जिला निर्वाचन कार्यालय आला अफसरों की शिथिलता से अवैध मंसूबे हो रहे कामयाब।

शाहजहांपुर। आज जहां शासन एवं प्रशासन जनहित एवं न्याय हित को प्रभावित होने से बचाने के लिएअपने कार्यों के प्रति सजग होने का दावा ठोक रहे हैं वहीं कुछ सरकारी अमले के लोग जनहित एवं न्याय हित को प्रभावित करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं। समाज के संभ्रांत व्यक्तियों द्वारा कुछ कारनामों

शाहजहांपुर।

आज जहां शासन एवं प्रशासन जनहित एवं न्याय हित को प्रभावित होने से बचाने के लिएअपने कार्यों के प्रति सजग होने का दावा ठोक रहे हैं वहीं कुछ सरकारी अमले के लोग जनहित एवं न्याय हित को प्रभावित करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं। समाज के संभ्रांत व्यक्तियों द्वारा कुछ कारनामों की जानकारी शासन एवं प्रशासन को देने के बावजूद भी विभाग के आला अफसर भी अपने मातहतों के काले कारनामों के विरुद्ध कार्यवाही करने के बजाय शायद उनको बचाने के उद्देश्य से लीपापोती करने में लगे हुए हैं।ऐसे में काले कारनामों को अंजाम देने में मातहतों के हौसले और बुलंद हो रहे हैं। 

प्राप्त जानकारी के अनुसार जिला निर्वाचन कार्यालय में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी सुरेश पाल की स्थाई नियुक्ति सन 1983 में हुई थी उस समय सुरेश पाल जो शैक्षिक एवं जन्मतिथि संबंधित प्रमाण पत्र दिए गए होंगे। उसके आधार पर सर्विस बुक में जन्मतिथि 12-08-1955 दर्ज की गई।इस पटेल का कार्य देख रहे अपने कार्यों में महारत प्राप्त वरिष्ठ सहायक संजीव श्रीवास्तव द्वारा अपने चहेते कर्मचारियों को अनुचित लाभ दिलाने हेतु सुरेश पाल उक्त की सर्विस बुक में जन्मतिथि में बिना किसी सक्षम अधिकारी का आदेश प्राप्त किए कटिंग करते हुए 5 वर्ष का सेवा विस्तार करने के उद्देश्य से जन्मतिथि 12-08-1960 दर्ज कर दी गई। इस बाबत भारतीय किसान यूनियन के पदाधिकारी राजेश सिंह द्वारा इस प्रकरण की जानकारी भारत निर्वाचन आयोग, नई दिल्ली मुख्य निर्वाचन अधिकारी उत्तर प्रदेश लखनऊ एवं जिलाधिकारी शाहजहांपुर को दी गई। जिस पर डिप्टी कलेक्टर सौरभ भट्ट शाहजहांपुर को जांच अधिकारी नामित कर जांच सौंपी गई।

किंतु काफी समय बीत जाने के बाद भी अभी तक कोई कार्यवाही ना होने से उक्त कर्मचारी विधि विपरीत 5 वर्ष के सेवा विस्तार का लाभ पूरा करने में सफल होकर अगस्त 2020 में सेवानिवृत्त होने वाला है। अनुमान लगाना अति संयोकित नहीं कहा जाएगा की कर्मचारी एवं विधि विरुद्ध सेवा विस्तार का लाभ देने वाले वरिष्ठ सहायक दोनों के अवैध मंसूबे भी सफल हो जाएंगे। और उसका बाल भी बांका नहीं हो पाएगा क्योंकि ना तो उससे पूर्व जांच पूरी हो पाएगी और ना ही कार्रवाई। इसे जनमानस में आक्रोश व्याप्त होना स्वभाविक ही है।

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