खबरनवीसो को किसी न किसी तरह दायरे में लेकर प्रताड़ना का शिकार बनाया जा रहा है

स्वतंत्र प्रभात ब्यूरो:-उन्नाव। लोकतंत्र के चैथे स्तम्भ पर कार्यपालिका तथा व्यवस्थापिका द्वारा निरन्तर किये जा रहे हमलो से आहत पत्रकारो ने काली पट्टी बांध विरोध प्रदर्शन किया और मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन जिलाधिकारी को सौंपा।ज्ञात हो कि पिछले एक वर्ष से लोकतंत्र के चैथे स्तम्भ मीडिया द्वारा कार्यपालिका एवं व्यवस्थापिका की लगातार खोली जा रही


स्वतंत्र प्रभात ब्यूरो:-उन्नाव। लोकतंत्र के चैथे स्तम्भ पर कार्यपालिका तथा व्यवस्थापिका द्वारा निरन्तर किये जा रहे हमलो से आहत पत्रकारो ने काली पट्टी बांध विरोध प्रदर्शन किया और मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन जिलाधिकारी को सौंपा।ज्ञात हो कि पिछले एक वर्ष से लोकतंत्र के चैथे स्तम्भ मीडिया द्वारा कार्यपालिका एवं व्यवस्थापिका की लगातार खोली जा रही पोल से क्रोधित इन दोनो स्तम्भो ने मिलीभगत कर इस चैथे स्तम्भ को धराशायी करने का बीड़ा उठा लिया है। स्थानीय जनप्रतिनिधियों तथा प्रशासन व पुलिस की मिलीभगत से सच उजागर करने वाले खबरनवीसो को किसी न किसी तरह दायरे में लेकर प्रताड़ना का शिकार बनाया जा रहा है जिससे लोकतंत्र का यह चैथा स्तम्भ धराशायी होने की कगार पर है।

उदाहरण स्वरूप जनपद में सबसे जघन्य हत्याकाण्ड कुछ दिन पूर्व गंगाघाट कोतवाली क्षेत्र में हुआ। जहां एक पत्रकार को मात्र इसलिये गोलियो से छलनी कर मौत के घाट उतार दिया गया क्योंकि उनसे क्षेत्र की एक दबंग महिला भूमाफिया की पोल सोशल मीडिया पर खोल दी थी। एक हिन्दी दैनिक समाचार पत्र के जिला संवाददाता संतोष तिवारी के साथ भी दबंगो द्वारा मारपीट की गयी जिसमें आजतक कोई कार्यवाही नहीं हुई। ऐसा ही कुछ शुक्लागंज के पत्रकार विपिन शर्मा के साथ घटा। जिन्होंने गंगाघाट कोतवाली क्षेत्र में हो रहे देह व्यापार जैसे घिनौने कृत्य में संलिप्त महिला दरोगा की पोल खोली, जिससे क्रोधित महिला दरोगा ने स्वयं वादी बनकर इस पत्रकार पर भी गंभीर धाराओ में मुकदमा दर्ज कर अपराधी बना दिया।

इसी तरह कुछ दिन पूर्व एक हिन्दी दैनिक समाचार पत्र के शहर संवाददाता पुष्कर तिवारी भी खाकी की प्रताड़ना का शिकार होते-होते बचे। एक अन्य समाचारपत्र के जिला प्रतिनिधि नीरज सोनी भी पुलिस प्रताड़ना से जूझ रहे हैं। जबकि गतदिवस एक चैनल के रिपोर्ट संकल्प दीक्षित पर जेल अधीक्षक ने मात्र इसलिये रिपोर्ट दर्ज करा दी क्योंकि उन्होंने राजकीय महाविद्यालय बक्खाखेड़ा में बनायी गयी अस्थायी जेल में महिलाओं की सुरक्षा के लिए महिला कान्सटेबल की तैनाती न होने की खबर प्रकाशित की थी। इन सभी मामलो में पत्रकारो की गलती सिर्फ इतनी थी कि उन्होंने प्रशासनिक अक्षमता को उजागर कर उसमें सुधार करवाने की कोशिश की थी

लेकिन हमारे आला प्रशासनिक एवं पुलिस अधिकारियों ने इन मामलो को अन्यथा लेकर इन पत्रकारो की ही बोलती बन्द कर दी। योगी राज में पत्रकारो पर इस तरह का अत्याचार कहीं न कहीं लोकतंत्र के चैथे स्तम्भ को धराशायी करने की साजिश है और अगर यह अत्याचार इसी तरह जारी रहा तो वह दिन दूर नहीं जब भावी पीढ़ी समाज के इस महत्वपूर्ण स्तम्भ की ओर रूख करने से भी परहेज करने लगेगी।

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