
सुशांत केस: सुप्रीम कोर्ट तय करेगा कि जांच सीबीआई करेगी या महाराष्ट्र पुलिस
सुशांत केस: सुप्रीम कोर्ट तय करेगा कि जांच सीबीआई करेगी या महाराष्ट्र पुलिस स्वतंत्र प्रभात प्रयागराज फिल्म अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में अभिनेत्री रिया चक्रवर्ती की याचिका पर उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को सुनवाई पूरी करके फैसला सुरक्षित रख लिया। उच्चतम न्यायालय ने सभी पक्षों से 13 अगस्त तक
सुशांत केस: सुप्रीम कोर्ट तय करेगा कि जांच सीबीआई करेगी या महाराष्ट्र पुलिस
स्वतंत्र प्रभात
प्रयागराज
फिल्म अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में अभिनेत्री रिया चक्रवर्ती की याचिका पर उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को सुनवाई पूरी करके फैसला सुरक्षित रख लिया। उच्चतम न्यायालय ने सभी पक्षों से 13 अगस्त तक लिखित जवाब मांगा है।
रिया ने कोर्ट में दलील दी कि सुशांत के पिता की एफआईआर का पटना में किसी अपराध से कोई कनेक्शन नहीं है। मामला एकतरफा है। राज्य इसमें भारी दखल दे रहा है। बिहार पुलिस ने कहा कि मुंबई पुलिस राजनीतिक दबाव में तथ्यों को छिपा रही है।
सुशांत सिंह की मौत के मामले में अभिनेत्री रिया चक्रवर्ती की दो याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इसमें से एक याचिका में रिया ने सुशांत के पिता केके सिंह की ओर से पटना में दर्ज कराए गए मामले को मुंबई स्थानांतरित करने की अपील की।
मामले में करीब तीन घंटे चली मैराथन सुनवाई के बाद उच्चतम न्यायालय ने रिया चक्रवर्ती की ट्रांसफर याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है। अब सुशांत केस की जांच मुंबई पुलिस करेगी या सीबीआई इस पर अपना आखिरी फैसला उच्चतम न्यायालय गुरुवार को दे सकता है।
इस केस में रिया चक्रवर्ती की ओर से श्याम दीवान, महाराष्ट्र सरकार की ओर से अभिषेक मनु सिंघवी, बिहार सरकार की ओर से मनिंदर सिंह और भारत सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अपने-अपने पक्ष रखे।
रिया के वकील श्याम दीवान ने अदालत से कहा है कि इस मामले का संबंध पटना से नहीं है। उन्होंने सवाल किया कि जब घटना मुंबई में हुई तो मामला पटना में क्यों? पटना में एफआईआर दर्ज कराना कानूनी रूप से गलत है। घटना के 38 दिन बाद पटना में दर्ज की गई एफआईआर में पक्षपात होने का अंदेशा है, इसलिए इस मामले की जांच मुंबई पुलिस को ही करनी चाहिए। बिहार में दर्ज एफआईआर का किसी अपराध से संबंध नहीं है।
दीवान ने कहा कि रिया चक्रवर्ती खुद बहुत परेशान हैं, उन्हें धमकियां दी जा रही हैं। वह सुशांत से प्यार करती थीं और सुशांत की मौत के बाद से सदमे में हैं। अब उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है, बलि का बकरा बनाया जा रहा है।
दीवान ने कहा कि बिहार सरकार को सिर्फ जीरो एफआईआर दर्ज करने का अधिकार था। मुंबई पुलिस अब तक 56 लोगों के बयान दर्ज कर चुकी है। सुशांत की मौत की सभी कोणों से जांच मुंबई पुलिस कर रही है। छानबीन की रिपोर्ट भी सुप्रीम कोर्ट को सीलबंद लिफाफे में सौंपी जा चुकी है। उन्होंने कहा कि मेरी ओर से याचिका दायर करने के बाद सीबीआई को जांच सौंपी गई जो गलत है।उन्होंने कहा कि एफआइआर राजनीतिक दबाव के कारण लिखी गई।
उच्चतम न्यायालय ने दीवान से पूछा कि आप चाहते हैं कि इस मामले की जांच सीबीआई करे? जवाब में श्याम दीवान ने कहा कि पहले इस मामले को मुंबई पुलिस को सौंपा जाए, सीबीआई जांच इसके बाद की बात है।
महाराष्ट्र सरकार की ओर से वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने भी बिहार में एफआइआर दर्ज करने को गलत बताया। सिंघवी ने कहा, इस मामले में जो हो रहा है वह संघीय ढांचे को खत्म करने का प्रयास है। एक ट्रांसफर याचिका को लेकर इतना होहल्ला हमने अब तक नहीं देखा।
