प्रयागराज में नौकरी या व्यवसाय करने वालो की कुरोना सूची में नाम नहीं
प्रयागराज में नौकरी या व्यवसाय करने वालो की कुरोना सूची में नाम नहीं। स्वास्थ्य विभाग की गणना करने का अजीबोगरीब कारनामा। स्वतंत्र प्रभात प्रयागराजअगर आप किसी दूसरे जिले के निवासी हैं और प्रयागराज में काफी दिनों से रहकर नौकरी या किसी व्यवसाय से जुड़कर काम कर रहे हैं और कोरोना पॉजिटिव आ जाएं तो
प्रयागराज में नौकरी या व्यवसाय करने वालो की कुरोना सूची में नाम नहीं।
स्वास्थ्य विभाग की गणना करने का अजीबोगरीब कारनामा।
स्वतंत्र प्रभात
प्रयागराज
अगर आप किसी दूसरे जिले के निवासी हैं और प्रयागराज में काफी दिनों से रहकर नौकरी या किसी व्यवसाय से जुड़कर काम कर रहे हैं और कोरोना पॉजिटिव आ जाएं तो आपको संक्रमितों की सूची में शामिल नहीं किया जाएगा। इसके अलावा यदि आप किसी बड़े शासकीय पद पर नहीं हैं तो आप न तो जिले की कोरोना पॉजिटिव की सूची में आएंगे और न ही कोरोना से मौत होने पर आप की गणना की जाएगी। स्वास्थ्य विभाग का गणना का अजीबोगरीब फार्मूला लोगों के गले नहीं उतर रहा है।
दूसरे जिले से आकर यहां महीनों से रहकर काम कर रहे लोग कोरोना की चपेट में आ रहे हैं। लेकिन स्वास्थ्य विभाग उनकी गिनती जिले के संक्रमितों की सूची में नहीं कर रहा है। आलम यह है कि कोरोना से जिले के भी मरने वाले लोगों को मृतक सूची में शामिल नहीं किया जा रहा है। चार दिन पहले पुलिस विभाग के रेडियो शाखा पीसीआर में तैनात सब इंस्पेक्टर की मौत एसआरएन में कोरोना से हो गई थी। वह धूमनगंज के मनोहरपुर में लंबे समय से रह रहे थे और यहीं रेडियो शाखा में रहकर अपनी ड्यूटी कर रहे थे। लेकिन स्वास्थ्य विभाग ने मरने वालों की सूची में उनका नाम ही शामिल नहीं किया। जबकि उसी दिन एसपी क्राइम भी पाजिटिव आए थे।
स्वास्थ्य विभाग ने न केवल उनका नाम कोरोना पॉजिटिव की सूची में शामिल किया बल्कि उनके संदर्भ में जानकारी भी दी गई। इसके पहले एसएसपी सत्यार्थ अनिरुद्ध पंकज भी पॉजिटिव आए थे। स्वास्थ्य विभाग ने उनकी भी गणना प्रयागराज के कोरोना वायरस संक्रमितों की सूची में की थी। लेकिन सबइंस्पेक्टर को न तो कोरोना पॉजिटिव की सूची में शामिल किया गया और ना ही मरने के बाद मृतक की सूची में। इसके पहले भी जार्जटाउन स्थित बैंक ऑफ बड़ौदा, कई प्राइवेट बैंकर जोकि दूसरे जिले से ताल्लुक रखते हैं, उनके नाम भी सूची में शामिल नहीं किए गए।
सीएमओ मेजर डॉ. जी एस बाजपेई का कहना है कि जब ऐसे लोग इस जिले के नहीं हैं तो उनकी गणना कोरोना पॉजिटिव की सूची में कैसे की जाए। कोरोना के नोडल अधिकारी भी यही तर्क देते हैं। गणना का यह फार्मूला कोरोना पॉजिटिव की संख्या को अपने आप ही कम कर देता है। जानकार इसे आंकड़ों की बाजीगरी बताते हैं। उनका कहना है कि यह संख्या को कम दिखाने का एक तरीका है। प्रशासनिक अफसर इसमें हमेशा से माहिर रहे हैं। फिलहाल पॉजिटिव आने वालों की संख्या इतनी तेजी से बढ़ रही है कि जिले के हालात खुद ही बयां हो रहे हैं।
जिले के लोग भी सूची में नहीं किए गए शामिल।
स्वास्थ्य विभाग जिले में रहने वाले लोगों की मौत को भी अपने आंकड़ों में शामिल नहीं कर रहा है। जिले में 18 जुलाई को तीन लोगों की मौत हो गई थी। इसमें एक सुशील जायसवाल हांडिया का निवासी था, दूसरा सुरेश मुट्ठीगंज का और तीसरा बृज नारायण अवस्थी भी शहर का था। इन तीनों ने प्राइवेट जांच कराई थी। जांच कराने से पहले निजी हॉस्पिटल में भर्ती थे। रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद दो को एसआरएन भेजा गया, लेकिन अस्पताल पहुंचने से पहले ही दोनों ने दम तोड़ दिया। तीनों का अंतिम संस्कार प्रशासनिक अधिकारियों ने ही कराया था, इसके बावजूद कोरोना के मृतकों की सूची में इन तीनों के नाम शामिल नहीं किए ।
प्रयागराज ब्यूरो से दयाशंकर त्रिपाठी की रिपोर्ट।
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