प्रधानमंत्री आवास योजना में धांधली का आरोप ।

प्रधानमंत्री आवास योजना में धांधली का आरोप । सभासद और विभागीय अधिकारियों-कर्मचारियों की मिली भगत से आवास में बड़ा घोटाला। ए के फारूखी (रिपोर्टर ) भदोही । उत्तर प्रदेश में जनपद भदोही के डूडा कार्यालय में जहां एक ओर प्रधान मंत्री आवास योजना के तहत प्रधानमंत्री मोदी गरीबों को छत देकर उन्हें सम्मान से जीवन

प्रधानमंत्री आवास योजना में धांधली का आरोप ।


सभासद और विभागीय अधिकारियों-कर्मचारियों की मिली भगत से आवास में बड़ा घोटाला।


ए के फारूखी (रिपोर्टर )

भदोही ।
उत्तर प्रदेश में जनपद भदोही के डूडा कार्यालय में जहां एक ओर प्रधान मंत्री आवास योजना के तहत प्रधानमंत्री मोदी गरीबों को छत देकर उन्हें सम्मान से जीवन यापन करने का लाभ दे रहे है। तो वहीं दूसरी ओर कुछ अधिकारी दलालों की मिलीभगत से इस योजनाओं को पलीता लगाने का काम कर रहे हैं । ऐसा ही एक घोटाले का मामला प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत नगर पंचायत ज्ञानपुर के डीह मुहल्ले में सामने आया है। जहां शायद एक पात्र महिला के नाम पर किसी अन्य व्यक्ति ने वार्ड संख्या 2 के सभासद आशीष रावत उर्फ मंगल व डूडा । अधिकारी की सांठगांठ से प्रधानमंत्री आवास का पैसा निकाल लिया है जबकि शायद उस महिला को इस बात की जानकारी ही नहीं हुई। इस संबंध में वार्ड संख्या 2 बड़ा डीह निवासिनी सुमन ने एक शिकायती पत्र देकर मामले की जांच कराकर दोषियों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्यवाही की मांग उठाई है। दिए गए प्रार्थना पत्र में पीड़िता सुमन देवी ने अवगत कराया कि आवास निर्माण के लिए 50,000 रुपए की पहली किस्त आई थी। उसके बाद की धनराशि रोक दी गई है। महिला ने बताया कि मैं डूडा कार्यालय जाकर अफसर उषा त्रिपाठी जी से जब मिली तो उन्होंने कहा कि आपका आवास निरस्त हो चुका है । उसी ₹50,000 में अपना आवास बनवाइये । अब सवाल यह है कि यदि महिला का आरोप सही है तो संबंधित अधिकारियों पर भी आला अधिकारियों द्वारा कार्रवाई की जानी चाहिए । आप ही सोचे यदि महिला अपात्र थी तो, अधिकारियों द्वारा महिला को किस आधार पर सत्यापित किया गया और मैडम जी यह क्यों कह रही हैं कि उसी ₹50,000 में आवास बनवाइए? क्या आवास अपात्र होने से निरस्त होने पर सरकारी धनराशि की रिकवरी नहीं होनी चाहिए ? पर मामले में मिली भगत और लीपापोती की आशंका है । यदि वास्तव में महिला अपात्र थी तो वेरिफिकेशन करने वाले अधिकारियों पर भी गाज गिरनी चाहिए। यदि पात्र है तो इतना ड्रामा क्यों? महिला ने आरोप लगाया कि सभासद आशीष रावत उर्फ मंगल सभासद निवासी वार्ड संख्या 2 को मैंने उसी स्वीकृत धनराशि ₹50,000 में से ₹10 हजार दे दिया है , और ₹40 हजार रुपये ही आवाज में खर्च किया है । संबंधित अधिकारियों को चाहिए कि मौके का मुआयना कर मेरे आवास की बकाए की धनराशि भेजने की कृपा करनी चाहिए । वहीं कुछ अन्य लोगों ने भी आरोप लगाया है कि कुछ ऐसे व्यक्ति भी मौजूद है जो अपात्रता की श्रेणी में आने के बावजूद इस सरकारी योजना का लाभ अधिकारियों की मिलीभगत से उठा रहे हैं । दिए गए प्रार्थना पत्र में उसने यह भी बताया है कि वह अपात्रता की श्रेणी में आती है तो इसीलिए भविष्य में कभी भी जांच हुई तो वह निर्दोष साबित हो सके । इस बाबत इस प्रार्थना पत्र के माध्यम से वह पहले ही शासन को अवगत कराना चाहती है
है कि इस फर्जीवाड़े में उसका कोई हाथ नहीं है ।आशंका व्यक्त की है कि इस मामले में उसकी फिंगरप्रिंट का इस्तेमाल किया गया है। इसीलिए पूरे मामले की जांच कराते हुए दोषियों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्यवाही कर मेरे आवास की शेष धनराशि खाते में भेज देनी चाहिए।

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