कोई जवाब नही थाना श्यामदेउरवा के पास
आखिर कैसे पहुची थानाध्यक्ष श्यामदेउरवा के पास न्यायालय के आदेश की अप्रमाणित प्रति महाराजगंज जनपद के थाना श्यामदेउरवा की कारस्तानी पर संदेह गहराता दिखाई दे रहा है । जहां एक और थाना श्यामदेउरवा ने नियमो को ताक पर रखा वही दूसरी ओर अपने उच्चाधिकारियों को भी न्यायालय के आदेश को लेकर गुमराह किया । पक्षों
आखिर कैसे पहुची थानाध्यक्ष श्यामदेउरवा के पास न्यायालय के आदेश की अप्रमाणित प्रति
महाराजगंज जनपद के थाना श्यामदेउरवा की कारस्तानी पर संदेह गहराता दिखाई दे रहा है । जहां एक और थाना श्यामदेउरवा ने नियमो को ताक पर रखा वही दूसरी ओर अपने उच्चाधिकारियों को भी न्यायालय के आदेश को लेकर गुमराह किया । पक्षों के बीच जमीन के विवाद में थाना श्यामदेउरवा की पुलिस ने एक पक्ष का साथ मात्र अपने निजी स्वार्थ की पूर्ति के लिए दिया । यही नही साथ देने के लिए नियम कानून को ताक पर रख दिया । बताते चले कि न्यायालय द्वारा दिये गए किसी भी आदेश की मूल प्रति अथवा नकल की मूल प्रति प्राप्त होने पर ही उस आदेश को वैध मानते हुए प्रशासनिक अमला कार्यवाही करता है ।लेकिन थानाध्यक्ष श्यामदेउरवा ने उसी अप्रमाणित प्रति पर एक पक्ष का साथ देकर निर्माण भी शुरू कर दिया जो गलत है । न्यायालय के आदेश या फ़ाइल में संलग्न किसी भी प्रपत्र की फ़ोटो खीचना तथा उसकी फोटो कॉपी प्राप्त करना तथा उसे वायरल करना अपराध है ।
जितना दोषी प्राप्त करने वाला होता है उतना ही उस आदेश को लीक करने वाला और उसे उसी प्रारूप में वायरल करने वाला भी । लेकिन यहाँ एक पक्ष का साथ देने के लिए थाना श्यामदेउरवा ने उसी अप्रमाणित प्रति को वायरल भी किया और हमे भी उपलब्ध कराया । इस पूरे मामले में अपने उच्चाधिकारियों को भी गुमराह किया । मामले के एक पक्षकार मारकंडे पांडे पुत्र गोरखनाथ पांडे महाराजगंज जनपद न्यायालय में बतौर पेशकार कार्यरत है । दूसरा पक्ष मधुरेंद्र कृष्ण पुत्र केदारनाथ कृष्ण शिक्षण संस्थान में प्रवक्ता के पद पर कार्यरत हैं । विवादित जमीन पर निर्माण को लेकर आरोप है कि कुछ दिन पूर्व विवादित जमीन पर निर्माण कराने के लिए लगभग 50 लोग लाठी-डंडे से लैस होकर वहां पहुंचे जो मार्कंडेय पांडे की तरफ से आए थे । इन 50 लोगों का नेतृत्व करने वाला काशीनाथ सिंह कंधे पर भगवा गमछा डाले हुए वहां पर मौजूद था जो अपने आप को हिंदू युवा वाहिनी का पदाधिकारी बता रहा था । इसके अलावा वीरेंद्र सिंह नाम का शख्स भी वहां पर मौजूद था जो मधुरेंद्र के अनुसार घुघली इंटर कॉलेज महाराजगंज का सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य है । विवादित जमीन पर तनातनी के इस स्थिति को भापकर अकेला पड़े मधुरेंद्र ने पुलिस को बुलाया । मौके पर चौकी परतावल व थाना श्यामदेउरवा महाराजगंज की पुलिस पहुंची ।
मगर उनलोगों को जबरन निर्माण करने से रोकने की बजाय मुकामी पुलिस भगवा गमछा डाले काशीनाथ सिंह और वीरेंद्र सिंह की आवभगत करती हुई दिखाई दी ।। जो श्यामदेउरवा पुलिस के स्वार्थ को दर्शाता है । पूरे मामले में न्यायालय में कार्यरत एक पक्ष के मार्कण्डेय पांडेय की भूमिका भी काफी संदिग्ध है । मधरेंद्र कृष्ण को डराने के लिए बिना न्यायालय की मुहर के फ़र्ज़ी सम्मन तक भेजे गए । जबकि सम्मन पर उसके लिफाफे न्यायालय की कोई मुहर तक नही थी । आखिर कौन है ये लोग जो कभी भगवा गमछा डाले लाठी डंडा लेकर