सिंघवी ने कहा कि बिहार में चुनाव होने वाले हैं, इसलिए यह सब हो रहा है। या तो सीबीआई जांच का आदेश हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट दे सकता है या जिस राज्य में यह घटना हुई हो, वह राज्य सरकार सीबीआई जांच की मांग करे। यहां यह भी सवाल है कि क्या एकल पीठ किसी भी मामले को एक राज्य से दूसरे राज्य में ट्रांसफर कर सकती है?
बिहार सरकार की ओर से वकील मनिंदर सिंह ने कहा कि पटना में एफआईआर दर्ज कराना जरूरी था। यह पता लगाने की जरूरत है कि सुशांत की हत्या हुई थी या उसने आत्महत्या की थी। मुंबई पुलिस ने इतने दिनों बाद भी कोई एफआईआर दर्ज नहीं की। राजनीतिक दबाव बिहार नहीं बल्कि महाराष्ट्र में है, इसी के कारण अब तक मुंबई में एफआईआर दर्ज नहीं हो पाई है।
उन्होंने सवाल किया कि आखिर महाराष्ट्र सरकार क्या छुपाना चाह रही है? शुरुआती छानबीन के स्तर पर क्षेत्र अधिकार का मसला नहीं उठाया जा सकता। जब तक छानबीन पूरी नहीं हो जाती और रिपोर्ट सौंप नहीं दी जाती तब तक मुकदमे को ट्रांसफर की अर्जी दाखिल नहीं की जा सकती। सुशांत की बहन 10 मिनट की दूरी पर रहती थीं, लेकिन उसके घर पहुंचने से पहले ही रूम को खोला गया, बहन के आने तक का इंतजार नहीं किया गया।
सीबीआई की ओर से पेश सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि बिहार के एसपी विनय तिवारी को क्वारंटीन करने के बाद महाराष्ट्र सरकार ने अगले दिन तीन अगस्त को नियम में बदलाव किया। ऐसा जांच में बाधा पहुंचाने के लिए किया गया। यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि जांच में जुटी पुलिस अधिकारियों के लिए क्वारंटीन का नियम नहीं होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि रिया इस मामले में पीड़िता हैं या आरोपी हैं या शिकायतकर्ता, यह हमें नहीं पता, लेकिन रिया ने जिस दिन सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर की याचिका दायर की, उस वक्त उसके खिलाफ मुंबई में कोई भी मुकदमा लंबित नहीं था। मुंबई पुलिस के हलफनामे से लगता है कि वह मानकर चल रही है कि सुशांत ने आत्महत्या की।
सुशांत के पिता की ओर से वरिष्ठ वकील विकास सिंह ने कहा कि सुशांत के पिता सिर्फ इस मामले में ट्रायल चाहते हैं। उन्हें मुंबई पुलिस की जांच पर भरोसा नहीं है। मुंबई पुलिस जांच को किसी अन्य दिशा में ले जा रही है। मुंबई पुलिस सभी को समन कर चुकी है लेकिन संदिग्ध लोगों, आरोपियों को अब तक तलब नहीं किया गया। रिया ने सब कुछ कंट्रोल कर रखा था, लेकिन मुंबई पुलिस ने अब तक रिया से पूछताछ नहीं की है। अहम बात यह है कि सुशांत के पिता ने अपना बेटा खोया है।
रिया ने इससे पहले सोमवार को मीडिया ट्रायल को गलत बताते हुए सुप्रीम कोर्ट में नई याचिका भी लगाई थी। उन्होंने अपील की थी कि बिहार चुनाव को देखते हुए राजनीतिक एजेंडे के तहत बलि का बकरा नहीं बनाया जाए। रिया ने मीडिया ट्रायल रोकने की भी गुहार लगाई। उन्होंने कहा कि मीडिया उन्हें सुशांत की मौत का दोषी ठहराने की कोशिश कर रहा है।
रिया की याचिका में कहा गया है कि बिहार पुलिस ने सीबीआई को जांच ट्रांसफर कर गलत किया है। हाअगर अदालत ने इस मामले को सीबीआई को भेजा है तो फिर कोई आपत्ति नहीं है। कानूनी तौर पर जांच का अधिकार क्षेत्र मुंबई होना चाहिए, पटना नहीं। रिया ने ये दलील भी दी कि एक्टर आशुतोष भाकरे और समीर शर्मा ने भी पिछले दिनों आत्महत्या कर ली थी, लेकिन इन दोनों मामलों पर मीडिया में कानाफूसी भी नहीं हुई।
अब ऐसे में उच्चतम न्यायालय ही तय करेगा कि जांच मुंबई शिफ्ट करना चाहिए या सीबीआई जांच करेगी। उच्चतम न्यायालय यदि उचित समझेगा तो इस मामले की जांच अपने स्तर पर सीबीआई को भी सौंप देगा या महाराष्ट्र पुलिस को। उच्चतम न्यायालय की अनुमति के बिना इस मामले की जांच सीबीआई नहीं कर सकती।
प्रयागराज ब्यूरो से दया शंकर त्रिपाठी तथा वरिष्ठ पत्रकार और कानून के जानकार जेपी सिंह की रिपोर्ट।
About The Author
Related Posts
Post Comment
आपका शहर

अंतर्राष्ट्रीय

Online Channel
खबरें
शिक्षा

Comment List