैसे तो वर्दी की एक फौज खड़ा है जो कभी भी शायद अपने गिरेबान में झांक नहीं देखती है बल्कि गरीबों के गिरेबान में सदैव झांकती रहती है कि गरीब कैसे जिंदा रह कर अपने कुल का भरण पोषण कर रहा है।

जटहां बाजार निवासी उमेश राजभर ने बताया कि पत्नी सहित बड़ी हो चुकी 5 बेटियों और 2 पुत्र का खर्चा शराब भट्टी पर टाटपट्टी में चिकना और नाश्ता भेज कर अपने परिवार का भरण पोषण चलाता है। ऐसे बेवस परिवार पर गिद्ध राज की तरह निगाह टिकाए जटहां बाजार पुलिस एक दिन जटहां शराब भट्टी से चार लोगों को उठा ले गई और 4 घंटा हवालात डाल दिया।
4 घंटे बाद हवालात से पुलिस ने अपनी हनक दिखाकर इस शर्त पर छोड़ी की सभी पांच ₹500 ला करके जमा कर देना तभी तुम लोगों की दुकानें खुलेगी।
लेकिन ऐसे बदनसीबी का मारा हुआ गरीब परिवार उपरोक्त तयशुदा रकम थाने नहीं दे पाए तो दरोगा जी ने करीब एक माह बाद चीखना नाश्ता बेचने वालों को सौहार्द और शांति की पाठ के बहाने थाने पर बुलाया और उन्हें समझाया कि चीखना बेचो मगर दुकान में एक ग्राहक नहीं दिखाई देना चाहिए न सीसी बोतल ढक्कन दिखाई देना चाहिए अगर दिखाई दिया तो तुम लोगों की खैर नहीं है।
लेकिन हां जब तक महीना नहीं बांध लोगे तब तक किसी भी दुकान को नहीं खोलने दिया जाएगा नतीजा आज दुकानों में सीसी ढक्कन कौन कहे दुकानदार दुकानें बंद कर अपनी रोजी-रोटी को चलाने के लिए दूसरे के दरवाजे पर जाकर जिंदगी की दुहाई मांग रहे हैं।
यह तो हुई लेकिन 24 अक्टूबर की शाम 4:00 बजे पूर्व से खार खाए दरोगा जी अपनी लाव लश्कर लेकर शराब भट्टी पर पहुंच गए तो मौके से उमेश राजभर ही मिला।
उमेश के अनुसार उसके दुकान में एक भी ग्राहक नहीं थे दुकान के बाहर सड़क के पटरी पर लोग शराब पी रहे थे और दरोगा जी आव देखा न ताव दुकान में घुसकर उमेश की मां बहन की भद्दी भद्दी गालियां देते हुए दो रोल जमा दिए।उमेश आज दूसरे के दरवाजे पर भटक भटक कर दरोगा जी की पिटाई की बात तो नहीं लेकिन अपने पेट की सवाल जरूर कह रहा है कि हमारे बीवी बच्चे अब कैसे जिएंगे।

वही बचपन में पिता की उठी साया से संघर्ष कर 10 वर्षीय किसन आज अपनी मां और दो बहनों का खर्चा चला रहा है ऐसे किशन ने बताया कि इकलौता परिवार का सदस्य हूं देसी शराब की दुकान पर चौकी पर भूजा पानी बेचकर अपनी मां बहनों का भोजन चलाता हूं ऐसे में पुलिस वाले महीना मांग रहे हैं तो हम गरीब कहां से महीना देंगे।अब सामने है महीना नहीं दिए है तो दुकान को पुलिस वालों ने बंद करवा दिया है। यह पूछने पर की दुकान फिर खोलो तो किशन ने कहा कि कौन जाएगा पुलिस से पीटाने गरीबों का यहां कोई रखवाला नहीं है।
अब मेरा मानना है कि उत्तर प्रदेश के योगी सरकार को बदनाम करने के लिए इस तरह की दूषित कार्यवाही गरीब असहायों पर की जा रही है बेशक दरोगा जी तो बात अपनी ऐसे रखेंगे जैसे लगेगा दूध के धुले हुए एक महान अधिकारी है।
अब इसमें देखना है कि सत्ता की चाबी लेकर हनक जमाने वाली भाजपा सरकार बताएगी कि क्या योगी जी के राज में गरीब ऐसे ही पिटे जाएंगे और उनकी रोजी रोजगार को बंद करा दिया जाएगा सरकार को इस बात को अभिलंब संज्ञान में लेना चाहिए और जांच कर दोषियों के विरुद्ध कड़ी से कड़ी कार्रवाई जनहित में होनी चाहिए जिसे सरकार की साख पर बट्टा लगाने वाले होश में आ जाए और निष्पक्ष होकर अपने दायित्वों का निर्वहन करें।

उपरोक्त विषयों पर जब थानाध्यक्ष संजय कुमार से पूछा गया कि अंग्रेजी बियर की दुकानों के इर्द-गिर्द खाना नाश्ता की दुकानें खुली हुई है और देसी शराब के आसपास की सारी दुकानें बंद क्यों पड़ी है।
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थानाध्यक्ष जटहां बाजार संजय कुमार
इस पर थानाध्यक्ष ने कहा कि पुलिस के पास बहुत काम है पुलिस बैठकर दुकान नहीं रखा सकती है तो क्या देसी शराब की दुकानों पर शराब बेचने वालों की दुकानों को कौन रखवाली कर रहा है कि उनकी दुकान है आज बंद पड़ी है।
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