एक सिपाही ऐसा जिसने थानाध्यक्ष के साथ लगाई थी जान की बाजी नाम है कां रामप्रवेश

स्वतंत्र प्रभात ब्यूरो रिपोर्ट-प्रमोद रौनियार अक्सर हम पत्रकार,बड़े नेता व अधिक स्टार वाले लोग बड़ी बड़ी बातों के आगे छोटी चीजें छोड़ देते हैं या अपने ही अधिनस्तो के साथ न्याय नही कर पाते। मैं ध्यान आकृष्ट कराना चाहुंगा उस कांस्टेबल की तरफ जिसने कुशीनगर जिले तरयासुजान थानाध्यक्ष हरेंद्र मिश्र के साथ लीड के भूमिका

स्वतंत्र प्रभात

ब्यूरो रिपोर्ट-प्रमोद रौनियार

अक्सर हम पत्रकार,बड़े नेता व अधिक स्टार वाले लोग बड़ी बड़ी बातों के आगे छोटी चीजें छोड़ देते हैं या अपने ही अधिनस्तो के साथ न्याय नही कर पाते।

मैं ध्यान आकृष्ट कराना चाहुंगा उस कांस्टेबल की तरफ जिसने कुशीनगर जिले तरयासुजान थानाध्यक्ष हरेंद्र मिश्र के साथ लीड के भूमिका में रहा और जान की परवाह किए बगैर दिवारो के पीछे से मोर्चा बंदी कर अपराधी को अभिरक्षा में लिया था। नाम है कांस्टेबल रामप्रवेश।

जहा पर सामने गोलियों से भरी बंदूक तनी हो और सामने वाले अपराधी पर खून सवार हो तो वर्दी की लाज बचाना कितना कठिन होता है। यह तो थानाध्यक्ष बता सकते हैं या फिर उनके साथ गये वे 6 सिपाही जो छत पर ग्रामीणों के दोहरी मार झेलने को मजबूर थे।

घटनाक्रम पर उपलब्ध वीडियो को आधार मानकर गौर किया जाय तो तमाम वीडियो में खून से सने वर्दी में इस सिपाही का प्रयास कामन दिख रहा है।

जहां कम पुलिस बल और ग्रामीणों के लाठी खाने के वावजूद हर जगह यह शख्स भीड़ के लोगों से यथासामर्थ अनुनय-विनय कर हमलावर के जान की भीख मांगता दिख रहा है।

वावजूद इसके अभी अनुमान लगाया जा रहा है चलने वाली तबादला एक्सप्रेस ट्रेन चलनी बाकी है।देखना यह है कि कप्तान साहब की निगाहें इस वर्दी के लाल के साथ क्या न्याय कर पाते हैं यहां तक निगाहें पहुंच पाती भी है या तबादला, सस्पेंड,बर्खास्त या ऐसा और कुछ कार्यवाही।

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