इण्टरमीडिएट में आकाश मौर्या और हाईस्कूल में सपना पाण्डेय और चांदनी रही भदोही टॉपर।

इण्टरमीडिएट में आकाश मौर्या और हाईस्कूल में सपना पाण्डेय और चांदनी रही भदोही टॉपर। ए •के • फरूखी (रिपोर्टर ) भदोही। युपी बोर्ड की परीक्षा का परिणाम शनिवार को घोषित हो गया। जिसमें इण्टरमीडिएट की परीक्षा में आकाश मौर्या और हाईस्कूल की परीक्षा में संयुक्त रूप से सपना पाण्डेय और चांदनी विश्वकर्मा ने जिला में

इण्टरमीडिएट में आकाश मौर्या और हाईस्कूल में सपना पाण्डेय और चांदनी रही भदोही टॉपर।

ए •के • फरूखी (रिपोर्टर )

भदोही।

युपी बोर्ड की परीक्षा का परिणाम शनिवार को घोषित हो गया। जिसमें इण्टरमीडिएट की परीक्षा में आकाश मौर्या और हाईस्कूल की परीक्षा में संयुक्त रूप से सपना पाण्डेय और चांदनी विश्वकर्मा ने जिला में अव्वल स्थान प्राप्त किया। इस बार हाईस्कूल में 82.42% तथा इण्टरमीडिएट में 72.90% छात्र-छात्रा उत्तीर्ण हुए। इण्टरमीडिएट के टापर आकाश मौर्या श्री बूजभूषण सिंह सर्वोदय इण्टर कालेज सेमराध के छात्र है। जबकि हाईस्कूल की टापर छात्रा सपना पाण्डेय मां शारदा धनराजी देवी इण्टर कालेज दवनपुर तथा चांदनी विश्वकर्मा सर्वोदय विद्यालय रेवडा परसपुर की छात्रा है।

इस बार इण्टर के टाॅपर आकाश मौर्या ने 88% तथा हाईस्कूल की दोनों टाॅपर ने 90.50% अंक प्राप्त किया। पिछले वर्ष के परिणाम पर नजर डाली जाये तो हाईस्कूल में मां शारदा धनराजी देवी की छात्रा शगुन पाण्डेय ने 93.13% के साथ जिला टाप किया था जबकि इण्टरमीडिएट में ज्ञानेश्वरी इण्टर कालेज के रोहित मौर्या ने 83.89% के साथ जिला टाप किया था। यदि जिले के टापर के प्राप्त अंकों के प्रतिशत पर नजर दौडाई जाये तो पता चलता है कि इण्टरमीडिएट में कुछ बढत मिली है जबकि हाईस्कूल में पीछे होना पडा।

आखिर इसके पीछे का क्या कारण हो सकता है कि पिछले वर्ष की अपेक्षा टाॅपर का कम अंक आया। जिले के टाॅपर के पिछले वर्षो के आंकडों पर नजर दौडाने से पता चलता है कि जिले के कुछ ऐसे कालेज है जो लगभग हर वर्ष ही बढिया स्थान पाने में सफल हो जाते है। हालांकि कुछ जगहों पर ऐसी भी बात सुनने को मिलती है कि आखिर तथाकथित कुछ ही कालेज के छात्र-छात्रा हर वर्ष जिला टाॅपर कैसे हो जाते है? इसके पीछे उनके पढाई की रणनीति व तैयारी है या और कुछ?

हालांकि जिस तरह इस बार प्रशासन ने बोर्ड परीक्षा के दौरान सख्ती दिखाई थी लेकिन फिर भी कही न कही नकल माफिया अपने जुगाड में कामयाब होकर कुछ हद तक तो अपना काम किये। जिसकी पुष्टि इससे हो जाती है कि जिले में नकल की भनक पर भदोही के कई कालेज एसटीएफ के निशाने पर थे। लेकिन नकल माफियाओं के सक्रियता से परीक्षा पूर्ण भी हो गई और एसटीएफ का हाथ खाली ही रह गया।

दूसरी बात यह है कि यदि सच में कुछ ही कालेज है जो हर वर्ष बेहतर करते है तो प्रशासन को भी और कालेजो में उनके ही पद्धति से अध्यापन कार्य करवाना चाहिए। जिससे जिले के सभी बच्चे इन टाॅपर बच्चों की तरह शिक्षा प्राप्त करके अपना मुकाम हासिल करने में सफल हो। यदि प्रशासन टाॅपर छात्र-छात्राओं के कालेजो की तरह हर कालेज में व्यवस्था करा दे तो बच्चे बेशक प्रदेश में अपना स्थान बना सकते है।

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