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लेकिन अफ़सोस के साथ कहना होगा कि इसके वैश्विक कार्य प्रणाली में विकास की गति बहुत धीमी है. स्थिर जैसी है. सबसे बड़ी बात तो यह है कि अभी तक इसके कार्य प्रणाली और चुनाव आदि में दुनिया की आवाम को कोई भागीदारी नहीं मिल सकी है. यह विचारनीय है
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स्वतंत्र प्रभात वाराणसी
मनीष पांडेय
यह 6 जुलाई से शुरू हुआ और 10 जुलाई तक चलेगा. इसका विषय रखा गया है, “वैश्विक महामारी वातावरण में आतंकवाद का मुकाबला करने की रणनीतिक और व्यावहारिक चुनौतियाँ”. यह आयोजन सोमवार 6 जुलाई 2020 को सुबह 10:00 बजे न्यूयॉर्क शुरू किया गया. इस सत्र का उद्देशय, वैश्विक महामारी वातावरण में आतंकवाद का मुकाबला करना और उसके लिये रणनीति तैयार करना है. इस अवसर पर प्लेनेटरी पीस और प्लेनेटरी पोलीटिकल सिस्टम आन्दोलन के संस्थापक एवं संस्था डब्लूएनडी अध्यक्ष और लेखक जावैद अब्दुल्लाह ने कहा कि आतंकवाद-विरोधी सप्ताह मनाना तो ठीक है, पर बात इतने नहीं बनेगी. संयुक्त राष्ट्र अपनी स्थापना के 75 साल पूरे करने जा रहा है. लेकिन अफ़सोस के साथ कहना होगा कि इसके वैश्विक कार्य प्रणाली में विकास की गति बहुत धीमी है. स्थिर जैसी है. सबसे बड़ी बात तो यह है कि अभी तक इसके कार्य प्रणाली और चुनाव आदि में दुनिया की आवाम को कोई भागीदारी नहीं मिल सकी है. यह विचारनीय है. संयुक्त राष्ट्र कैसे क्या काम करता है इसके बारे में भी मध्य एशिया और अफ़्रीका सहित समूची दुनिया में कोई विशेष जागरूकता नहीं है. अकसर ही मौक़ों पर यह अपनी स्थिति स्पष्ट भी नहीं करता. जबकि दुनिया भर के देशों में नवीन राजनीतिक विकास जो कि लोकतान्त्रिक ही हो सकते हैं, की तरफ़ यूएन को महत्वपूर्ण भूमिका अदा करनी चाहिये थी, सो वो नहीं कर सकी|
कहने वाले तो यहाँ तक कहते हैं कि संयुक्त राष्ट्र केवल अंतरराष्ट्रीय दिवस और वैश्विक सम्मेलनों के आयोजनों की संगठन बनकर रह गयी है. जावैद अबुल्लाह ने कहा कि आतंकवाद का इस धरती पर अब तक बने रहने का सबसे बड़ा कारण यही है के विश्व के देशों को लोकतान्त्रिक होने या लोकतान्त्रिक रणनीति और दृष्टि अपनाने की गति बेहद धीमी है. कहीं कहीं तो लगता है कि सरकार लोकतान्त्रिक दृष्टि को और ख़त्म ही करना चाह रही है. तो जो मूल तबदीली की ज़रुरत है, उस पर तो संयुक्त राष्ट्र बात ही नहीं करता. वो यह कि दुनिया के देशों को लोकतंत्र की दिशा में बढ़ने के लिये क़दम उठाये. और दूसरी तरफ़ संयुक्त राष्ट्र में दुनिया के अवाम की भागीदारी को अनिवार्य किया जाये. इस वर्चुअल सत्र में की-नोट स्पीकर यू एन जनरल सेक्रेटरी एंटोनिओ गुटेरेस हैं.|
उन्होंने कहा है कि दुनिया भर में कोविड-19 की वजह से टेररिस्ट ग्रुप अवसर का लाभ उठाने की घात में हैं और उन्हें अपनी कमज़ोरियों का फ़ायेदा नहीं उठाने देना चाहिये. न्यूयॉर्क में आतंक-विरोधी सप्ताह के वर्चुअल कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में उन्होंने कहा कि आज दुनिया एक बेहद गम्भीर दौर से गुज़र रही है. देशों की कोरोना महामारी का बेहद ही ख़राब असर हुआ है. ऐसे में आतंकी चुनौतियाँ और बढ़ गयी हैं. संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने कहा है कि कोविड-19 के समय में भी हमें एक साथ एकजुट होने की ज़रुरत है|
हम मुश्किल दौर में हैं लेकिन आतंक के विरुद्ध नज़र रखते हुये जवाबी कार्यवाही तैयार करनी होगी. वहीं साइबर हमले और जैव आतंकवाद जैसे मुद्दों पर ध्यान देने की आवश्यकता है. आईइएस, अलक़ायदा, समेत तमाम आतंकी संगठन स्थिति का फ़ायदा उठाने की फ़िराक़ में हैं. ज्ञात हो कि इस सत्र में आतंकवाद रणनीतिक एवं व्यवहारिक चुनौतियों पर भी चर्चा होगी यह पूरे एक सप्ताह तक सम्मलेन चलेगा. महासचिव ने कहा कि महामारी के दौर में आतंकवाद के नये प्रारूपों का सहारा मिला है, इससे चुनौती बढ़ गयी है. अन्य वक्ताओं में, जोसेफ़ बोरेल , विदेशी मामलों और सुरक्षा नीति के लिए यूरोपीय संघ के उच्च प्रतिनिधि, यूरोपीय संघ आयोग के उपाध्यक्ष, रिचर्ड हास, विदेश संबंधों पर परिषद के अध्यक्ष, संयुक्त राष्ट्र में ट्यूनीशिया के राजदूत और स्थायी प्रतिनिधि कैस कबानी, डॉ० जहांगीर खान, निदेशक यूएनसीसीटी संयुक्त राष्ट्र कार्यालय काउंटर-टेररिज़्म, अब्दुल्लाह वाई अल-मोअल्लिमी आदि सम्मिलित हैं
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