जबरदस्ती निर्माण करने जाते है कभी फ़र्ज़ी सम्मन भेजते है तो कभी न्यायालय के दस्तावेज की अप्रमाणित प्रति को गलत तरीके से वायरल करते है । और इन सबमे थाना श्यामदेउरवा की पुलिस संलिप्त क्यो है । चूंकि इस खेल में शामिल खिलाड़ी प्रथम पक्ष मारकंडे पांडे चूंकि महाराजगंज न्यायालय में बतौर पेशकार कार्यरत है इसलिए जाहिर है कि कानूनी खेल में इन्हें महारत हासिल होगी । इसी महारत के बूते इन्होंने दिनांक 17 मार्च 2020 को न्यायालय में एक वाद दाखिल कर एक आदेश अपने पक्ष में पारित करवा लिया जिसकी कानो कान खबर द्वितिय पक्ष मधुरेंद्र कृष्ण को भी नहीं हुई थी । लेकिन अपने आप को महारथी समझने वाले मार्कंडेय पांडे यहां एक बड़ी गलती कर बैठे ।
न्यायालय द्वारा जो आदेश मार्कण्डेय पांडेय पुत्र गोरखनाथ पांडेय के पक्ष में किया गया था उस आदेश की प्रमाणित प्रति मार्कण्डेय तथा गोरखनाथ द्वारा पुलिस को उपलब्ध नहीं कराई गयी । नियमतः दूसरे पक्ष को वाद और न्यायालय के आदेश की प्रमाणित प्रति 3 दिन के अंदर न उपलब्ध न कराने की दशा में उक्त अंतरिम आदेश स्वतः निष्प्रभावी हो जाता है । इनकी कारगुजारियों स तो यही पता चलता है कि निश्चित तौर पर इस मामले में अदालत को भी इन खिलाड़ियों द्वारा आदेश प्राप्ति के मामले में गुमराह किया गया होगा ।बहरहाल अब इस मामले में इन सभी बिंदुओं पर मधुरेन्द्र कृष्ण उच्च न्यायालय को अवगत कराने की तैयारी में लगे है । अगर यह मामला वहाँ तक पहुँचा तो न्यायालय में कार्यरत पेशकार साहब और थाना ध्यामदेउरवा की गर्दन नपनी तय है । और इनकी इस कारस्तानी से महराजगंज पुलिस की किरकिरी होनी भी तय है । कुछ दिनों पूर्व तक एक पक्ष द्वरा कराए जा रहे जबरन निर्माण को अदालती आदेश की बदौलत गर्व से सही ठहरा रहे महराजगंज पुलिस अब यह कहती है कि उसे न्यायालय से संबंध में कोई आदेश प्राप्त नही हुआ था तथा यह आदेश उन्हें न्यायालय से व्हाट्सएप्प पर प्राप्त हुआ था ।
इसका मतलब यह है कि हमारी खबर और खोज की दिशा बिल्कुल सही है । गलत तरीके से फाइल में संलग्न आदेश की फोटो खींचकर उसे वायरल कर देना बिना प्रमाणित आदेश के उसके अनुपालन में लग जाना अपने उच्चाधिकारियों को सच्चाई के इतर गुमराह करना और स्वार्थ वश एक पक्ष का गलत तरीके से साथ देने का कोई भी जवाब अभी थानाध्यक्ष श्यामदेउरवा के पास नही है । इसके अतिरिक्त न्यायालय में कार्यरत पेशकार महोदय को भी कई बिंदुओं पर जवाब देना होगा तब उन्हें अहसास होगा कि न्यायालय में बैठकर न्यायालय से खेलना कितना मॅहगा पड़ता है
मामले से जुड़े महत्वपूर्ण प्रश्न
● कौन है काशीनाथ सिंह और वीरेंद्र सिंह
● यह लोग विवादित जमीन पर भीड़ के साथ क्यों गए थे
● मौके पर पहुची पुलिस इनकी आवभगत में क्यो लगी रही
● थाना श्यामदेउरवा को न्यायालय के आदेश की प्रमाणित प्रति प्राप्त हुई थी अथवा नही
● अगर हुई थी तो थानाध्यक्ष ने आदेश की अप्रमाणित प्रति मीडिया को क्यो दिया ।
● न्यायालय के अप्रमाणित आदेश की प्रति थाना श्यामदेउरवा को कहाँ से मिली ।
● क्या थानाध्यक्ष श्यामदेउरवा नही जानते कि न्यायालय के दस्तावेज अगर नियमतः प्राप्त न किये गए हो तो यह एक आपराधिक कृत्य है ।
● इस अप्रमाणित आदेश की प्रति के बूते थाना श्यामदेउरवा की पुलिस किस आधार पर मार्कण्डेय पांडेय के साथ खड़ी हो गयी और निर्माण शुरू करा दिया ।
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