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डीएम के आदेश के बावजूद भी नही मिल रहा ‘दिव्यांग’ को योजनाओं का लाभ।
डीएम के आदेश के बावजूद भी नही मिल रहा ‘दिव्यांग’ को योजनाओं का लाभ। संतोष तिवारी (रिपोर्टर ) भदोही। सरकार भले ही विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के माध्यम से गरीब और असहाय लोगो के लिए प्रयासरत है। लेकिन जिलास्तर पर बैठे अधिकारियों और कर्मचारियों की लापरवाही और मनमानी की वजह से सरकार के मंशा के अनुरूप
डीएम के आदेश के बावजूद भी नही मिल रहा ‘दिव्यांग’ को योजनाओं का लाभ।
संतोष तिवारी (रिपोर्टर )
भदोही।
सरकार भले ही विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के माध्यम से गरीब और असहाय लोगो के लिए प्रयासरत है। लेकिन जिलास्तर पर बैठे अधिकारियों और कर्मचारियों की लापरवाही और मनमानी की वजह से सरकार के मंशा के अनुरूप लोगो को लाभ नही मिल पाता है। इसकी वजह है भ्रष्टाचार।
कहने को भले लोग कहे कि इस शासन में में भ्रष्टाचार नही हो रहा है लेकिन यह सच्चाई नही है। जिले के हर विभागों में सुविधा शुल्क का खेल चलता है। और अधिकतर उनका ही कार्य होता है जो कर्मचारियों को सुविधा शुल्क देते है। और जो लोग सुविधा शुल्क नही दे पाते या इसका विरोध करते है तो उनका काम ही रोक दिया जाता है।
क्योकि एक सामान्य आदमी किसी भी सरकारी कर्मचारी या अधिकारी से अधिक पकड वाला नही होता। जिसके वजह से वह अपना काम हो जाये इसके लिए लाचारी में सम्बन्धित कर्मचारी को सुविधा शुल्क देता है। सरकारी वेतन पाने के बावजूद भी कुछ भ्रष्टाचारी अपनी आदत से बाज नही आते और एक लाचार गरीब और विवश आदमी से भी वसूली कर लेते है।

भदोही जिले के ज्ञानपुर ब्लाक के भिडिउरा गांव में एक परिवार जो कई बार जिलाधिकारी से अपने आवास, राशन, पेंशन के लिए प्रार्थना पत्र दिया है लेकिन कोई कार्यवाही न होने से परिवार में नाराजगी है। मामला शिवमणि पाण्डेय का है जो वृद्ध है और उनको सरकार के तरफ से संचालित योजनाओं का लाभ नही मिल पा रहा है।
शिवमणि जब ग्राम प्रधान से कहते है तो ग्राम प्रधान आश्वासन दे देते है। लेकिन गांव में तैनात ग्राम विकास अधिकारी के मनमानी के काफी चर्चे है। शिवमणि ने बताया कि जब ग्राम पंचायत अधिकारी से कहते है तो कहते है कि पहले खर्चा पानी दीजिए। तब आवास मिलेगा। शौचालय के बारे में कहा कि पहले अपना शौचालय बनवा लो तब पैसा आपके खाता में आयेगा।
शिवमणि का आरोप है कि ग्राम प्रधान व ग्राम पंचायत अधिकारी जानबूझकर मुझे किसी भी योजना का लाभ नही दे रहे है। शिवमणि ने बताया कि मेरे अलावा पत्नी, बहू, पौत्र, पौत्री, और एक दिव्यांग पुत्र कच्चे व टूटे मकान में रहते है। और न ही मुझे पेंशन, आवास, शौचालय इत्यादि दिया गया है।

शिवमणि पाण्डेय की भाई राजेन्द्र ने बताया कि ग्राम विकास अधिकारी घर के सामने से ही आते जाते है लेकिन जब रोकते है तो हाथ हिलाकर चले जाते है। शिवमणि पाण्डेय का दिव्यांग लडका नीतिन पाण्डेय ने फरवरी 2014 में जिलाधिकारी को पत्र लिखकर आवास, राशन कार्ड और भूमि आबंटन के लिए मांग की थी।
जिसको संज्ञान में लेकर भिडिउरा गांव में अक्टूबर 2014 को आयोजित चौपाल में तत्कालीन जिलाधिकारी ने नितिन को राशनकार्ड, आवास और भूमि आबंटन का सम्बन्धित लोगो को निर्देश दिया था। लेकिन जिलाधिकारी के आदेश का पालन न होने पर दिव्यांग नितिन ने कई बार जिलाधिकारी को प्रार्थना पत्र दिया। लेकिन कोई कार्यवाही न हुई।
बीते शुक्रवार को नितिन के पिता शिवमणि ने जिलाधिकारी को प्रार्थना पत्र दिया। जिसमें शिवमणि ने अपनी मांगो के अलावा ग्राम विकास अधिकारी पर कार्यवाही की मांग की। शिवमणि और उनके भाई राजेन्द्र का परिवार कच्चे गिर रहे मकान में रह रहे है। जो कभी भारी बारिश होने से कच्चा मकान धराशायी हो सकता है।
लेकिन जिम्मेदार लोगो को इस परिवार की स्थिति पर तनिक भी ध्यान नही है। बेचारे अपने घर को प्लास्टिक के ढककर बचाव कर रहे है। जो कभी भी एक बडी घटना का गवाह बन सकता है। अब यहां सवाल बनता है कि आखिर किस वजह से जिलाधिकारी के आदेश को भी धता बताकर जिम्मेदार मनमानी कर रहे है।
और सरकार की योजनाओं की धज्जियां उडा रहे है? आखिर इस परिवार की दशा पर क्यों ध्यान नही दे रहे है जिम्मेदार? क्या सुविधा शुल्क न दे पाने के वजह से योजनाओं से वंचित है यह परिवार।
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