झोलाछाप डॉक्टर बेलगाम, ले रहे मरीजों की जान ।

झोलाछाप डॉक्टर बेलगाम, ले रहे मरीजों की जान । उमेश सिंह (ब्यूरो चीफ ) भदोही । झोलाछाप डॉक्टरों के इलाज से आए दिन कोई न कोई मरीज मौत के मुंह में जा रहा है। बावजूद इसके स्वास्थ्य विभाग उन पर अंकुश लगाने में नाकाम है। विभाग के पास ऐसे डॉक्टरों की अनुमानित संख्या तक नहीं

झोलाछाप डॉक्टर बेलगाम, ले रहे मरीजों की जान ।

उमेश सिंह (ब्यूरो चीफ )

भदोही । झोलाछाप डॉक्टरों के इलाज से आए दिन कोई न कोई मरीज मौत के मुंह में जा रहा है। बावजूद इसके स्वास्थ्य विभाग उन पर अंकुश लगाने में नाकाम है। विभाग के पास ऐसे डॉक्टरों की अनुमानित संख्या तक नहीं है। ऐसे में कार्रवाई तो दूर, उनकी पहचान करने में ही काफी वक्त लग सकता है। विशेषज्ञ बताते हैं कि झोलाछाप डॉक्टरों की संख्या घटने के बजाए दिनोंदिन बढ़ रही है। गांवों व कस्बों में स्वास्थ्य केंद्रों की कमी कहीं न कहीं ऐसे डॉक्टरों के पनपने का कारण बन रही है। जिले में पंद्रह लाख की आबादी के इलाज के लिए सरकारी स्तर पर एक जिला अस्पताल, पांच सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और 16 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हैं। इनमें से अधिकांश में उपकरण, चिकित्सक व स्टाफ की कमी है। जहां चिकित्सक मानकों के अनुरूप हैं, वहां मरीजों की संख्या इतनी अधिक है कि चाहकर भी लोगों को बेहतर इलाज नहीं मिल पाता। यहीं, वजह है कि गांव व कस्बों की आबादी झोलाछाप डॉक्टरों से इलाज करने के लिए विवश है। झोलाछाप डॉक्टरों की संख्या की सही जानकारी इसलिए पता नहीं चल पाती है कि ऐसे डॉक्टर कार्रवाई के डर से एक जगह ज्यादा दिनों तक टिक कर नहीं रहते। झोलाछाप डॉक्टरों का निर्धारण ऐसा कोई भी चिकित्सक जो इंडियन मेडिकल काउंसिल व सेंट्रल काउंसिल फोर इंडियन मेडिसिन से पंजीकृत न हो, झोलाछाप डॉक्टर की श्रेणी में आता है। साथ ही मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के अधिनियम 1956 के शिड्यूल 1, 2 व 3 के तहत चिकित्सीय योग्यता नहीं रखता हो। ऐसे सभी डॉक्टर जो प्रैक्टिस करने वाले प्रदेश से पंजीकृत न हों, जो मुख्य चिकित्सा के अधीन पंजीकृत न हो। तकनीकी भाषा में ऐसे डॉक्टरों को अवैध डॉक्टर की संज्ञा दी गई है।

प्रत्येक गांव में झोलाछाप डॉक्टर

विशेषज्ञों की मानें तो बंगाली क्लीनिक चलाने वाले लगभग 90 प्रतिशत डॉक्टरों के पास कोई डिग्री नहीं होती। इसके अलावा कई डॉक्टर ऐसे भी हैं जो कोई डिग्री न होने के बावजूद मरीजों की जिंदगी से खिलवाड़ कर रहे हैं। गांवों में विभिन्न नामों से झोलाछाप डॉक्टरों की दुकानें चल रही हैं।

जांच के दौरान कई बार आई मारपीट की नौबत

स्वास्थ्य विभाग की टीम द्वारा झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ चलाए गए अभियान के समय कई बार मारपीट की नौबत आई है, क्योंकि ऐसे डॉक्टरों के उपर दबंगों की कृपा रहती है। लिहाजा दूरस्थ गांव में विभाग की जांच टीम भी जाने से डरती है।

वर्षो तक नहीं होती कार्रवाई

झोलाछाप डॉक्टरों की लगातार बढ़ती संख्या के लिए सरकारी स्तर पर स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी है, वहीं विभाग द्वारा झोलाछाप पर कार्रवाई न होना भी बढ़ा कारण है। स्थिति यह है कि पिछले पांच वर्षो में मात्र कुछ चिकित्सकों के खिलाफ मामले दर्ज किए गए थे । और कुछ को नोटिस भी जारी किये गये थे और कुछ के खिलाफ मामले भी दर्ज किए गए थे। मामले दर्ज कराने के बाद क्या हुआ, इसकी जानकारी किसी को नहीं है।

यहां है झोलाछाप की भरमार

भदोही जनपद में चौरी, पिपरिस ,मोढ, करियाँव, गडेरियापुर , ज्ञानपुर , फौदीपुर, औराई , गोपीगंज, सेमरधनाथ, पाली , दानुपुर , महजुदा , खरगपुर , सुरियावां , दुर्गागंज , अन्य ऐसे कई जगह बाजार सहित गांवों से सटे हुए हैं, इनमें झोलाछाप डॉक्टरों की भरमार है। ऐसे डॉक्टरों के पास किसी भी प्रकार की जांच की कोई सुविधा नहीं होती है।

कैसे करते हैं इलाज

झोलाछाप डॉक्टर पहले उल्टा सीधा इलाज करते हैं, इसके बाद जब स्थिति काबू से बाहर हो जाती है तो किसी बड़े डॉक्टर को दिखाने के नाम पर अपनी पीछा छुड़ा लेते हैं। हालांकि, तब तक स्थिति यह हो जाती है कि मरीज को बचाया जाना संभव ही नहीं रहता है। ये डॉक्टर बुखार की जांच के लिए कोई भी टेस्ट तक कराने की सलाह नहीं देते हैं। उल्टी, दस्त आदि सामान्य बीमारियों के अलावा मियादी बुखार, डेंगू, मलेरिया, हैजा, पीलिया, मष्तिष्क ज्वर, चिकन पॉक्स व एलर्जी तक का इलाज करने से नहीं चूकते। बिना प्रशिक्षण के लोगों को इंजेक्शन लगाने के साथ ग्लूकोज व अन्य दवाओं को चढ़ा देते हैं। दवा की डोज की सही जानकारी न होने के बावजूद सामान्य बीमारी में लोगों को दवा की हैवी डोज दे देते हैं। इसके चलते कई बार लोगों को एलर्जी व शारीरिक अपंगता तक हो जाती हैं ।

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