
शारदानगर रेंज के साहब लकडकट्टों पर मेहरबान, धड़ल्ले से हो रहा प्रतिबंधित पेड़ों का कटान
स्वतंत्र प्रभात लखीमपुर रवि प्रकाश सिन्हा खीरी जनपद की शारदानगर रेंज के अफसरों व कर्मचारियों की जुगलबंदी के चलते भ्रष्टाचार चरम सीमा पर पहुंच गया है। जहां कड़क गुलाबी नोटों की बदौलत हर जायज़ नाजायज काम सरेआम परवान चढाये जाते है। फिर चाहे प्रतिबंधित पेड़ों का कटान हो या फिर किसी लकडकट्टे को फंसाकर जुर्माने
स्वतंत्र प्रभात लखीमपुर रवि प्रकाश सिन्हा
खीरी जनपद की शारदानगर रेंज के अफसरों व कर्मचारियों की जुगलबंदी के चलते भ्रष्टाचार चरम सीमा पर पहुंच गया है।
जहां कड़क गुलाबी नोटों की बदौलत हर जायज़ नाजायज काम सरेआम परवान चढाये जाते है। फिर चाहे प्रतिबंधित पेड़ों का कटान हो या फिर किसी लकडकट्टे को फंसाकर जुर्माने के नाम पर मोटी रकम डकारने का मामला हो।
दक्षिण खीरी वन प्रभाग की शारदानगर रेंज तो पहले से ही अवैध कटान कराने में पूरे जिले में काफी चर्चित है। इस रेंज के रेंजर साहब भी अपनी रेंज की मानिंद खासे चर्चित हो रहे हैं। शारदानगर रेंज के रेंजर साहब की मर्जी के बिना कहीं भी पेड़ की एक डाल काटना भी टेढ़ी खीर है, लेकिन अगर लकडकट्टे साहब के मनमाफिक चढ़ावा चढ़ा दें तो फिर चाहे साखू, सागौन या चन्दन जैसे बेशकीमती पेड़ों का कटान हो जाये,
साहब की बला से, उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता। लेकिन अगर कोई लकडकट्टा साहब से चुराकर एक पेड़ भी काट लें, तो फिर उस लकडकट्टे की खैर नहीं। ऐसी दशा में साहब अपने खासमखास व सुरक्षा बल के एक वन दरोगा के हाथों उस लकडकट्टे को पकड़ अपने पास बुला लेते हैं और फिर जुर्माने व जेल भेजने की धौंस का दौर शुरू होता है। आखिरकार लकडकट्टे को साहब के सामने घुटने टेकने पड़ते हैं तथा बिना रसीद के जुर्माना भी भर देता है। वही साहब के तौर तरीकों के वाकिफकार लकडकट्टे अवैध कटान से पहले ही साहब के सामने हाजिरी भर बिना रसीद जुर्माना अदा कर धड़ल्ले से प्रतिबंधित आम, शीशम, जामुन आदि बेशकीमती पेड़ों को काट लेते हैं।
इस अवैध कटान की बाबत अगर कोई साहब से पूछ ले, तो साहब अपने खास लकडकट्टे की ढाल बन परमिट बना होने का दावा कर मामला शांत कर देते हैं। साहब की कार्यशैली से सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि साहब अपने विभाग व सरकार के प्रति कितने ईमानदार व कर्तव्यनिष्ठ है।सरकार को ऐसे जुझारू, ईमानदार व कर्तव्यनिष्ठ अफ़सर के लिए विशेष पैकेज के साथ प्रमोशन देना चाहिए, ताकि अन्य अधिकारी भी साहब से सीख लेकर उनका अनुसरण करें।
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