बंजर भू मि अतिक्रमण के लिए मुकदमा नहीं चल सकता-उच्च न्यायालय

बंजर भू मि अतिक्रमण के लिए मुकदमा नहीं चल सकता-उच्च न्यायालय। स्वतंत्र प्रभात। प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि गांव सभा की बंजर भूमि पर अतिक्रमण के मामले में आपराधिक मुकदमा दर्ज नहीं किया जा सकता है। ऐसा करना न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग है। इसके लिए राजस्व संहिता में दिए गए प्रावधानों

‌ बंजर भू मि अतिक्रमण के लिए मुकदमा नहीं चल सकता-उच्च न्यायालय।

‌स्वतंत्र प्रभात।

‌ प्रयागराज।

‌ इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि गांव सभा की बंजर भूमि पर अतिक्रमण के मामले में आपराधिक मुकदमा दर्ज नहीं किया जा सकता है। ऐसा करना न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग है। इसके लिए राजस्व संहिता में दिए गए प्रावधानों के तहत ही कार्यवाही की जा सकती है।

‌कोर्ट ने कहा है कि राजस्व संहिता की धारा 67 में ऐसे मामलों में कार्यवाही की प्रक्रिया विस्तार से दी गई है। एसडीएम को लेखपाल या भूमि प्रबंधक समिति की शिकायत पर कार्रवाई करने का अधिकार है। ऐसे मामले लोक संपत्ति क्षति निवारण अधिनियम के तहत कार्रवाई कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग है। इस कानून के तहत दंगे या प्रदर्शन के दौरान लोक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने पर ही कार्रवाई की जा सकती है। 

‌कोर्ट ने कहा है कि अतिक्रमण मामले में सक्षम कोर्ट से दोष सिद्ध होने के बाद ही आपराधिक कार्रवाई की जा सकती है।। इसमें एफआईआर नहीं दर्ज की जा सकती।यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीता अग्रवाल ने शाहजहांपुर, बांदा थाना क्षेत्र के गांव ड्यूहाना के निवासी दो भाइयों  मुन्शी लाल व किशोरी सिंह के खिलाफ कायम आपराधिक मुकदमे को रद्द करते हुए दिया है।
 
‌ उच्च न्यायालय ने कहा कि पुलिस चार्जशीट पर न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा सम्मन जारी कर तलब करने का आदेश कानून की अनदेखी है। 20जनवरी 18 को सरकारी जमीन पर अतिक्रमण, लोक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के आरोप में पुलिस ने याचियों के खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की। जिस पर कोर्ट ने सम्मन भी जारी कर दिया। इसी को याचिका मे चुनौती दी गई थी।

‌याची का कहना है कि विवादित भूमि राजस्व अभिलेख में उसकी पैतृक संपत्ति के रूप मे दर्ज है। यदि बंजर भूमि पर अतिक्रमण किया गया है तो राजस्व संहिता के तहत कार्रवाई की जा सकती है। बंजर भूमि सार्वजनिक उपयोग की भूमि नहीं है। जिसका कानूनी प्रक्रिया से नियमितीकरण किया जा सकता है। इस मामले में लोक संपत्ति क्षति निवारण अधिनियम के तहत कार्रवाई करना गैर कानूनी है।

‌याची का यह भी कहना है कि राजस्व अदालत से अतिक्रमण साबित नहीं हुआ है। ऐसे में याची के खिलाफ कोई भी आपराधिक मुकदमा नहीं बनता है।

‌ प्रयागराज ब्यूरो से दया शंकर त्रिपाठी की रिपोर्ट।

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