सुहागिनियों ने रखा व्रत किया वट सावित्री का विधि विधान से पूजन।

सुहागिनियों ने रखा व्रत किया वट सावित्री का विधि विधान से पूजन।

सुहागिनियों ने रखा व्रत किया वट सावित्री का विधि विधान से पूजन। संजय उपाध्याय (रिपोर्टर ) भदोही। उत्तर प्रदेश के भदोही जनपद मे गोपीगंज थाना क्षेत्र के अंतर्गत विभिन्न वट वृक्ष के नीचे ने अपने पति की लंबी आयु हेतु बरगद के पेड़ का पूजन विधिपूर्वक किया मान्यता है कि इस दिन माता सावित्री ने

सुहागिनियों ने रखा व्रत किया वट सावित्री का विधि विधान से पूजन।

संजय उपाध्याय (रिपोर्टर )

भदोही।

उत्तर प्रदेश के भदोही जनपद मे गोपीगंज थाना क्षेत्र के अंतर्गत विभिन्न वट वृक्ष के नीचे ने अपने पति की लंबी आयु हेतु  बरगद के पेड़  का  पूजन  विधिपूर्वक किया मान्यता है कि इस दिन माता सावित्री ने अपने दृढ़ संकल्प और श्रद्धा से यमराज द्वारा अपने मृत पति सत्यवान के प्राण वापस पाए। इसलिए महिलाओं के लिए ये व्रत बेहद ही फलदायी माना जाता है कई जगह इस व्रत को ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन रखा जाता है। 

अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए यह व्रत हर साल ज्येष्ठ माह की अमावस्या को रखा जाता है। जो इस बार 22 मई को था धार्मिक मान्यता अनुसार जो व्रती सच्चे मन से इस व्रत को करती हैं उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होने के साथ उनके पति को लंबी आयु प्राप्त होती है। कई जगह इस व्रत को ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन रखा जाता है इस व्रत के कुछ नियम हैं जिनका पालन करना काफी अहम माना गया है।

वट सावित्री पूजन के लिए माता सावित्री की मूर्ति, बांस का पंखा, बरगद पेड़, लाल धागा, कलश, मिट्टी का दीपक, मौसमी फल, पूजा के लिए लाल कपड़े, सिंदूर-कुमकुम और रोली, चढ़ावे के लिए पकवान, अक्षत, हल्दी, सोलह श्रृंगार व पीतल का पात्र जल अभिषेक के लिए उपयोग में लिया जाता है और फिर जलाभिषेक करके पेड़ के चारों ओर कच्चा धागा लपेट कर तीन बार परिक्रमा करके इसके बाद वट सावित्री व्रत की कथा  सुनने के बाद भीगे हुए चने का बायना निकाल कर उसपर कुछ रूपए रखकर अपनी सास को दें देती हैं और आशीर्वाद प्राप्त करती हैं|

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