एक साथ निकले पिता-पुत्र के शव, नम हुई हर आंख

स्वतंत्र प्रभात ब्यूरो उन्नाव। पिता-पुत्र की एक साथ शवयात्रा गांव से बाहर निकली तो हर आंख नम हो गयी। सोमवार को सड़क हादसे में दोनों की अलग-अलग अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गयी थी। पीएम के बाद शव परिजनों को सौंप दिए गए। परिजनों ने दोनों शवों का मंगलवार को परियर घाट पर

स्वतंत्र प्रभात ब्यूरो उन्नाव। पिता-पुत्र की एक साथ शवयात्रा गांव से बाहर निकली तो हर आंख नम हो गयी। सोमवार को सड़क हादसे में दोनों की अलग-अलग अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गयी थी। पीएम के बाद शव परिजनों को सौंप दिए गए। परिजनों ने दोनों शवों का मंगलवार को परियर घाट पर अंतिम संस्कार कर दिया।फतेहपुर चैरासी थाना क्षेत्र के ओसिया गांव निवासी दीपनारायण 50 पुत्र विश्वनाथ सोमवार को बाराबंकी दवा लेने के लिए मंझले पुत्र आनंद 20 वर्ष के साथ बाइक से गये थे। जहां से पिता पुत्र वापस घर लौट रहे थे जो आसीवन थाना क्षेत्र के लखनऊ बांगरमऊ मार्ग पर आवागोझा गांव के पास पहुंचे

थे तभी लखनऊ की ओर जा रहे तेज रफ्तार वैन चालक ने आगे जा रहे वाहन को ओवरटेक करने के चक्कर में सामने से आ रहे बाइक सवार को टक्कर मार दी। दोनों वाहनों की भिंडत हो गयी जिससे पिता पुत्र गंभीर रूप से घायल हो गए थे। सूचना पर पहुंची पुलिस ने दोनों को मियागंज अस्पताल में भर्ती कराया। जहां पिता दीपनारायण को डाक्टर ने मृत घोषित कर दिया जबकि गंभीर रूप से घायल पुत्र को जिला अस्पताल रेफर कर दिया। जहां देरशाम इलाज के दौरान उसकी भी मौत हो गयी। पिता-पुत्र की एक साथ मौत होने से परिजन आहत हो गए। मृतक दीप नारायण आचार्य थे।

वह आसपास के क्षेत्र में पूजन पाठ कराते थे। पांच पुत्रों में सबसे बड़ा पुत्र वेदनारायण उर्फ सुमित भगवताचार्य है। सुमित चंडीगढ़ में प्राइवेट नौकरी करता है। मृतक आंनद व हरिओम नैमिषारण्य सीतापुर में आचार्य की पढाई संस्कृत महाविद्यालय से कर रहा था और कुछ दिन पहले ही वह बीमार पिता का इलाज कराने के लिए गांव आया था। सबसे छोटा पुत्र अयांश गांव में रहकर पढाई कर रहा है। मृतक की पत्नी सुषमा देवी पर गमों का पहाड़ टूट पडा। पहले पति की मौत की खबर मिली जिससे वह ऊबर भी नहीं पाई थी कि शाम को पुत्र की मौत की खबर सुनकर अपनी सुध-बुध खो बैठी।

वह दोनों शवों के बीच बैठकर अपलक निहार रही थी। उसकी आंखों के आंसू भी सूख चुके थे। वही गांव में मातम पसर गया। लोगों के घरो में चूल्हे नही जले। जब दोनों की शव यात्रा एक साथ परियर घाट के लिए निकली तो बरबस ही हर आंख नम हो गयी।

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